सांप्रदायिक दंगों में बिहार अव्वल क्यों है?

एक साल की देरी से जारी किए गए एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2017 में देश में दंगों की कुल 58,729 वारदातें दर्ज की गईं. इनमें से 11,698 दंगे बिहार में हुए. वर्ष 2017 में ही देश में कुल 723 सांप्रदायिक/धार्मिक दंगे हुए. इनमें से अकेले बिहार में 163 वारदातें हुईं, जो किसी भी सूबे से ज़्यादा है.

‘हमने भारी बारिश की चेतावनी दी थी, ताकि बिहार सरकार स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहे’

विशेष रिपोर्ट: बिहार की राजधानी पटना स्थित मौसम विज्ञान केंद्र के उप निदेशक ने बताया कि 26 सितंबर से ही हम लोग वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के ज़रिये राज्य की एजेंसियों को बता रहे थे कि भीषण बारिश होगी. हमने राज्य सरकार को भी इसकी सूचना भेजी थी.

बिहार: ज़मीन के मालिक तो बन गए, लेकिन ज़मीन न मिली

बिहार में भूमि सुधार के तहत भूमिहीनों को ज़मीन का पट्टा दिया गया था. काग़ज़ों पर तो ये लोग ज़मीन के मालिक बन गए हैं, लेकिन वास्तव में अब तक इन्हें ज़मीन का क़ब्ज़ा नहीं मिल सका है.

बिहार: क्या नीतीश कुमार के राज में ‘जंगलराज’ की वापसी हो गई है?

पिछले कुछ समय में बिहार में महिलाओं और बच्चियों के साथ बलात्कार और हत्या की नृशंस घटनाएं सामने आई हैं. इसके अलावा राज्य में लूट और अपहरण की वारदातें भी थमने का नाम नहीं ले रही हैं.

‘सरकार ईमानदारी से काम करे, तो अगले साल इंसेफलाइटिस से एक भी बच्चे की जान नहीं जाएगी’

साक्षात्कार: बिहार में इस साल अब तक एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के चलते मुज़फ़्फ़रपुर व उसके आसपास के ज़िलों में 150 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है. यह बीमारी 1995 में सामने आई थी, तब से हर साल बच्चों की मौत हो रही है, कभी कम तो कभी ज़्यादा. इस बीमारी के तमाम पहलुओं को लेकर मुज़फ़्फ़रपुर में साढ़े तीन दशक से काम कर रहे प्रख्यात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.अरुण शाह से उमेश कुमार राय की बातचीत.

‘उन्होंने मुझसे जबरदस्ती जय श्री राम बुलवाया, ये बात पुलिस ने एफआईआर से गायब कर दी’

बीते हफ्ते पश्चिम बंगाल में कथित तौर पर 'जय श्री राम' न कहने पर ट्रेन से फेंके गए मदरसा शिक्षक मोहम्मद शाहरुख का दावा है कि उनके द्वारा हमला करने वाले लोगों और उनके संगठन के बारे में पुलिस को बताने के बावजूद किसी आरोपी को गिरफ़्तार नहीं किया गया है.

बिहार: क्या पुलिस ने फ़र्ज़ी मामला बनाकर पत्रकार रूपेश को गिरफ़्तार किया?

बीते ​छह जून को बिहार की गया पुलिस ने तीन नक्सलियों को जिलेटिन स्टिक और इलेक्ट्रॉनिक डेटोनेटर के साथ गिरफ़्तार करने का दावा किया था.

बिहार: बीते पंद्रह दिनों में हुई तक़रीबन 60 बच्चों की मौत का ज़िम्मेदार कौन?

ग्राउंड रिपोर्ट: बिहार के मुज़फ्फरपुर में अब तक 'अज्ञात बुखार' के चलते करीब 60 बच्चों की मौत हो चुकी है और सैंकड़ों बच्चे इससे पीड़ित हैं.

क्या नीतीश कुमार फिर एनडीए से अलग होने की तैयारी कर रहे हैं?

उचित प्रतिनिधित्व न मिलने के कारण नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने से जदयू के इनकार और बिहार राज्य कैबिनेट विस्तार में किसी भाजपा नेता को जगह न देने के सियासी घटनाक्रम को दोनों पार्टियों के बीच बढ़ती खटास के तौर पर देखा जा रहा है.

क्या राजनीतिक कारणों से हुई सीपीआई नेता फागो तांती की हत्या?

सीपीआई नेता फागो तांती ने बेगूसराय से सीपीआई प्रत्याशी कन्हैया कुमार का प्रचार भी किया था. सीपीआई नेता और पूर्व विधायक अवधेश राय ने हत्या के पीछे भाजपा का हाथ होने की आशंका ज़ाहिर की है, हालांकि भाजपा ने आरोपों को बेबुनियाद बताया है.

पश्चिम बंगाल: सुंदरबन का एक द्वीप, जहां लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया गया है

ग्राउंड रिपोर्ट: पश्चिम बंगाल का घोड़ामारा दुनिया के सबसे बड़े मैंग्रूव फॉरेस्ट में गिने जाने वाले सुंदरबन डेल्टा का एक टापू है. पहले यह 8 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ था लेकिन बीते चार दशकों में नदी के कटाव से सिकुड़ते इस टापू के लोगों के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है.

पांच साल में बिहार की नीतीश सरकार ने विज्ञापन पर ख़र्च किए तक़रीबन पांच अरब रुपये

विशेष रिपोर्ट: सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार बिहार में राबड़ी देवी सरकार ने साल 2000 से 2005 के दौरान 23 करोड़ 48 लाख रुपये विज्ञापन पर ख़र्च किए थे. वहीं ​नीतीश कुमार सरकार ने पिछले पांच साल में विज्ञापन पर 4.98 अरब रुपये ख़र्च किए हैं.

शरद यादव, पप्पू यादव या दिनेश चंद्र यादव: कौन बनेगा बिहार के ‘मधेपुरा का गोप’

बिहार के मधेपुरा लोकसभा पर यादव बिरादरी का प्रभुत्व है. यहां एनडीए की तरफ से जदयू नेता दिनेश चंद्र यादव मैदान में हैं जबकि महागठबंधन ने शरद यादव को मैदान में उतारा है, वहीं पप्पू यादव निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.

बिहार में महागठबंधन के लिए कितने फायदेमंद साबित होंगे ‘सन ऑफ मल्लाह’

बिहार में ‘सन ऑफ मल्लाह’ के नाम से मशहूर मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी साल 2014 के लोकसभा चुनाव में एनडीए के साथ थी. इस बार मुकेश साहनी महागठबंधन का हिस्सा हैं.

दुनिया को बांस के पोलो बॉल से परिचित कराने वाले कारीगर आज संकट में हैं

पश्चिम बंगाल के हावड़ा ज़िले का देउलपुर गांव कभी बांस की जड़ों से पोलो गेंद तैयार करने के लिए जाना जाता था, लेकिन आज इस कारोबार से जुड़े लोगों के हुनर की सुध लेने वाला कोई नहीं है.