डिजिटल पब्लिकेशन के एसोसिएशन डिजिपब ने सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखकर इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस) नियम 2021 का विरोध किया है. उन्होंने नए नियमों को अनुचित और इसके क्रियान्वयन के तरीके को अभिव्यक्ति की आज़ादी का उल्लंघन बताया है.
सोशल मीडिया मंचों का दुरुपयोग रोकने के लिए लाए गए केंद्र के नए दिशानिर्देश ऑनलाइन न्यूज़ और डिजिटल मीडिया इकाइयों भी पर भी लागू होंगे. सूचना एवं प्रसारण सचिव के अनुसार अब से न्यूज़ पोर्टल्स को अपने संपादकीय प्रमुख, स्वामित्त्व समेत अन्य कई जानकारियां सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को देनी होंगी.
गूगल इंडिया के देश में प्रबंधक संजय गुप्ता को लिखे पत्र में इंडियन न्यूज़पेपर सोसाइटी की ओर से कहा गया है कि अख़बरों के छपी ख़बरों के लिए गूगल को भुगतान करना चाहिए. अख़बार हज़ारों पत्रकारों को नियुक्त करते हैं और उनके ज़रिये ख़बरें प्राप्त करते हैं. इसमें काफी ख़र्च होता है.’
ऑस्ट्रेलिया की संसद ने डिजिटल क्षेत्र की बड़ी कंपनियों गूगल और फेसबुक को समाचार के लिए उचित भुगतान करने के संबंध में लाए जा रहे न्यूज़ मीडिया बारगेनिंग कोड में संशोधन किया है. पिछले सप्ताह इस क़ानून का प्रस्ताव आने के बाद फेसबुक ने देश में समाचार साझा करने पर पाबंदी लगा दी थी.
इस फैसले का विरोध करते हुए अंतरराष्ट्रीय एजेंसी एसोसिएट प्रेस ने इस दौरे की कवरेज न करने का निर्णय लिया है. एजेंसी ने कहा कि आधे से भी कम दर्शकों को प्रवेश की अनुमति देने के बावजूद स्वतंत्र मीडिया के एक या दो फोटोग्राफरों को प्रवेश की अनुमति न देते हुए कहा गया कि आयोजकों द्वारा दी तस्वीरों का इस्तेमाल करें.
बांदीपोरा के स्वतंत्र पत्रकार सज्जाद गुल ने एक तहसीलदार द्वारा एक गांव में कथित अवैध निर्माण हटाने और ग्रामीणों के प्रशासन पर प्रताड़ना के आरोप पर एक रिपोर्ट लिखी थी. गुल ने कहा कि इसके बाद तहसीलदार ने बदले की भावना से उनकी संपत्ति में तोड़फोड़ की और उन पर मामला दर्ज करवाया.
वीडियो: मौजूदा दौर में राजनीति और मीडिया के बड़े मंच ऐसे दयनीय हाल में हैं कि ख़ुद ही चुटकुला बन गए हैं. दूसरी तरफ गंभीर पत्रकारों या कॉमेडियंस की टिप्पणियों से कभी सरकार, तो कभी न्यायपालिका को आहत हो रहे हैं. इन्हीं मुद्दों पर वरिष्ठ पत्रकार प्रियदर्शन और टीवी एंकर मीनाक्षी श्योराण से चर्चा कर रहे हैं उर्मिलेश.
फेसबुक पर समाचार साझा किए जाने के बदले सोशल मीडिया कंपनी द्वारा मीडिया संस्थानों को भुगतान किए जाने के संबंध में एक प्रस्तावित क़ानून के ख़िलाफ़ जवाबी कार्रवाई करते हुए कंपनी ने यह क़दम उठाया है. ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने इसकी निंदा की है.
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध सूचना के आधार पर पत्रकार राजदीप सरदेसाई के ख़िलाफ़ अदालत द्वारा स्वत: संज्ञान लेकर अवमानना मामला दर्ज करने के संबंध में मीडिया में ख़बर आई थी. हालांकि न्यायालय ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि ऐसा ग़लती से हो गया था.
बीते 13 फरवरी की शाम को इंफाल पश्चिम ज़िले के कीशामपाट थियाम लीकाई में पोकनाफाम अख़बार के दफ़्तर पर हैंड ग्रेनेड फेंका गया था, जिसके विरोध में पत्रकारों ने धरना दिया. उन्होंने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपते हुए अपील की कि राज्य में प्रेस के स्वतंत्र रूप से काम करना सुनिश्चित किया जाए.
अक्टूबर 2020 में हाथरस में दलित युवती से सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद वहां जा रहे केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को ज़मानत देते हुए शीर्ष अदालत ने उन्हें परिजनों और डॉक्टरों के अलावा किसी से मिलने की अनुमति नहीं दी है. पीठ ने यह भी कहा इस दौरान वे सोशल मीडिया समेत मीडिया को कोई इंटरव्यू नहीं देंगे.
वीडियो: बीते दिनों कई संपादकों-पत्रकारों पर आपराधिक मामले ठोंके गए, गिरफ़्तारी बचने के लिए उन्हें सुप्रीम कोर्ट की शरण लेनी पड़ी. इस बीच स्वतंत्र न्यूज़ पोर्टल न्यूज़क्लिक पर ईडी अभूतपूर्व छापेमारी की ख़बर आई. इसी विषय पर दो वरिष्ठ पत्रकारों डॉ. मुकेश कुमार और टीके राजलक्ष्मी से उर्मिलेश की बातचीत.
जम्मू कश्मीर के न्यूज़ पोर्टल द कश्मीर वाला के दो पत्रकारों के ख़िलाफ़ यह मामला सेना की शिकायत पर उनकी एक रिपोर्ट के लिए दर्ज किया गया है. रिपोर्ट में बताया गया था कि शोपियां ज़िले के एक मदरसे को गणतंत्र दिवस समारोह आयोजित करने के लिए सेना द्वारा मजबूर किया गया था.
26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड के दौरान जान गंवाने वाले एक प्रदर्शनकारी के परिवार के दावों को लेकर द वायर की इस्मत आरा ने एक रिपोर्ट लिखी थी, जिसे ट्विटर पर साझा करने के बाद द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन के ख़िलाफ़ रामपुर में एफ़आईआर दर्ज की गई थी.
वीडियो: किसान आंदोलन के शांतिपूर्ण होने के बावजूद सरकार का रुख कड़ा और अड़ियल है. मुख्यधारा का मीडिया पूरी तरह उसके साथ है. इंटरनेट बैन, किसानों की गिरफ़्तारी के साथ कई पत्रकारों पर भी मामले दर्ज हुए. इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार प्रंजॉय गुहा ठाकुरता और द वायर के अजॉय आशीर्वाद से उर्मिलेश की बातचीत.