यह तथ्य है कि योगी आदित्यनाथ सरकार हमेशा अपने मक़सद को पाने के लिए बेहतर और बिना ज़ोर-ज़बरदस्ती वाले तरीकों की बजाय धमकाने या डर दिखाने वाले उपायों को तरजीह देती है. इसका ताज़ा नमूना हाल में में लाया गया जनसंख्या नियंत्रण विधेयक है.
कानपुर जैसे शहर में एक युवा कम्युनिस्ट और ट्रेड यूनियन के सदस्य के बतौर काम करने के दौरान देखे गए पुलिस और प्रशासन के पक्षपातपूर्ण रवैये ने मेरे लिए वर्गीय दृष्टिकोण और वर्गीय सत्ता की सच्चाई को और प्रमाणित कर दिया.
योगी आदित्यनाथ सरकार के नए क़ानून का उद्देश्य केवल ध्रुवीकरण नहीं बल्कि स्त्रियों को उनके अधिकारों और अपने लिए निर्णय लेने की उनकी क्षमता से उन्हें वंचित करना भी है.
हिंदू राष्ट्र का ढांचा और उसकी दिशा मनुस्मृति में बताए क़ानूनी ढांचे के अंतर्गत ही तैयार होंगे और ये क़ानून जन्म-आधारित असमानता के हर पहलू- सामाजिक, आर्थिक और लैंगिक, सभी को मज़बूत करने वाले हैं.
पुलिस के आपराधिक कृत्यों के समान तरीकों पर उठने वाले सवालों को चुप कराने के लिए बार-बार उनके हतोत्साहित होने का डर दिखाया जाता है, लेकिन विडंबना है कि किसी हिस्ट्रीशीटर के थाने में घुसकर पुलिसकर्मियों की हत्या कर देने के बाद आज़ाद घूमने पर पुलिस के मनोबल की बात नहीं की जाती.
उत्तर प्रदेश सरकार ने लॉकडाउन के दौरान दूसरे राज्यों से वापस लौटे श्रमिकों को काम देने की बात कही है, लेकिन उसके नए श्रम क़ानून यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि प्रदेश के मज़दूर वह न्यूनतम वेतन भी न पा सकें, जिससे वे अपने लिए एक न्यूनतम संसाधनों वाली ज़िंदगी बनाए रख सके.
वरिष्ठ कलाकार शौकत कैफ़ी को याद कर रही हैं पूर्व सांसद सुभाषिनी अली. सुभाषिनी फिल्म उमराव जान की कॉस्ट्यूम डिज़ाइनर थीं, जिसमें शौकत कैफ़ी की महत्वपूर्ण भूमिका थी.
सरोजिनी नायडू ने मदन मोहन मालवीय को ‘रुढ़िवादी-प्रगतिशील नेता’ कहा था. संघ परिवार ने अपने एजेंडा के लिए उनके रुढ़िवादी पहलू का तो इस्तेमाल किया, लेकिन उनके प्रगतिशील दृष्टिकोण को पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर दिया.
ईशा फाउंडेशन के जग्गी वासुदेव के योग आश्रम से अपनी ज़मीन वापस लेने के लिए कोयंबटूर की मुताम्मा लंबे समय से लड़ाई लड़ रही हैं.
जिस नर्मदा पर बने बांध का प्रधानमंत्री ने उद्घाटन किया, उसी नदी में अपने पुनर्वास को लेकर मध्य प्रदेश के सैकड़ों लोग जल सत्याग्रह कर रहे हैं.
संघ ओणम को एक हिंदू त्योहार बनाना चाहता है जिसमें वामन अवतार की पूजा हो. दूसरी तरफ कुछ मुस्लिम कट्टरपंथी हैं जो मुसलमानों को ओणम को मनाने से दूर रखना चाहते हैं.
पितृसत्ता का प्रभाव देश के ज़्यादातर नागरिकों पर ही नहीं, बल्कि सरकार, प्रशासन और न्यायपालिका जैसे संस्थान भी इसके असर से बचे हुए नहीं हैं, जिन पर लैंगिक न्याय स्थापित कराने का दायित्व है.
जन्माष्टमी पर योगी आदित्यनाथ के बयान ने सोचने के लिए मजबूर कर दिया. कंस की याद आई जिसने अपनी बहन देवकी की सभी संतानों को मार डाला था.