अंत्योदय का नारा देने वाले दीनदयाल उपाध्याय का कहना था कि अगर हम एकता चाहते हैं, तो हमें भारतीय राष्ट्रवाद को समझना होगा, जो हिंदू राष्ट्रवाद है और भारतीय संस्कृति हिंदू संस्कृति है.
आवासीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के साथ यौन अत्याचार, शोषण और उनके मरने की घटनाएं आम हो चली हैं लेकिन मुख्यधारा में कहीं भी उनकी चर्चा नहीं है.
आस्था की स्वतंत्रता की गारंटी देते वक़्त कभी संविधान निर्माताओं ने यह नहीं सोचा होगा कि लोगों की निजी आस्था पर अमल पर्यावरण को कितना बड़ा ख़ामियाज़ा भुगतने के लिए मजबूर कर सकता है.
शब्द और विचार हर किस्म के कठमुल्लों को बहुत डराते हैं. विचारों से आतंकित लोगों ने अब शब्दों और विचारों के ख़िलाफ़ बंदूक उठा ली है.
सत्तर के दशक से आज तक बच्चों के खेलकूद के स्थान में 90 फीसदी गिरावट आई है लेकिन हमारी व्यवस्था बच्चों के इस बुनियादी अधिकार को लेकर असंवेदनशील है.
भाजपा शासित राज्यों में गोशालाओं में बदइंतज़ामी के चलते लगातार गायों की मौत हो रही है, लेकिन वे गाय के प्रति अपना ‘प्रेम’ उजागर करने में नित नये क़दम बढ़ाते रहते हैं.
तांत्रिकों के सान्निध्य में मंत्रियों का जाना और पाप-पुण्य के फेर में पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाना अंधश्रद्धा पर सरकारी मुहर लगाना है.
ऊपर से शांत दिखने वाली भीड़ का हिंसक बन जाना अब हमारे वक्त़ की पहचान बन रहा है. विडंबना यही है कि ऐसी घटनाएं इस क़दर आम हो चली हैं कि किसी को कोई हैरानी नहीं होती.
आखिर जिन छोटे बच्चों को क़ानून वोट डालने का अधिकार नहीं देता, जीवनसाथी चुनने का अधिकार नहीं देता, उन्हें आध्यात्मिकता के नाम पर इस तरह जान जोखिम में डालने की अनुमति कैसे दी जा सकती है?
अक्षय कुमार और विवेक ओबरॉय छत्तीसगढ़ में सैनिकों के परिवारों की मदद के लिए आगे आए हैं, उम्मीद है कि वे आदिवासी महिलाओं से होने वाली ज़्यादती से भी वाकिफ़ होंगे.
सांसद समेत अन्य लोग फर्ज़ी कागज़ातों के ज़रिये दलित और आदिवासियों के अधिकार छीन रहे हैं.
यूपी के चुनावों की जीत ने हिंदुत्व की ताकतों को यह आत्मविश्वास दिया है कि वह अपने बुनियादी सांस्कृतिक एजेंडे को लेकर अब अस्पष्टता न रखें बल्कि खुलकर सामने आएं.