यौन उत्पीड़न का आरोपी शोधछात्र है जिसे पिछले सत्र में विश्वविद्यालय की ओर कैंपस के जेंडर चैंपियन के रूप में नामित किया गया था.
राजस्थान के नीम का थाना क्षेत्र में पांच अप्रैल की घटना, प्रशासन पर सवर्ण आरोपियों को बचाने का आरोप.
‘सर कलम कर दूंगा. हाथ काट दूंगा. पैर तोड़ दूंगा. फांसी पर लटका दूंगा. फांसी चढ़ जाऊंगी. गाय मत खाओ. मंदिर बनकर रहेगा. मंदिर के लिए जान दे देंगे. मंदिर के लिए जान ले लेंगे. वंदे मातरम गाओ. भारत माता की जय बोलो वरना पाकिस्तान चले जाओ. किसान को गोरक्षकों ने पीटा तो अच्छा किया. सिर काट लाओ, एक करोड़ देंगे.’
चंद्रशेखर ने कहा था, ‘हां, मेरी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा है- भगत सिंह की तरह जीवन, चे ग्वेरा की तरह मौत.’ उनके दोस्त कहते हैं कि चंदू ने अपना वायदा पूरा किया.
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर कहा, हाईकोर्ट के कार्यक्रम में योगी को न आमंत्रित करें.
बरेली कॉलेज में हिंदी विभाग की ओर आयोजित सेमिनार में बीएचयू के रिटायर्ड प्रोफेसर चौथीराम यादव पर गंभीर आरोप लगाते हुए एबीवीपी ने कहा था कि उन्होंने 'आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और गोलवलकर की तुलना आतंकी से की है.'
संसद में कांग्रेस बोली, सरकार पहले किसान की आय मापने के उपाए करे, भाजपा ने कहा, विपक्ष में आए तब बुद्धि आई?
रजनी कृष की संदिग्ध मौत के बाद सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बुलाई प्रेसवार्ता, कहा बंद हो संस्थानिक हत्याओं का खेल
प्रिय ईश्वर! यदि मुझे दूसरा जन्म मिले तो चिड़िया बना देना, मैं पूरी दुनिया देखना चाहता हूं: रजनी कृष
जेएनयू के छात्र रजनी कृष ने पिछले कुछ वर्षों में प्रताड़ित किए गए ‘वंचितों की लिस्ट’ पोस्ट करते हुए लिखा था, ‘यह लिस्ट 2017 में बढ़ सकती है.’ दुर्भाग्य से रजनी कृष का नाम भी इसमें जुड़ गया.
मानवता के इतिहास में तमाम करुण कहानियां अनकही रही गई हैं. इरोम शर्मिला का अपनी मुसलसल हार के लिए जनता को धन्यवाद देना वैसी ही एक अनकही कहानी है.
उत्तर प्रदेश में चुनाव पूर्व सपा और कांग्रेस में गठबंधन हुआ, जिसका नुकसान दोनों को हुआ. दरअसल, यह गठबंधन ही ग़लत था.
चुनाव संपन्न होने के बाद चैनलों और एजेंसियों ने एक्ज़िट पोल सर्वे पेश किए तो फेसबुकिए क्यों पीछे रहते, उन्होंने भी गहन मंथन किया.
'मिले मुलायम काशीराम, हवा में उड़ गए जय श्रीराम', क़रीब ढाई दशक पहले भाजपा का रथ रोकने वाले इस नारे के फिर से वजूद में आने के संकेत मिले हैं.
क्या बस्तर में भी भारतीय संविधान लागू है? क्या माओवाद से लड़ाई के नाम पर ग्रामीणों के फ़र्ज़ी एनकाउंटर, महिलाओं के बलात्कार, सामाजिक कार्यकर्ताओं पर हमले और जेल आदि सब जायज़ हैं, जबकि माओवाद तो ख़त्म होने की जगह बढ़ रहा है?
अब चुनाव सिर्फ़ जनता के बीच नहीं लड़े जाते, सभी पार्टियों के सोशल मीडिया वार रूम अब ट्विटर और फेेसबुक पर भी चुनाव लड़ते हैं. इसी कड़ी में रविवार शाम से रातभर ट्विटर पर ट्रेंड करता रहा #मोदी_की_हवा_टाइट_है.