क्या भाजपा को लगता है कि यूपी में ‘सांप्रदायिकता’ ही आख़िरी सहारा है?

राज्य में चार चरण के मतदान के बाद नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने सांप्रदायिकता का नारा बुलंद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, पर यह तो वक़्त ही बताएगा कि उनकी विभिन्न जातियों के हिंदुओं को साथ लाने की ये कोशिश कामयाब होगी या नहीं.

राजनीति को अपराध-मुक्त करने का ज्ञान देने से पहले भाजपा को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए!

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में 35-40 फीसदी प्रत्याशियों का अापराधिक रिकॉर्ड है. कई अपराधों को वैचारिक वैधता भी मिल चुकी है क्योंकि इसके दोषियों को सज़ा के बजाय कोई बड़ी ज़िम्मेदारी या पद दे दिया जाता है. भाजपा के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष इसका सटीक उदाहरण हैं.

अगर नोटबंदी सफल रही तो भाजपा यूपी चुनाव में इसका ज़िक्र क्यों नहीं कर रही?

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस के गठबंधन ने नोटबंदी को एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना दिया है, लेकिन भाजपा इससे परहेज़ करने की कोशिश कर रही है.

दैनिक जागरण ने जानबूझ कर कानून का उल्लंघन क्यों किया?

यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती को पश्चिमी यूपी में जो समर्थन मिल रहा है, क्या दैनिक जागरण एक्जिट पोल प्रकाशित करके उसे बेअसर करने की कोशिश कर रहा है?

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