‘सरकार ने नर्मदा घाटी के साथ बहुत बुरा किया, जनता का राज है और जनता को ही खतम ​कर दिया’

ग्राउंड रिपोर्ट: मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में सरदार सरोवर बांध के डूब में समा रहे भादल गांव के एक बुजुर्ग आदिवासी पुस्लिया पटेल की व्यथा.

गरीबी के पीछे टेक्निकल रीज़न हो या न हो पर कुछ की अमीरी के पीछे टेक्निकल रीज़न ज़रूर है

आपके हाथ की लकीरों में ही भारत की क़िस्मत की लकीर है. और जिस दिन भारत की क़िस्मत चमक गई, उस दिन हम सब भारतीयों की क़िस्मत एक साथ चमक जाएगी.

जन गण मन की बात, एपिसोड 132: जय अमित शाह और रॉबर्ट वाड्रा 

जन गण मन की बात की 132वीं कड़ी में विनोद दुआ, जय अमित शाह-रॉबर्ट वाड्रा और दिल्ली-एनसीआर में पटाखा बिक्री पर रोक के बारे में चर्चा कर रहे हैं.

‘भारत में हिंदुत्ववादी कट्टरपंथियों के कारण मीडिया में सेल्फ सेंसरशिप की प्रवृत्ति बढ़ी’

अंतरराष्ट्रीय संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स का कहना है कि 2015 से अब तक सरकार की आलोचना करने वाले नौ पत्रकारों की हत्या कर दी गई.

हम भी भारत, एपिसोड 04: जय अमित शाह का जादुई ‘विकास’

हम भी भारत की चौथी कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी द वायर में जय अमित शाह​ की कंपनी से जुड़ी रिपोर्ट लिखने वाली पत्रकार रोहिणी सिंह, कॉमन कॉज़ संस्था के विपुल मुद्गल और द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु के साथ चर्चा कर रही हैं.

ख़िलजी युद्ध जीतने के बाद पाता है कि उसे मुट्ठीभर राख के सिवा कुछ नहीं मिला

जायसी का ‘पद्मावत’ युद्ध की व्यर्थता को दिखाने वाली रचना है. यह प्रेम की पीड़ा को रेखांकित करने वाला काव्य है. क्या भंसाली की फिल्म में प्रेम की ये पीड़ा दिखेगी?

मोदी सरकार आने के बाद 16000 गुना बढ़ा अमित शाह के बेटे की कंपनी का टर्नओवर

विशेष रिपोर्ट: नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री और अमित शाह के भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद अमित शाह के बेटे जय शाह के व्यवसाय में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी दर्ज की गई.

आरएसएस कार्यकर्ताओं के कथित बम हमले के ख़िलाफ़ माकपा ने बुलाया बंद

भाजपा की जनरक्षा यात्रा के बीच केरल में माकपा और कांग्रेस ने आरएसएस कार्यकर्ताओं पर लगाया हमले का आरोप, दोनों ने अलग अलग किया बंद का आह्वान. रिजिजू बोले, माकपा के विचार राष्ट्र विरोधी.

यह समाज और इसका वातावरण बच्चों के अनुकूल नहीं है

यह ‘अच्छे स्पर्श’ और ‘बुरे स्पर्श’ की सरलीकृत बायनरी से आगे बढ़ने का वक़्त है. बच्चों के लिए न विशेष अदालतें हैं, न काउंसलिंग के इंतज़ाम हैं, न ही सुरक्षित वातावरण जिसमें वह पल-बढ़ सकें.

गुजरात दंगे में माया कोडनानी की भूमिका और अमित शाह की गवाही के मायने

विशेष साक्षात्कार: ‘फिक्शन आॅफ फैक्ट फाइंडिंग: मोदी एंड गोधरा’ किताब केे लेखक मनोज मिट्टा से चर्चा कर रहे हैं द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन.

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