मणिपुर: सरकार ने राज्य में जारी हिंसा की तस्वीरें और वीडियो फैलाने पर प्रतिबंध लगाया

पांच महीने से अधिक समय से हिंसा से जूझ रहे मणिपुर के गृह विभाग द्वारा जारी राज्यपाल के एक आदेश में कहा गया है कि हिंसा की तस्वीरें या वीडियो रखने वाले व्यक्ति इसे सोशल मीडिया पर फैलाने की बजाय पुलिस को दें. अगर किसी को ऐसी सामग्री प्रसारित करते पाया गया, तो उनके ख़िलाफ़ केस दर्ज किया जाएगा.

(फोटो: द वायर)

पांच महीने से अधिक समय से हिंसा से जूझ रहे मणिपुर के गृह विभाग द्वारा जारी राज्यपाल के एक आदेश में कहा गया है कि हिंसा की तस्वीरें या वीडियो रखने वाले व्यक्ति इसे सोशल मीडिया पर फैलाने की बजाय पुलिस को दें. अगर किसी को ऐसी सामग्री प्रसारित करते पाया गया, तो उनके ख़िलाफ़ केस दर्ज किया जाएगा.

(फोटो: द वायर)

नई दिल्ली: पांच महीने से अधिक समय से हिंसा से जूझ रहे मणिपुर में एक व्यक्ति को जलाए जाने का वीडियो सामने आने के तीन दिन बाद राज्य सरकार ने बुधवार को घोषणा की कि वह हिंसा की तस्वीरें और वीडियो प्रसारित करने वाले लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर मुकदमा चलाएगी.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, गृह विभाग द्वारा बुधवार को जारी राज्यपाल के एक आदेश में कहा गया है कि राज्य सरकार हिंसक गतिविधियों की तस्वीरों को ‘बहुत गंभीरता और अत्यंत संवेदनशीलता से’ लेती है. शारीरिक नुकसान और सार्वजनिक या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसी गतिविधियों की तस्वीरें ‘आंदोलनकारियों और प्रदर्शनकारियों की भीड़’ जमा करने में मदद कर सकती हैं, जिससे राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है. सरकार ने ‘राज्य में सामान्य स्थिति लाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम’ के रूप में ऐसी फोटो को प्रसारित करने से ‘रोकने’ का फैसला किया है.

आदेश में कहा गया है कि ऐसी तस्वीरें रखने वाले किसी भी व्यक्ति को निकटतम एसपी से संपर्क करना चाहिए और कानूनी कार्रवाई के लिए फोटो जमा करना चाहिए. पर अगर वे सोशल मीडिया के जरिये ऐसी तस्वीरें प्रसारित करते पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ प्रासंगिक कानून के तहत मामला दर्ज किया जाएगा और मुकदमा चलाया जाएगा.

इसमें यह भी कहा गया है कि जो लोग ‘हिंसा/नफरत भड़काने के लिए टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग करते’ पाए जाएंगे, उन पर आईटी अधिनियम और आईपीसी के प्रावधानों के तहत कार्रवाई होगी.

बुधवार को ही एक अन्य आदेश में राज्य सरकार ने राज्य में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर दोबारा लगाए प्रतिबंध को अगले पांच दिनों के लिए बढ़ा दिया है. कहा गया कि ‘ऐसी आशंका है कि कुछ असामाजिक तत्व जनता की भावनाओं को भड़काने के इरादे वाले संदेश, फोटो, हेट स्पीच और नफरत फैलाने वाले वीडियो के प्रसारण के लिए बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया का उपयोग कर सकते हैं, जिसका राज्य की कानून-व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है.

उल्लेखनीय है कि संघर्षग्रस्त मणिपुर की सरकार ने बीते ​23 सितंबर को क़रीब 143 दिन बाद इंटरनेट बहाल किए जाने की घोषणा की थी. लेकिन तीन ही दिन के भीतर जुलाई से लापता हुए दो मेईतेई छात्रों के शव की वायरल तस्वीरों को लेकर इंफाल में शुरू हुए विरोध प्रदर्शन के बीच 26 सितंबर को इंटरनेट प्रतिबंध को बहाल कर दिया गया. तबसे कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए इस रोक को विस्तार दिया जा रहा है.

इससे पहले जुलाई महीने में भी दो कुकी-ज़ोमी महिलाओं के साथ ज्यादती का वीडियो भी सोशल मीडिया के जरिये ही सामने आया था. महिलाओं के साथ बलात्कार और हिंसा की यह घटना राज्य में संघर्ष की शुरुआत के समय मई में हुई थी.

बीते रविवार (8 अक्टूबर) को भी एक दर्दनाक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें एक गड्ढे में पड़े व्यक्ति को कुछ अन्य लोगों द्वारा आग लगाते हुए देखा जा सकता था. पुलिस ने इस वयक्ति को कुकी बताता था और कहा था कि इसकी मौत मई महीने में हुई थी और उनका शव इंफाल के एक अस्पताल में रखा हुआ है.

हालांकि, अब द वायर  की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि पुलिस सूत्रों और बताए गए व्यक्ति के परिजनों ने शव की पहचान पर संदेह व्यक्त किया है.

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