पिक्चर पोस्टकार्ड: बांग्लादेश का हिंदू चुभती हुई पीड़ा के साथ जी रहा है. अपने मुल्क में वह पराया हो गया है, और भारतीय सत्ता उसे 'दीमक' कह कर लांछित करती आ रही है.
देशव्यापी लॉकडाउन के चलते बड़े शहरों में काम करने वाले मज़दूरों के पास काम बंद हो जाने की स्थिति में दो विकल्प थे- या तो घर लौट जाएं, या फिर यहीं रहकर काम दोबारा शुरू होने का इंतज़ार करें. घरों तक के सफ़र में मज़दूरों के सामने तमाम चुनौतियां आई हैं, लेकिन जो नहीं गए उनका भी हाल कुछ बेहतर नहीं है.
बीते दिनों कश्मीर के बारे में ‘विटनेस’ नाम की एक किताब आई है. तस्वीरों के बहाने ये किताब कश्मीर के 30 सालों के घटनाक्रमों को बयां करती है.