मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के ‘मिशन 29’ की राह का सबसे बड़ा रोड़ा बनी वरिष्ठ कांग्रेसी कमल नाथ के प्रभाव वाली छिंदवाड़ा लोकसभा सीट को जीतने के लिए पार्टी ने ‘दल बदल की राजनीति’ को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाया है.
23 बरस पहले उत्तराखंड जिस मकसद के लिए बनाया गया, उसे लेकर आज लगता है कि लोगों की आकांक्षाओं को अनदेखा किया गया और बुनियादी मुद्दों से भटकाने के लिए धार्मिक ध्रुवीकरण की ओर धकेल दिया गया.
प्रधानमंत्रियों के निर्वाचन क्षेत्र के निवासी वीआईपी सीट के गुमान में भले जीते रहें, लेकिन इससे उनकी सामाजिक-राजनीतिक चेतना पर कोई फ़र्क पड़ता दिखाई नहीं देता. और न प्रधानमंत्री की उपस्थिति ऐसे क्षेत्रों की समस्याओं को सुलझा पाती है.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: हिंदी में पिछले लगभग पचास वर्षों से साहित्य को राजनीतिक-सामाजिक संदर्भों में पढ़ने-समझने की प्रथा लगभग रूढ़ हो गई है. ये संदर्भ साहित्य को समझने में सहायक होते हैं पर साहित्य को उन्हीं तक महदूद करना साहित्य की समग्रता से दूर जाना है.
तीन-चार अप्रैल की रात लगभग 1 बजे ‘बोलता हिंदुस्तान’ की टीम को ईमेल में कहा गया कि सरकार के निर्देश पर उनका चैनल ब्लॉक कर दिया गया है. टीम की ओर से सवाल किए जाने पर जवाब मिला कि कम्युनिटी गाइडलाइंस के उल्लंघन के चलते यह कार्रवाई हुई. हालांकि, कौन-सी गाइडलाइंस का उल्लंघन हुआ, यह नहीं बताया गया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार चुनाव शुरू होने के ऐलान के पहले सरकारी ख़र्चे से अपना प्रचार बड़े पैमाने पर कर चुकी थी. इस तरह वह पहले ही उस रेस में दौड़ना शुरू कर चुकी थी जहां विपक्षी दल इसके शुरू होने घोषणा का इंतज़ार कर रहे थे.
नीरज शेखर की राजनीति समाजवादी पार्टी से शुरू हुई थी, वो दो बार सपा की टिकट पर सांसद भी रहे हैं, लेकिन 2019 में भाजपा उन्हें अपने पाले में ले आई और इस बार उन्हें टिकट देकर पार्टी ने परिवारवाद को खुद ही आत्मसात कर लिया.
भारत आदिवासी पार्टी ने स्थापना के मात्र ढाई महीने बाद हुए राजस्थान और मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में 35 निर्वाचन क्षेत्रों (27 राजस्थान और 8 मध्य प्रदेश) में चुनाव लड़कर 4 सीटों पर जीत हासिल की.
फुटबॉल में भारत का शानदार इतिहास होने के बाद भी ये खेल आज न तो लोगों के दिलों में है और न ही मैदान में अपनी स्वर्णिम विरासत को आगे लेकर बढ़ पाया है. शायद देश ने फुटबॉल को भुला दिया है, या यूं कहें कि ये खेल राजनीति की भेंट चढ़ गया है.
समानता के नाम पर पुष्कर सिंह धामी सरकार की जिस यूसीसी का ढोल सारे देश में पीटा जा रहा है उसमें 'निवासी' को लेकर जो परिभाषा दी गई है उसने नया बवाल खड़ा कर दिया है और इस पर सत्तारूढ़ दल को जवाब देते नहीं बन रहा है.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: हिंसा को सार्वजनिक अभिव्यक्ति का लगभग क़ानूनी माध्यम स्वीकार किया जाने लगा है. समाज उसे और उसके फैलाव को लेकर, उसके साथ जुड़े झूठों और घृणा को लेकर विचलित नहीं है. पढ़े-लिखे लोग उसे अवसर मिलते ही, उचित ठहराने लगे हैं.
अपनी जनतांत्रिक छवि चमकाने के लिए ‘मदर आफ डेमोक्रेसी’ होने के दावों से शुरू हुई भारत सरकार की यात्रा फिलवक्त डेमोक्रेसी रेटिंग गढ़ने के मुक़ाम तक पहुंची है. अभी वह किन-किन मुकामों से गुजरेगी इसके बारे में भविष्यवाणी नहीं की जा सकती.
केंद्र सरकार ने 2021 में देश में निजी संस्थाओं को सैनिक स्कूल चलाने की अनुमति दी थी. द रिपोर्टर्स कलेक्टिव के अनुसार, ऐसे 40 निजी सैनिक स्कूलों में से कम से कम 62% ऐसे थे जो आरएसएस और उसके सहयोगी संगठनों, भाजपा के नेताओं, उसके राजनीतिक सहयोगियो, हिंदुत्व संगठनों, व्यक्ति और अन्य हिंदू धार्मिक संगठनों से जुड़े थे.
फुटबॉल और कुश्ती के अलावा अन्य खेलों में प्रताड़ना और यौन हिंसा के मामले सामने आ चुके हैं. जुलाई 2022 में केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने राज्यसभा में बताया था कि जनवरी 2017 से जुलाई 2022 के बीच भारतीय खेल प्रतिष्ठानों में यौन उत्पीड़न की 30 शिकायतें मिली थीं, जिनमें दो अनाम थीं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक चैनल को दिए साक्षात्कार में दावा किया है कि उनके द्वारा लाई गई चुनावी बॉन्ड योजना के कारण ही राजनीतिक चंदे के स्रोतों के नाम सामने आए हैं. हालांकि, हक़ीक़त यह है कि मोदी सरकार ने चंदादाताओं के नाम छिपाने के लिए हरसंभव कोशिश की थी.