जन गण मन की बात की 128वीं कड़ी में विनोद दुआ भारत में बढ़ती बेरोज़गारी और आधार पर चर्चा कर रहे हैं.
पनामा पेपर मामले में पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोग्य ठहराए जाने के बाद नवाज़ शरीफ़ को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा था.
इस साल मार्च में लोकसभा ने दलों को कॉर्पोरेट घरानों से मिलने वाले चंदे में ढील देने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी थी.
पूर्व विदेश मंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर हमारी ख़ुद की ग़लतियों की वजह से पाकिस्तान अनिवार्य तीसरा पक्ष बन गया है.
स्वतंत्र पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी बता रही हैं कि एक लोकतंत्र में अगर सरकार नागरिकों पर हमला कर रही है तो हम किस लोकतंत्र में रह रहे हैं?
मीडिया बोल की 17वीं कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश मीडिया पर कॉरपोरेट दबाव और क़ानूनी बंदिशों पर कारवां पत्रिका के राजनीतिक संपादक हरतोष सिंह बल और द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु के साथ चर्चा कर रहे हैं.
अब यह हम पर निर्भर है कि क्या हम ये होने देंगे या अपने दौर के लिए एक नया गांधी रचेंगे.
बाद में अभिनेता ने कहा, ‘मैं मूर्ख नहीं हूं कि ख़ुद को मिले राष्ट्रीय पुरस्कार लौटा दूं. यह मुझे मेरे काम की वजह से मिला है और मुझे इस पर गर्व है.’
हिंदू अहिंसक और मुसलमान हिंसक है, यह बात अगर सही हो तो अहिंसा का धर्म क्या है? अहिंसक को आदमी की हिंसा करनी चाहिए, ऐसा कहीं लिखा नहीं है. अहिंसक के लिए तो राह सीधी है. उसे एक को बचाने के लिए दूसरे की हिंसा करनी ही नहीं चाहिए.
गांधी गाय को माता मानते हुए भी उसकी रक्षा के लिए इंसान को मारने से इनकार करते हैं. उनके ही देश में गोरक्षकों ने पीट-पीट कर मारने का आंदोलन चला रखा है.
ज़िला प्रशासन ने कहा, दुर्गा पूजा और मुहर्रम की वजह से अधिकांश पुलिस बल ड्यूटी पर होगा इसलिए शांति कायम करने में असुविधा होगी.
टैक्स स्लैब कम करने का संकेत देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि शासन की जीवन रेखा राजस्व है और यही भारत को विकासशील से विकसित अर्थव्यवस्था बनाएगा.
डूबती अर्थव्यवस्था को लेकर कई भाजपा नेता लगातार वित्त मंत्री पर हमला कर रहे हैं, लेकिन जिन आर्थिक फैसलों से यह स्थिति आई है, उन्हें लेने में प्रधानमंत्री की भूमिका पर एक चुप्पी छाई हुई है.
जन गण मन की बात की 127वीं कड़ी में विनोद दुआ अर्थव्यवस्था को लेकर यशवंत सिन्हा के बयान और दिल्ली में हिरासत में लिए गए बीएचयू छात्रों पर चर्चा कर रहे हैं.
पीएम को लिखे पत्र में रवीश ने कहा, ‘दुख की बात है कि अभद्र भाषा और धमकी देने वाले कुछ लोगों को आप ट्विटर पर फॉलो करते हैं. मुझे पूरी उम्मीद है कि धमकाने, गाली देने और घोर सांप्रदायिक बातें करने को आप फॉलो करने की योग्यता नहीं मानते होंगे.’