मंदसौर की घटना के बहाने चुप्पी पूछने का खेल खेलने वालों का इरादा क्या है?

मंदसौर जैसी भयावह घटना के आरोपी के समर्थन में चुप्पी की बात वही कर सकते हैं जो ख़ुद चुप रहते हैं और सांप्रदायिक माहौल बनाने के लिए दूसरे की चुप्पी का हिसाब करते हैं.

प्रधानमंत्री जी से पूछिए तो सही कि वे भारत को विश्व गुरु बना रहे हैं या बेवक़ूफ़?

नोटबंदी के एक साल बाद स्विस बैंक में जमा भारतीयों का पैसा 50 प्रतिशत बढ़ गया है. ज़रूरी नहीं कि स्विस बैंक में रखा हर पैसा काला ही हो लेकिन सरकार को बताना चाहिए कि यह किसका और कैसा पैसा है?

मोदी के राज में रुपया मनमोहन के राज से भी कमज़ोर हो चुका है

अब तक भारतीय रुपये का रिकॉर्ड 28 अगस्त 2013 का बताया जाता है जब एक डॉलर की कीमत 68 रुपये 83 पैसे हो गई थी. बुधवार को यह 68 रुपये 63 पैसे हो गई. आज 69 रुपया हो गया है.

पांच दिन में 750 करोड़ रुपये नहीं गिने जा सकते, अहमदाबाद सहकारी बैंक की जांच हो

बैंक में गड़बड़ी न होने की नाबार्ड की सफ़ाई से साफ़ है कि इस संस्था पर भरोसा नहीं किया जा सकता. ऐसे समय जब सरकारी संस्थाएं और मीडिया चुप हों तो जनता को आगे आना चाहिए.

नोटबंदी: भाजपा नेताओं की अध्यक्षता वाले दो सहकारी बैंकों में पांच दिन में 1300 करोड़ जमा हुए

मुंबई के मनोरंजन ए रॉय ने आरटीआई से जानकारी प्राप्त की है कि 8 नवंबर को नोटबंदी लागू होने से लेकर 14 नवंबर तक अहमदाबाद ज़िला सहकारिता बैंक में 745 करोड़ और राजकोट के ज़िला सहकारिता बैंक में 693 करोड़ जमा हुए.

योग और बीमा को स्वास्थ्य सुविधाओं का विकल्प समझ लेना राष्ट्रीय मूर्खता से कम नहीं

विश्व स्वास्थ्य संगठन कहता है कि 1,000 की आबादी पर एक डॉक्टर होना चाहिए लेकिन भारत में 11,082 की आबादी पर एक डॉक्टर है. देश में पांच लाख डॉक्टरों की कमी है. एम्स जैसे संस्थानों में पढ़ाने वाले डॉक्टर शिक्षकों की 70 फीसदी कमी है. इस हक़ीक़त पर पर्दा डालने के लिए योग का प्रोपेगैंडा करना ही होगा.

जम्मू कश्मीर में नोटबंदी से जो आतंकवाद ख़त्म हुआ था, उसी के चलते गठबंधन ख़त्म हो गया

प्रधानमंत्री दर्जनों बार कश्मीर जा चुके हैं. वे जब भी गए योजनाओं और विकास पर बात करते रहे. कश्मीर मसले को उन्होंने सौर ऊर्जा प्लांट और हाइड्रो प्लांट के शिलान्यास तक सीमित कर दिया. उनकी कश्मीर नीति क्या है, कोई नहीं जानता.

आईएएस लैटरल एंट्री: नौकरशाही में बदलाव के नाम पर मोदी सरकार का नया स्टंट

संयुक्त सचिव स्तर के दस पेशेवर लोगों को सरकार में शामिल करने का ख़्याल सरकार के आख़िरी साल में क्यों आया जबकि इस तरह के सुझाव पहले की कई कमेटियों की रिपोर्ट में दर्ज हैं.

उस पैम्फलेट में क्या है जो भाजपा के नेता मशहूर हस्तियों के घर लेकर जा रहे हैं?

संपर्क फॉर समर्थन कैंपेन: बैंक सेक्टर भीतर से ढह गया और रेल व्यवस्था चरमरा चुकी है, छह एम्स में सत्तर फ़ीसदी पढ़ाने वाले डॉक्टर नहीं हैं. इसका ज़िक्र पैम्फलेट में है या नहीं?

नेता आपको कलेक्टर नहीं, दंगाई बनाने के प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं

आयोगों ने नौजवानों की ज़िंदगी बर्बाद कर दी है. शायद ही किसी राज्य में परीक्षा का कैलेंडर होगा.परीक्षा भी इस तरह से आयोजित होती है कि कोई न कोई विवाद हो जाता है. इनका काम नौकरी देना नहीं बल्कि नौकरी देने के नाम पर नौजवानों को तैयारी में व्यस्त रखना है.

हुज़ूर! 2014 से 2018 आ गया, अब तो बताइए काम कब होगा?

मोदी सरकार ने 2014 में चार नए एम्स, 2015 में 7 नए एम्स और 2017 में दो एम्स का ऐलान करते हुए 148 अरब रुपये का प्रावधान किया गया था मगर अ​ब तक 4 अरब रुपये ही दिए गए हैं. आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि किस रफ़्तार से काम हो रहा होगा.

मोदी सरकार के चार साल: झूठ और धर्मांधता की संस्कृति फैलाने के लिए सरकार जश्न मना सकती है

हर सरकार के दौर में एक राजनीतिक संस्कृति पनपती है. मोदी सरकार के दौर में झूठ नई सरकारी संस्कृति है. जब प्रधानमंत्री ही झूठ बोलते हैं तो दूसरे की क्या कहें. दूसरी संस्कृति है धर्मांधता की.

ये ख़ामोशी बता रही है पेट्रोल के दाम बढ़े नहीं, बल्कि काफ़ी घट गए हैं

पेट्रोल की क़ीमत रिकॉर्ड स्तर पर है, फिर भी आप मीडिया में इसकी ख़बरों को देखिए तो लगेगा कि कोई बात ही नहीं है. यही दाम अगर सरकार एक रुपया सस्ता कर दे तो गोदी मीडिया पहले पन्ने पर छापेगा.

‘येदियुरप्पा ने किसानों की जितनी बात की, उन्हें ही देश का कृषि मंत्री बना देना चाहिए’

कुछ न्यूज़ एंकरों को केंद्र में मंत्री बना देना चाहिए या फिर मंत्री को अब एंकर बनाने का वक़्त आ गया है.

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