2014 में भाजपा की जीत के बाद से चुनावी राजनीति में ‘सांप्रदायिक आपातकाल’ की स्थिति है

2014 के पहले तक ‘राजनीतिक बहुमत’ और ‘सांप्रदायिक बहुमत’ के बीच की खाई औपचारिक रूप से बनी रही. ज़मीन पर जो भी हालात रहे हों लेकिन चुनाव एक भ्रम पैदा करने वाले एक मुखौटे के रूप में काम करते रहे. लेकिन केंद्र में भाजपा के आने के बाद यह मुखौटा भी उतर गया.

राम मंदिर पर बोले योगी- प्रभु राम का काम है, वही तिथि तय करेंगे

लखनऊ में हुए एक कार्यक्रम में राम मंदिर पर सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि व्यक्ति को आशावादी बनना चाहिए. जो कार्य होना है वह होकर ही रहेगा उसे कोई टाल नहीं सकता है.

ग्राउंड रिपोर्ट: क्या मिर्चपुर का ज़ख़्म कभी भर सकेगा?

21 अप्रैल 2010 को हरियाणा के हिसार ज़िले के मिर्चपुर गांव में जाट समुदाय के लोगों ने दलितों के दर्जनों घरों में आग लगा दी थी और दो लोगों को ज़िंदा जला दिया था. हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने 33 लोगों को दोषी ठहराया और 12 लोगों को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई है.

आपराधिक मामलों वाले नेताओं के बारे में जानकारी न देने पर सुप्रीम कोर्ट की केंद्र को फटकार

जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा सरकार नेताओं के खिलाफ दायर मामलों का हल निकालने के लिए तैयार नहीं दिख रही है. जबकि कोर्ट को आदेश पारित करने के लिए बाध्य किया जा रहा है.

डॉलर के मुकाबले रुपया पहली बार 71 के न्यूनतम स्तर पर

रुपये के भाव में लगातार गिरावट से निर्यातक वैश्विक बाजारों में अपने माल का सही मोल-भाव नहीं कर पा रहे हैं जिससे उन्हें अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है.

नोटबंदी: न ख़ुदा ही मिला न विसाल ए सनम

सरकार का कहना था कि बंद किए गए नोटों में से लगभग 3 लाख करोड़ मूल्य के नोट बैंकों में वापस नहीं आएंगे और यह काले धन पर कड़ा प्रहार होगा, लेकिन रिज़र्व बैंक मुताबिक अब नोटबंदी के बाद जमा हुए नोटों का प्रतिशत 99 के पार पहुंच गया है. यानी या तो इन नोटों में कोई काला धन था ही नहीं या उसके होने के बावजूद सरकार उसे निकालने में विफल रही.

‘प्रतिरोध की हर आवाज़ का अपराधीकरण कर रही है सरकार’

वीडियो: भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में देश के विभिन्न हिस्सों से हुई सामाजिक कार्यकताओं की गिरफ्तारी पर द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन से मीनाक्षी तिवारी की बातचीत.

मणिपुर मुठभेड़: 356 जवानों द्वारा ‘उत्पीड़न’ के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका चिंताजनक क्यों है?

यह क़दम इस बात का संकेत देता है कि सैनिकों को यह लगता है कि आफ्सपा लागू होने के बावजूद उस पर अन्यायपूर्ण तरीक़े से मुक़दमा चलाया जा रहा है. सर्वोच्च न्यायालय का फ़ैसला चाहे जो भी आए, मगर ऐसा लगता है कि सैनिक अपने धैर्य के आख़िरी बिंदु पर पहुंच गया है.

नोटबंदी के समय उल्लू बने लोग हाज़िर हों, 99.3 प्रतिशत पैसा बैंकों में वापस आ गया है

भारतीय रिज़र्व बैंक की रिपोर्ट आई है कि नोटबंदी के वक्त 15.41 लाख करोड़ सर्कुलेशन में था, जिसमें से 15.31 लाख करोड़ वापस आ गया है. यानी व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी का यह दावा कि नोटबंदी से ब्लैक मनी नष्ट हो जाएगा, बोगस निकल गया है.

कौन हैं वे सामाजिक कार्यकर्ता जो महाराष्ट्र पुलिस के निशाने पर हैं

महाराष्ट्र पुलिस ने मंगलवार को देश के विभिन्न हिस्सों से कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया और कइयों के घरों पर छापेमारी की. इन सभी का सामाजिक आंदोलनों और मानवधिकार से जुड़े रहने का इतिहास रहा है.

अचानक इतने सारे ‘अर्बन नक्सल’ कहां से प्रकट हो रहे हैं?

पुलिस और कुछ टेलीविजन चैनलों के आपसी मिलीभगत से जिस तरह से वर्तमान समय में एक बड़े और लगातार विकसित हो रहे ‘अर्बन नक्सल’ (शहरी माओवादी) के नेटवर्क के प्रेत को खड़ा किया जा रहा है, उसे देखते हुए ऐसा लगता है कि हम फासीवाद की तरफ काफी तेजी से छलांग लगा रहे हैं.

बाल आसरा घरों पर एनसीपीसीआर की रिपोर्ट ‘खौफनाक’, हम असहाय हैं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर हम कोई निर्देश देते हैं तो उसे 'न्यायिक सक्रियतावाद' करार दे दिया जाता है. यदि अधिकारियों ने ठीक से अपना काम किया होता तो बिहार में मुजफ्फरपुर जैसी घटनाएं नहीं होतीं.

मतदाताओं को उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि जानने का अधिकार है: सुप्रीम कोर्ट

गंभीर आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे लोगों को चुनावी राजनीति में आने की इजाजत नहीं देने की मांग करने वाली जनहित याचिकाओं पर कोर्ट सुनवाई कर रही है.

असम में एनआरसी से बाहर रहे 10 फीसदी लोगों का हो दोबारा वेरिफिकेशन: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम एनआरसी की विश्वसनीयता जांचने के लिए नमूना सर्वेक्षण कराना चाहते हैं. यह वेरिफिकेशन सर्वे उन दस फीसदी लोगों का होगा जिनकी जांच हो चुकी है.

भीमा कोरेगांव हिंसा: पुणे पुलिस ने पांच और सामाजिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया

पुलिस का दावा है कि भीमा कोरेगांव हिंसा से एक दिन पहले हुए एल्गार परिषद कार्यक्रम में हुए भाषणों से हिंसा भड़की थी, जिसमें कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया था. मंगलवार सुबह से देश के विभिन्न शहरों में कई सामाजिक कार्यकर्ताओं के घरों पर पुलिस ने छापे मारे हैं.

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