भीषण गर्मी कमज़ोर वर्ग को असमान रूप से प्रभावित करती है. ग़रीब श्रमिक के पास न तो आराम या सुकून का समय ही उपलब्ध हैं न ही चिकित्सा सुविधाएं. निर्माण और कृषि श्रमिकों तो खुले में श्रम और ऊंचे तापमान के लंबे समय तक संपर्क में होता है, ऐसे में उनके लिए भीषण गर्मी जानलेवा भी हो सकती है.
चुनावी बॉन्ड के ज़रिये राजनीतिक दलों को चंदा देने वालों में सड़क, खनन और इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधी बड़ी कंपनियों का शामिल होना दिखाता है कि भले चंदे की राशि राजनीतिक दलों को मिल रही है, लेकिन इनकी क़ीमत आम आदिवासी और मेहनतकश वर्ग को चुकानी पड़ रही है, जिसके संसाधनों को राजनीतिक वर्ग ने चंदे के बदले इन कंपनियों के हाथों में कर दिया.
पर्यावरण क्षरण और जलवायु आपदाओं को ग्लोबल कहने से यह राय बनती है कि वे सभी को समान रूप से प्रभावित करती हैं, पर सच्चाई ये है कि जलवायु आपदाओं का सार्वभौमिक चरित्र है कि वे उसके दोषी पक्ष को अक्सर कम तथा निर्दोष सामान्यजन को अधिक प्रभावित करती हैं.