बीते 27 सितंबर को मणिपुर सरकार ने पहाड़ी इलाकों में सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम (आफस्पा) को छह महीने का विस्तार दे दिया था, जबकि इंफाल घाटी के 19 थानों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है. कुकी, ज़ोमी और नगा जनजातियों के शीर्ष निकायों ने इस क़दम को ‘दमनकारी’ और ‘पक्षपातपूर्ण’ क़रार दिया है.
मणिपुर की इंफाल घाटी में सुरक्षा व्यवस्था और कर्फ्यू के बावजूद भीड़ ने बृहस्पतिवार रात मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के ख़ाली पड़े पैतृक आवास पर हमला करने की कोशिश की. यह घटना दो मेईतेई छात्रों के शव की तस्वीरें सामने आने के बाद शुरू हुए विरोध प्रदर्शन के बीच हुई है. दोनों दो महीने से अधिक समय से लापता थे.
पुलिस ने बताया कि असम के दीमा हसाओ ज़िले से आदिवासी कुकी समुदाय की नाबालिग लड़की को मेजर और उनकी पत्नी दो साल पहले ट्रांसफर होने के बाद हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में अपने साथ ले गए थे. लड़की को पूरे एक साल तक अमानवीय यातना से गुज़रना पड़ा. उसके पूरे शरीर पर तमाम तरह की चोटों के निशान हैं. उसकी स्थिति गंभीर बनी हुई है.
सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम, 1958 (आफस्पा) ‘अशांत क्षेत्रों’ में तैनात सेना और केंद्रीय बलों को क़ानून के ख़िलाफ़ काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को मारने, गिरफ़्तारी और बिना वारंट के किसी भी परिसर की तलाशी लेने का अधिकार देता है. साथ ही केंद्र की मंज़ूरी के बिना अभियोजन और क़ानूनी मुक़दमों से सुरक्षा बलों को सुरक्षा भी प्रदान करता है.
संघर्षग्रस्त मणिपुर की सरकार ने बीते 23 सितंबर को क़रीब 143 दिन बाद इंटरनेट बहाल किए जाने की घोषणा की थी. इंटरनेट पर दोबारा प्रतिबंध की घोषणा दो मेईतेई छात्रों के शव की वायरल तस्वीरों को लेकर शुरू हुए विरोध प्रदर्शन के बीच की गई है. दोनों छात्र दो महीने से अधिक समय से लापता थे.
ऑल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन और एडिटर्स गिल्ड मणिपुर ने राज्य में जारी हिंसा पर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की फैक्ट-फाइंडिंग रिपोर्ट को ‘पक्षपाती और प्रायोजित’ बताते हुए मांग की है कि गिल्ड अपने सोशल मीडिया हैंडल और वेबसाइट से रिपोर्ट, मणिपुर के पत्रकारों के ख़िलाफ़ 'अपमानजनक' बयान हटाए.
मणिपुर में हिंसा की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित की गई समिति ने राज्य सरकार को सुझाव दिया है कि वह उन शवों के परिजनों की पहचान करने के प्रयास करे जो 3 मई को शुरू हुई जातीय हिंसा के बाद से राज्य के मुर्दाघरों में लावारिस पड़े हुए हैं.
मणिपुर में लगभग पांच महीनों से जारी हिंसा के बीच राष्ट्रीय जांच एजेंसी के एक प्रवक्ता ने कहा है कि वे म्यांमार के आतंकी संगठनों द्वारा मणिपुर में मौजूदा अशांति का फायदा उठाकर केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ने की एक अंतरराष्ट्रीय साज़िश की जांच कर रहे हैं.
मणिपुर में भड़की जातीय हिंसा के बाद बीते 3 मई को राज्य में इंटनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. पांच महीनों तक चला यह प्रतिबंध किसी भी भारतीय राज्य में लगाए गए सबसे लंबे इंटरनेट प्रतिबंधों में से एक है.
मणिपुर में जारी हिंसा के बीच असम राइफल्स ने राज्य पुलिस को पत्र लिखकर कहा है कि कुछ मेईतेई उपद्रवियों ने इस्तेमाल किए हुए ट्रक खरीदकर उनका रंग-रोगन करके, उन पर असम राइफल्स का चिह्न लगाकर सैन्य वाहनों के समान बनाया है. ऐसा असम राइफल्स की छवि ख़राब करने के लिए किया जा रहा है.
अत्याधुनिक हथियार रखने और पुलिसकर्मियों का भेस बनाने को लेकर यूएपीए के आरोप में गिरफ़्तार पांच लोगों की रिहाई की मांग करते हुए मेईतेई समूहों ने कई पुलिस थानों पर हमला किया था. इसके बाद इंफाल पूर्व और पश्चिम ज़िलों में दी जाने वाली कर्फ्यू में छूट को बंद कर दिया गया है.
मणिपुर राज्य महिला आयोग ने पिछले साल सितंबर से अब तक राज्य में बलात्कार, यौन उत्पीड़न और घरेलू हिंसा सहित महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराधों से संबंधित कुल 59 मामले दर्ज किए हैं. इनमें से अधिकांश मामले घाटी ज़िलों से आए हैं, जिनमें इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, थौबल और काकचिंग शामिल हैं.
मणिपुर के इंफाल पश्चिम ज़िले में डिफेंस सर्विस कॉर्प्स के सैनिक सर्टो थांगथांग कोम का 16 सितंबर को उनके घर से अपहरण कर लिया गया था. कमेटी फॉर ट्राइबल यूनियन की ओर से कहा गया है कि ऐसे बर्बर कृत्य से पता चलता है कि कैसे सशस्त्र मेईतेई बदमाशों को इंफाल घाटी में बिना किसी हिचकिचाहट के आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमति दी गई है.
प्राइड ईस्ट एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी का स्वामित्व असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा के परिवार के पास है. 10 नवंबर 2022 को इसकी एक खाद्य प्रसंस्करण परियोजना के लिए केंद्र सरकार द्वारा सब्सिडी प्रदान की गई थी. मुख्यमंत्री ने इससे इनकार किया है, लेकिन मामले ने तब तूल पकड़ लिया, जब कांग्रेस ने आधिकारिक दस्तावेज़ पेश कर दिए.
8 सितंबर को हुई एक सशस्त्र समूह और सुरक्षा बलों के बीच गोलीबारी की घटना को लेकर मणिपुर की एन. बीरेन सिंह सरकार ने 'केंद्रीय सुरक्षा बलों' की निंदा की है, वहीं पुलिस द्वारा प्रेस को दिए बयान में इसे 'संयुक्त अभियान' बताया गया है.