पूरे उत्तर प्रदेश में तथाकथित ‘अवैध बूचड़खाने’ वास्तव में सार्वजनिक म्युनिसिपल बूचड़चाने हैं, जो भीषण उपेक्षा के कारण बदहाली का शिकार हैं.
गोवध और गायों के परिवहन पर पाबंदी को गोरक्षक दलों द्वारा हिंसक ढंग से लागू करने का ख़ामियाज़ा किसानों को उठाना पड़ रहा है. किसान अनुपयोगी मवेशी बेचकर कुछ पैसे कमा लेने के विकल्प से भी वंचित हो गए हैं.