‘मौलाना आज़ाद के विचारों को आम करने की ज़रूरत है’

वीडियो: स्वतंत्रता सेनानी और भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के विचारों, योगदान, आज के समय में उन्हें याद रखने और उनकी परंपरा को आगे ले जाने की ज़रूरत पर हाल ही में आज़ाद पर प्रकाशित किताब के लेखक और प्रसिद्ध इतिहासकार प्रोफ़ेसर एस. इरफ़ान हबीब से महताब आलम की बातचीत.

‘अगर अयोध्या आंदोलन नहीं होता तो मोदी वो नेता नहीं बन पाते, जो वो आज हैं’

वीडियो: वरिष्ठ पत्रकार और लेखक नीलांजन मुखोपाध्याय की नई किताब ‘द डिमोलिशन एंड द वर्डिक्ट: अयोध्या एंड द प्रोजेक्ट टू रिकन्फिगर इंडिया’ हाल ही में आई है. इस किताब के ज़रिये राम जन्मभूमि-अयोध्या आंदोलन के भारत की राजनीति और समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर नीलांजन से महताब आलम की बातचीत.

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामला: दो एफआईआर की कहानी

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की शुरुआत इस बारे में दर्ज दो एफआईआर 197 और 198 से हुई थी. पहली एफआईआर विध्वंस के ठीक बाद अयोध्या थाने में लाखों अज्ञात कारसेवकों के ख़िलाफ़ दर्ज हुई थी और दूसरी जिसमें भाजपा, संघ और बाकी संगठनों के नेता नामजद थे.

छत्तीसगढ़: कांग्रेस नेताओं ने कथित तौर पर पत्रकार पर हमला किया, एफआईआर दर्ज

छत्तीसगढ़ के कांकेर ज़िले का मामला. पत्रकार कमल शुक्ला ने कांग्रेस नेताओं पर मारपीट और जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया है. वहीं एक कांग्रेस नेता ने कमल शुक्ला पर जान से मारने की धमकी देने की शिकायत पुलिस से की है. पुलिस इसे आपसी रंज़िश का मामला बता रही है.

छत्तीसगढ़: हसदेव अरण्य में खनन शुरू करने के ख़िलाफ़ नौ सरपंचों ने प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी

हसदेव अरण्य क्षेत्र के सरपंचों ने पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने के भाषण को याद दिलाते हुए कहा कि यहां का समुदाय पूर्णतया जंगल पर आश्रित है, जिसके विनाश से यहां के लोगों का पूरा अस्तित्व ख़तरे में पड़ जाएगा.

झारखंड: मुस्लिम महिला का आरोप, अस्पताल के स्टाफ ने की बदसलूकी और धर्म को लेकर अपमानजनक टिप्पणी

घटना जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल की है. महिला का कहना है कि वह गर्भवती थीं और अचानक शुरू हुई ब्लीडिंग के बाद अस्पताल पहुंची थीं, जहां फर्श पर ख़ून गिर जाने पर स्टाफ ने मारपीट की. इसके बाद वह एक निजी अस्पताल गईं, जहां बताया गया कि गर्भस्थ शिशु की मौत हो गई है.

रिटायर आईपीएस ने कहा, योगी राज में यूपी पुलिस और सांप्रदायिक हो गई है

वीडियो: नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर उत्तर प्रदेश में हुई हिंसा, लोगों की मौत और पुलिस की कार्यप्रणाली पर राज्य के पूर्व आईजी और सामाजिक कार्यकर्ता एसआर दारापुरी से द वायर उर्दू के संपादक महताब आलम ने बातचीत की.

एक दलित कार्यकर्ता के संघ छोड़ने और उसके ख़िलाफ़ लड़ने की कहानी

वीडियो: राजस्थान के सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक भंवर मेघवंशी ने आरएसएस में अपने कार्यकाल और फिर इस संगठन को छोड़ने से जुड़े अपने अनुभवों को द वायर उर्दू के संपादक महताब आलम से साझा किया.

क्या झारखंड चुनाव परिणाम नागरिकता क़ानून और एनआरसी के ख़िलाफ़ जनमत संग्रह है?

साल 2000 में झारखंड राज्य गठन के बाद ये पहला चुनाव है जब किसी ग़ैर-भाजपा गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिला है. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा की अगुवाई वाला गठबंधन क्या एक स्थायी सरकार दे पाएगा.

क्यों जारी है मॉब लिंचिंग का सिलसिला?

अपराध जितना भी जघन्य हो आरोपी को सज़ा देना क़ानून का काम है न कि समाज और भीड़ का. उसमें चाहे जितना समय लगे या गलतियां भी हों, जनता द्वारा क़ानून हाथ में लेने को न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता.

इलेक्शननामा: क्या लोकसभा चुनाव के परिणाम चौंकाने वाले होंगे?

ऑडियो: इलेक्शननामा की इस कड़ी में सुनिए लोकसभा चुनाव के लिए अब तक हुए मतदान और उसके रुझानों पर चुनाव विश्लेषक और शोधार्थी आशीष रंजन के साथ चर्चा.

इलेक्शननामा: क्या बेरोज़गारी एक चुनावी मुद्दा बन सकी है?

ऑडियो: इलेक्शननामा की इस कड़ी में सुनिए मौजूदा लोकसभा में नौजवानों और उनसे जुड़े मुद्दों पर युवा हल्ला बोल अभियान के अनुपम के साथ बातचीत. साथ ही जानिए उन नौजवानों के बारे में, जो इस चुनाव में उम्मीदवार तो हैं पर जिनके बारे में ज़्यादा चर्चा नहीं हो रही है.

इलेक्शननामा: उत्तर पूर्व का चुनाव राष्ट्रीय परिदृश्य में क्यों अहम हैं?

ऑडियो: इलेक्शननामा की इस कड़ी में सुनिए लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र उत्तर पूर्व के राजनीतिक माहौल और मुद्दों के बारे में. साथ ही द वायर की डिप्टी एडिटर संगीता बरुआ पिशारोती के साथ चर्चा कि इस बार पूर्वोत्तर का चुनाव राष्ट्रीय परिदृश्य में क्यों अहम है.

क्यों निर्दोष नागरिकों को सालों-साल क़ैद में रखना चुनावी मुद्दा बनना चाहिए

बड़ी संख्या में नागरिकों, विशेष रूप से हाशिये के समुदायों से आने वालों को बेक़सूर होने के बावजूद एक लंबा समय जेल में बिताना पड़ा है. फिर भी कोई प्रमुख राजनीतिक दल इस मुद्दे को उठाना नहीं चाहता.

इलेक्शननामा: क्या वोटिंग को अनिवार्य बना देना चाहिए?

ऑडियो: देश के 70 % से कम वोटर मतदान के अधिकार का इस्तेमाल करते हैं तो ऐसे में क्या वोटिंग को अनिवार्य कर देना चाहिए? इलेक्शननामा की इस कड़ी में सुनिए वोटिंग के महत्व और अनिवार्य वोटिंग पर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाय कुरैशी और राजनीतिक विश्लेषक संजय कुमार के साथ चर्चा.