तीन तलाक़ मामले में मुख्य याचिकाकर्ता उत्तराखंड के काशीपुर की रहने वाली शायरा बानो की आपबीती.
बहुमत के फैसले में कहा गया कि तीन तलाक सहित कोई भी प्रथा जो कुरान के सिद्धांतों के खिलाफ है, अस्वीकार्य है.
क्या आम्रपाली और जेपी समूह के सताए फ्लैट ओनर पुलिस की गोली से मारे जा रहे किसानों को लेकर व्यथित हुए होंगे, क्या जंतर मंतर पर होने वाले धरनों से सहानुभूति रखते होंगे? क्या कभी नर्मदा के विस्थापितों के लिए अनशन कर रहीं मेधा पाटकर के लिए कुछ सोचा होगा?
मीडिया बोल में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश ‘राइज़िंग कश्मीर’ के संपादक सैयद शुजात बुख़ारी और वरिष्ठ पत्रकार अशोक टंडन के साथ कश्मीर, धारा 35A के विवाद और मीडिया कवरेज पर चर्चा कर रहे हैं.
रायपुर के बीआर आंबेडकर अस्पताल का मामला. मुख्यमंत्री रमन सिंह ने दिए जांच के आदेश.
जन्माष्टमी पर योगी आदित्यनाथ के बयान ने सोचने के लिए मजबूर कर दिया. कंस की याद आई जिसने अपनी बहन देवकी की सभी संतानों को मार डाला था.
पिछले एक महीने में सीवर और नाला सफाई के दौरान 10 सफाईकर्मियों की मौत हो चुकी है.
हजारी प्रसाद द्विवेदी सही मायने में पंडित थे. वैसे पंडित नहीं, जो शास्त्र और वेद को पढ़कर जड़ और हिंसक हो जाता है, बल्कि वैसे, जो कबीर की तरह प्रेम या मनुष्यता का ढाई आखर पढ़कर पंडित होता है.
जन गण मन की बात की में विनोद दुआ राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे पर एडीआर की रिपोर्ट और कार्ति चिदंबरम पर सीबीआई के शिकंजे पर चर्चा कर रहे हैं.
स्वाइन फ्लू से गुजरात में शुक्रवार को ही 10 लोगों की मौत हुई, दिल्ली में अब तक 15 और यूपी में 35 लोगों की मौत हो चुकी है.
कोर्ट ने कहा, 'ये घटना दुर्भाग्यपूर्ण है, सही तथ्य सामने आने चाहिए, जिससे इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों. कोर्ट के आदेश से पहले मौत के कारणों पर सरकार का जवाब आना ज़रूरी है.'
एक जीवंत लोकतंत्र में 60 से ज़्यादा बच्चों की मौत किसी राजनेता का करिअर ख़त्म कर सकता था, लेकिन भारत में ऐसा नहीं होता.
बरेली के मंडलायुक्त ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अधिकारियों को कहा है कि वे तुरंत उन मदरसों की सूची सौंपे जहां राष्ट्रगान नहीं गाया गया.
फर्ज़ी मुठभेड़ के आरोप में कई साल न्यायिक हिरासत में रह चुके एनके अमीन और तरुण बारोट को रिटायर होने के बाद गुजरात सरकार ने पुलिस अधीक्षक पद पर नियुक्त किया था.
धृतराष्ट्र आलिंगन लोकबुद्धि के सबसे दिलचस्प शब्दों में से एक है. शक्तिशाली जब सम्मुख हो तो उसके प्रत्येक प्रस्ताव की ठीक से जांच किए बिना उसे ग्रहण करना ख़ुद को जोख़िम में डालना है.