डिजिटल प्रकाशकों ने किया नए आईटी नियमों का विरोध, कहा- ख़बरों के मूल सिद्धांतों के विपरीत

डिजिटल पब्लिकेशन के एसोसिएशन डिजिपब ने सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखकर इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस) नियम 2021 का विरोध किया है. उन्होंने नए नियमों को अनुचित और इसके क्रियान्वयन के तरीके को अभिव्यक्ति की आज़ादी का उल्लंघन बताया है.

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New Delhi: HRD Minister Prakash Javadekar speaks during a press conference at BJP Headquarter in New Delhi, on Friday. PTI Photo by Manvender Vashist(PTI3_23_2018_000241B)
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर (फोटो: पीटीआई)

डिजिटल पब्लिकेशन के एसोसिएशन डिजिपब ने सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखकर इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस) नियम 2021 का विरोध किया है. उन्होंने नए नियमों को अनुचित और इसके क्रियान्वयन के तरीके को अभिव्यक्ति की आज़ादी का उल्लंघन बताया है.

New Delhi: HRD Minister Prakash Javadekar speaks during a press conference at BJP Headquarter in New Delhi, on Friday. PTI Photo by Manvender Vashist(PTI3_23_2018_000241B)
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः द वायर  सहित न्यूज और करंट अफेयर्स के डिजिटल पब्लिकेशन के एसोसिएशन डिजिपब ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखकर नए इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस) नियम 2021 को लेकर पुरजोर विरोध दर्ज कराया है.

दरअसल सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने 25 फरवरी को फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया मंचों पर निगरानी और डिजिटल मीडिया और स्ट्रीमिंग मंचों के लिए नए दिशानिर्देशों में कड़े नियम बनाए हैं. इन नियमों का विस्तृत विश्लेषण यहां मौजूद है.

डिजिपब न्यूज इंडिया फाउंडेशन के तत्वावधान में ऑनलाइन प्रकाशनों ने इन नए नियमों को अनुचित, इनके नियमन की प्रक्रिया को अलोकतांत्रिक और इनके क्रियान्वयन के तरीके को अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन बताया.

इस पत्र में कहा गया, ‘1950 के दशक की शुरुआत में प्रेस काउंसिल की स्थापना के साथ विचार यह था कि प्रिंट माध्यम को सभी तरह के कार्यकारी हस्तक्षेपों से दूर रखा जाएगा. ऐसा न सिर्फ प्रकाशन के हित में किया गया बल्कि व्यापक जनता के हित में ऐसा किया गया ताकि समाचारों के व्यापक प्रसार को सुनिश्चित किया जा सके.’

नवंबर 2020 में डिजिपब ने एक बयान जारी किया था, जिसमें कहा गया कि किस तरह केंद्र सरकार डिजिटल मीडिया को अपने दायरे में लाने की योजना बना रहा है, जिससे निशुल्क समाचार प्रसार को नुकसान पहुंचेगा.

इस ताजा पत्र में कई उदाहरणों का उल्लेख किया गया है, जहां केंद्र सरकार द्वारा नए नियमों के क्रियान्वयन से मतलब होगा कि कार्यपालिका द्वारा न्यायपालिका की शक्तियों को आत्मसात किया जाएगा.

पत्र में कहा गया कि ऑनलाइन करंट अफेयर्स पब्लिकेशन डिजिटल फॉर्मेट में अखबार की तरह ही है. पत्र में कहा गया, ‘आईटी एक्ट को अपने दायरे में डिजिटल मीडिया को लाने की जरूरत नहीं है. डिजिटल मीडिया पर न्यूज कंटेंट को रेगुलेट करने के लिए नियम पहले से ही मौजूद हैं.’

इन नए दिशानिर्देशों की प्रक्रिया में विचार-विमर्श न किए जाने के सवाल को उठाते हुए समूह ने कहा कि उन्होंने दिसंबर में संबंधित मंत्री को पत्र लिखा था और इन नियमों के विनिमयन से पहले चर्चा में भाग लेने के लिए आमंत्रित करने की मांग की थी लेकिन कोई जवाब नहीं आया.

पत्र में कहा गया, ‘हम डिजिपब समाचारों और करंट अफेयर्स के डिजिटल प्रकाशनों का एसोसिएशन हैं, जो देश में डिजिटल न्यूज प्रकाशनों का एक बड़ा हिस्सा है. हम डिजिटल न्यूज मीडिया सहित देश में सभी मीडिया संस्थाओं के स्वनियमन की जरूरत पर जोर देने वाले सूचना एवं प्रसारण मंत्री की पहल और बयानों का स्वागत करते हैं. यह जरूरी और हमारे वक्त की जरूरत है. हमें इस प्रक्रिया का हिस्सा बनकर खुशी होगी, जिसके जरिए हम ऐसा करने के लिए एक उपयुक्त तंत्र बना सकते हैं.’

हालांकि, हमें 25 फरवरी 2021 को घोषित और अधिसूचित इन नियमों को लेकर कुछ चिंताएं हैं. ये नियम कुछ स्थानों पर समाचारों के मूल सिद्धांतों और लोकतंत्र में इनकी भूमिका के खिलाफ लगते हैं.

बता दें कि मोदी सरकार ने गुरुवार को फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया मंचों पर निगरानी और डिजिटल मीडिया और स्ट्रीमिंग मंचों को कड़े नियमों में बांधने की अपनी योजना का अनावरण किया था.

इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस) नियम 2021 के नाम से लाए गए ये दिशानिर्देश देश के टेक्नोलॉजी नियामक क्षेत्र में करीब एक दशक में हुआ सबसे बड़ा बदलाव हैं. ये इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस) नियम 2011 के कुछ हिस्सों की जगह भी लेंगे.

इन नए बदलावों में ‘कोड ऑफ एथिक्स एंड प्रोसीजर एंड सेफगार्ड्स इन रिलेशन टू डिजिटल/ऑनलाइन मीडिया’ भी शामिल हैं. ये नियम ऑनलाइन न्यूज़ और डिजिटल मीडिया इकाइयों से लेकर नेटफ्लिक्स और अमेज़ॉन प्राइम पर भी लागू होंगे.

मंत्रालय ने एक बयान में बताया था कि डिजिटल मीडिया पर खबरों के प्रकाशकों को भारतीय प्रेस परिषद की पत्रकारीय नियमावली तथा केबल टेलीविजन नेटवर्क नियामकीय अधिनियम की कार्यक्रम संहिता का पालन करना होगा, जिससे ऑफलाइन (प्रिंट, टीवी) और डिजिटल मीडिया के बीच समान अवसर उपलब्ध हो.

नियमों के तहत स्वनियमन के अलग-अलग स्तरों के साथ त्रिस्तरीय शिकायत निवारण प्रणाली भी स्थापित की गई है. इसमें पहले स्तर पर प्रकाशकों के लिए स्वनियमन होगा, दूसरा स्तर प्रकाशकों के स्वनियामक निकायों का स्वनियिमन होगा और तीसरा स्तर निगरानी प्रणाली का होगा.

(इस पत्र को पूरा पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)