‘पीरियड: एंड ऑफ सेंटेंस’ नाम की यह शॉर्ट फिल्म ऑकवुड स्कूल इन लॉस एंजिलिस के छात्रों और उनकी शिक्षक मिलिसा बर्टन द्वारा शुरू किए गए ‘द पैड प्रोजेक्ट’ का हिस्सा है. कहानी उत्तर प्रदेश के हापुड़ शहर की है.
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि पुलवामा हमले में शहीद हुए 40 जवान ‘राजनीति का शिकार' बने हैं.
इस बेकरी की शुरुआत साल 1947 में भारत- पाकिस्तान बंटवारे के बाद भारत आए एक सिंधी शख्स खानचंद रामनामी ने की थी. रामनामी कराची से हैदराबाद आए थे इसीलिए उन्होंने बेकरी का नाम कराची बेकरी रख दिया.
बिहारः मोकामा शेल्टर होम से सात लड़कियां लापता, मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह मामले की पीड़िताएं भी शामिल
एक पुलिस अधिकारी ने शेल्टर होम प्रबंधन पर सहयोग नहीं करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने गुपचुप तरीके से काम किया है. उन्होंने कहा कि सरकार की महिला प्रतिनिधियों को भी लड़कियों से मिलने की अनुमति नहीं दी जा रही.
आलोचना को सामान्यतया एक नीरस अकादमिक काम माना जाता है और आलोचकों को रचनाकारों की तरह बड़ी संख्या में प्रशंसक पाठक नसीब नहीं होते. नामवर सिंह इसके विराट अपवाद थे.
इससे पहले मार्च 2018 को किसानों ने अपनी मांगों के साथ नासिक से मुंबई तक लंबी रैली की थी. आरोप है कि महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार ने किसानों की मांगों को पूरा नहीं किया है, इसकी वजह से किसान एक बार फिर विरोध प्रदर्शन करने को मजबूर हुए हैं.
आज़ादी के इतिहास को देखने पर यह पता चलता है कि तत्कालीन नेताओं ने आज़ादी को प्राप्त करने हेतु अपने-अपने मार्गों पर चलने का कार्य किया परंतु एक मार्ग पर चलने वाले ने दूसरे मार्ग पर चलने वाले नेताओं को कभी भी राष्ट्रद्रोही नहीं कहा.
एक साक्षात्कार में नामवर सिंह ने कहा था कि विदेश में दो लोग जब बात करते हैं तो कुछ देर के अंदर ही उनकी बातचीत में मिल्टन, शेक्सपियर, चेखव के उद्धरण आने लगते हैं, लेकिन हमारे यहां ऐसा नहीं दिखता. हिंदी में बहुत से जनकवि हैं लेकिन हिंदी जगत में उनकी रचनाएं उस रूप में प्रचारित नहीं होतीं.
गुरुग्राम की एसजीटी यूनिवर्सिटी में पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों को लेकर कथित आपत्तिजनक पोस्ट पर एक कश्मीरी छात्रा को निष्कासित कर दिया गया है. वहीं, नोएडा के एक होटल में कश्मीरियों के विरोध में एक बोर्ड लगाया गया था.
हिंदी साहित्य का लिविंग लीजेंड कहे जाने वाले नामवर सिंह जनवरी से अस्पताल में भर्ती थे. मंगलवार देर रात आखिरी सांस ली.
नरेंद्र मोदी सरकार की पिछली कई योजनाओं की तरह यह नई योजना भी दिखाती है कि लुटियन दिल्ली असली भारत की सच्चाई से कितनी दूर है.
केंद्र की मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण लागू कर दिया गया. जबकि 20 करोड़ विमुक्त और घुमंतू जनजातियों की कोई फ़िक्र किसी भी राजनीतिक दल और सरकार को नहीं है.
दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जफरुल इस्लाम खान ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को पत्र लिख कर कहा है कि हिंदूवादी संगठन पुलवामा हमले के बाद कश्मीरियों और आम मुसलमानों को निशाना बना रहे हैं और दंगा भड़काना चाहते हैं.
बीते सप्ताह मुंबई में हुए एक कार्यक्रम के दौरान संस्कृति मंत्रालय की आलोचना करने पर अभिनेता और निर्देशक अमोल पालेकर को भाषण देने से रोक दिया गया था.
जेएनयू, सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी और भारतीय दलित अध्ययन संस्थान द्वारा दो साल तक किए एक अध्ययन में सामने आया है कि देश की कुल संपत्ति का 41 प्रतिशत हिंदू उच्च जातियों और 3.7 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के हिंदुओं के पास है.