विश्व में वैज्ञानिक लेखों का दो तिहाई हिस्सा अंग्रेज़ी में लिखा जाता है और बिना अंग्रेज़ी के आजकल विद्यावर्धन नहीं हो सकता. पर यह भी महत्वपूर्ण है कि ऐसे लेखों का एक तिहाई, जो भी एक बड़ी संख्या है, दूसरी भाषाओं में है. पर इनमें भारत की बड़ी लोकभाषाएं शामिल क्यों नहीं हैं?