भारतीय होने का मतलब ही सेकुलर होना है, ऐसा देश का संविधान कहता है

आजकल सेकुलर (कुछ के लिए सिकुलर) शब्द आतंकवादी, देशद्रोही, पाकिस्तानी एजेंट, टुकड़े-टुकड़े गैंग जैसे कई शब्दों का पर्याय बन गया है.

​जन गण मन की बात, एपिसोड 191: बजट में कृषि क्षेत्र और वीआईपी कल्चर

जन गण मन की बात की 191वीं कड़ी में विनोद दुआ बजट में कृषि क्षेत्र को लेकर हुई घोषणाओं और देश में वीआईपी संस्कृति के चलन पर चर्चा कर रहे हैं.

वीडियो में राम मंदिर निर्माण की शपथ लेते नज़र आए वरिष्ठ आईपीएस

आईपीएस अधिकारी सूर्य कुमार शुक्ला ने वायरल वीडियो को शरारतन काट-छांट कर दिखाए जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह समरसतापूर्ण माहौल बनाने की शपथ ले रहे थे.

केंद्र सरकार 50 व 200 रुपये के नोटों की समीक्षा करे: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र व भारतीय रिज़र्व बैंक से कहा कि वह नए नोटों व सिक्कों के स्वरूप की समीक्षा करें, क्योंकि दृष्टिबाधित लोगों को इनकी पहचान व इस्तेमाल में परेशानी हो रही है.

चुनावी बॉन्ड के ख़िलाफ़ माकपा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

चुनावी बॉन्ड जारी करने के केंद्र के फैसले को चुनौती देते हुए माकपा ने याचिका में कहा है कि यह क़दम लोकतंत्र को कमतर करके आंकने वाला है. इससे राजनीतिक भ्रष्टाचार और अधिक बढ़ जाएगा.

बोफोर्स मामला: आरोपियों के ख़िलाफ़ आरोप निरस्त करने को सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 31 मई, 2005 को अपने फैसले में 64 करोड़ रुपये की दलाली मामले में हिंदुजा बंधुओं सहित सारे आरोपियों को आरोप मुक्त कर दिया था.

अलवर पुलिस ने चार्जशीट में पहलू खान समेत सभी पीड़ितों को बताया गो-तस्कर

पहलू खान हत्या मामले के जांच अधिकारी का कहना है कि पहलू खान के साथी ऐसे कोई भी दस्तावेज़ नहीं दिखा पाए, जिससे उन्हें गो तस्करी के मामले में निर्दोष माना जाए.

बजट 2018: वादों और दावों की भूलभुलैया

दो हज़ार करोड़ के फंड के साथ पचास करोड़ लोगों को बीमा देने की करामात भारत में ही हो सकती है. यहां के लोग ठगे जाने में माहिर हैं. दो बजट पहले एक लाख बीमा देने का ऐलान हुआ था, आज तक उसका पता नहीं है.

क्यों छत्तीसगढ़ के एक गांव के लोग किडनी और लीवर की बीमारियों के शिकार होते जा रहे हैं

राज्य के गरियाबंद ज़िले के दो हज़ार की आबादी वाले सुपेबेड़ा गांव में 235 लोग किडनी रोग ग्रस्त हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि उनके गांव में हीरा खदान होने से सरकार इसे खाली कराना चाहती है. इसलिए उनके स्वास्थ्य की अनदेखी कर रही है.

आम बजट: बड़े-बड़े बदलावों के वादे अंततः वादे ही क्यों रह गए?

प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि यह किसानों, गरीबों व वंचितों का बजट है तो उन्हें याद दिलाना होगा कि उन्होंने पिछले बजट को ‘सबके सपनों का बजट’ बताया था.

सुप्रीम कोर्ट ने मुक़दमों के आवंटन के लिए रोस्टर प्रणाली अपनाई, सीजेआई ने पीआईएल अपने पास रखीं

पिछले महीने न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में संवेदनशील जनहित याचिकाओं और महत्वपूर्ण मुक़दमे वरिष्ठता के मामले में जूनियर न्यायाधीशों को आवंटित किए जाने पर सवाल उठाए थे.

भारत में कमज़ोर हुआ लोकतंत्र, पत्रकारों के लिए बना ख़तरनाक

रूढ़िवादी धार्मिक विचारधाराओं के उभार, धर्म के नाम पर अनावश्यक सतर्कता और अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हिंसा बढ़ने के कारण भारत सर्वे में लोकतंत्र के मामले में 10 पायदान नी​चे लुढ़क गया है.

क्या मोदी सरकार का ‘इंडिया शाइनिंग’ पल आ चुका है?

1999 में एनडीए-1 ने 8% जीडीपी वृद्धि दर के साथ अपनी पारी की शुरुआत की थी, लेकिन बाद के तीन वित्तीय वर्षों के बीच जीडीपी वृद्धि दर में तेज़ गिरावट देखी गई. यही कहानी एनडीए-2 में भी दोहराई जा रही है.