भारतीय राजनीति में करिश्माई नेतृत्व ने कई करिश्मे दिखाए हैं, लेकिन किसी भी दौर में करिश्मे के मुकाबले ज़मीनी समीकरण और समुदायों की गोलबंदियां ज्यादा प्रभावी रही हैं. फिलहाल कांग्रेस कम से कम यूपी में तो इन दोनों मोर्चों पर पिछड़ती नज़र आ रही है.
अगर भाजपा जातियों के अंतर्विरोधों और संसाधनों में हिस्सेदारी की मार-काट को काबू में रख सकी तो जब तक मोदी का नाम चलेगा, ये वोट बैंक भी चलेगा.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के चौथे दौर में बसपा और सपा की सीधी टक्कर है, यह देखना दिलचस्प होगा कि इनकी लड़ाई में भाजपा अपना फ़ायदा कैसे ढूंढ पाती है.
आज उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव कवर करने के क्रम में उन्नाव आया हूं. उन्नाव रेलवे स्टेशन के पास चौराहे पर निराला की प्रतिमा लगी है. इसका भी एक इतिहास है जो ज़िले की राजनीति की झलक दिखाता है.
उम्मीदवारों के चयन से उभरे असंतोष और मतदाताओं में बदले जातीय गुणा-गणित से यूपी इलेक्शन के तीसरे चरण में समाजवादी पार्टी की राह मुश्किल हो सकती है
आज भाजपा का संगठन चुनाव के लिए चाक-चौबंद नज़र आता है. इस पर और नजदीक से नज़र डालने के लिए आइए चलते हैं कानपुर मंडल के फर्रुखाबाद जिले की अमृतपुर विधानसभा में.