बहादुरशाह ज़फ़र: आज़ादी के सत्तर साल बाद भी दो गज़ ज़मीन न मिली कू-ए-यार में

विशेष: बहादुरशाह ज़फ़र हमारे उस स्वतंत्रता संग्राम के नायक हैं जिसमें हम हार भले ही गए थे पर हिंदुओं व मुसलमानों ने उसे एकजुट होकर लड़ा था और अपनी एकता की शक्ति प्रमाणित कर दी थी.

दादा साहब फाल्के: सिनेमा की शुरुआत करने वाले की पहचान सिर्फ़ एक अवॉर्ड तक सीमित

जयंती विशेष: 1944 में उनकी एक गुमनाम शख़्स की तरह मौत हो गई जबकि तब तक उनका शुरू किया हुआ कारवां काफी आगे निकल चुका था. फिल्मी दुनिया की बदौलत कुछ शख़्सियतों ने अपना बड़ा नाम और पैसा कमा लिया था. घुंडीराज गोविंद फाल्के को हम आम तौर पर दादा साहब फाल्के के नाम से जानते हैं. भारतीय सिनेमा की शुरुआत करने वाले इस शख्स की पहचान सिर्फ आज एक अवॉर्ड के नाम तक महदूद रह गई है. भारत सरकार

जब चुनाव हार गए थे बाबा साहब भीमराव आंबेडकर

जन्मदिन विशेष: भारत के जिस संविधान का भीमराव आंबेडकर को निर्माता कहा जाता है उसके लागू होने के बाद 1952 में हुए देश के पहले लोकसभा चुनाव में वे बुरी तरह हार गए थे.

आंबेडकर: संविधान अच्छे हाथों में रहा तो अच्छा, बुरे हाथों में गया तो ख़राब साबित होगा

जन्मदिन विशेष: आज हम अपनी राजनीति में नियमों, नीतियों, सिद्धांतों, नैतिकताओं, उसूलों व चरित्र के जिन संकटों से दो-चार हैं, उनके अंदेशे भीमराव आंबेडकर ने तभी भांप लिए थे.

आज ही के दिन 1947 में पेश हुआ हिंदू कोड बिल, ​कट्टरपंथियों ने काटा था बवाल

आज जैसे तीन तलाक़ में बदलाव की मांग को कट्टरपंथी धड़ा इस्लाम में दख़ल बताता है, कुछ वैसा ही आज़ादी के बाद हिंदू रूढ़ियों में बदलाव किए जाने पर अतिवादियों ने उसे हिंदू धर्म पर हमला बताया था.

सत्यभक्त: हिंदी नवजागरण के अलबेले सेनानी

जन्मदिन विशेष: डाॅ. रामविलास शर्मा ने लिखा है कि अगर भारत में किसी एक व्यक्ति को कम्युनिस्ट पार्टी का संस्थापक होने का श्रेय दिया जा सकता है तो वह सत्यभक्त ही हैं.

उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ान: भारतीय संगीत का संत कबीर

पुण्यतिथि विशेष: उस्ताद ऐसे बनारसी थे जो गंगा में वज़ू करके नमाज़ पढ़ते थे और सरस्वती को याद कर शहनाई की तान छेड़ते थे. इस्लाम में संगीत के हराम होने के सवाल पर हंसकर कहते थे, 'क्या हुआ इस्लाम में संगीत की मनाही है, क़ुरान की शुरुआत तो 'बिस्मिल्लाह' से ही होती है.'

आज रंग है ऐ मां रंग है, मेरे महबूब के घर रंग है री…

सूफ़िया-ए-किराम हों या पीर-फ़क़ीर, दरवेश हों या साधू-संत सब अपने-अपने पीर-ओ-मुर्शिद और ख़ुदा से रिश्ता क़ायम करने के लिए इश्क़ पर ज़ोर देते हैं. इश्क़ के अनेक रंगों में एक रंग होली का है.

भगत सिंह और सावरकर: दो याचिकाएं जो हिंद और हिंदुत्व का अंतर बताती हैं

भगत सिंह ने ब्रिटिश सरकार से कहा कि उनके फांसी देने की जगह गोलियों से भून दिया जाए. सावरकर ने अपील की उन्हें छोड़ दिया जाए तो आजीवन क्रांति से किनारा कर लेंगे.

क्या नेताजी के ज़िंदा होने की ख़बर नेहरू को घेरने के लिए फैलाई गई थी?

लोगों को यक़ीन दिलाया गया कि नेताजी इसलिए भूमिगत रहे क्योंकि नेहरू ने ब्रिटिश सरकार से गुपचुप समझौता किया था कि अगर नेताजी कभी जीवित मिलते हैं तो उन्हें एक युद्ध अपराधी के रूप में तत्काल ब्रिटेन को सौंप दिया जाएगा.

हमें सरहद पर बुला लें तो आज भी लड़ने के लिए तैयार हैं: लोंगेवाला लड़ाई के नायक मेजर चांदपुरी

फिल्मकार जेपी दत्ता की फिल्म बॉर्डर लाेंगेवाला की लड़ाई पर ही बनी थी, जिसमें सनी देआेल ने मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी का किरदार अदा किया था.

‘एक फिल्म ने ऐसे बादशाह की छवि बिगाड़ दी जिसने मंगोलों से हिंदुस्तान की हिफ़ाज़त की थी’

'इतिहास के ज्ञान के नाम पर जहालत इतनी है कि फिल्मों को ही इतिहास मान लिया जाता है. हमें यह समझना होगा कि फिल्म इतिहास नहीं है.'

मेरा झारखंड बनना अब भी बाकी है

कई बार पत्र-पत्रिकाओं के लेख आपको बता सकते हैं कि हमारे सपनों का झारखंड सपने से भी आगे जा चुका है पर इस सपने की सच्चाई देखनी हो तो गांव की पगडंडी पर आइये.

मशहूर गायिका गिरिजा देवी पर शास्त्रीय गायिका विद्या राव से विनोद दुआ की बातचीत

ठुमरी की मलिका कही जाने वाली प्रख्यात शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी का कोलकाता में 88 वर्ष की उम्र में निधन हो गया.

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