इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में अरुणाचल प्रदेश, मिज़ोरम, असम, नगालैंड, मणिपुर और त्रिपुरा के प्रमुख समाचार.
त्रिपुरा पुलिस विभाग ने 27 दिसंबर को कुल 2,200 में से 1,443 चयनित उम्मीदवारों की मेरिट सूची प्रकाशित की थी. इस घोषणा के बाद नौकरी न पाने वाले उम्मीदवारों ने भाजपा नेताओं पर वादाख़िलाफ़ी और रिश्वत लेकर नौकरी न देने का आरोप लगाते हुए कई स्थानों पर पार्टी कार्यालयों पर हमला किया.
राज्य से आफ़स्पा हटाने को लेकर दर्ज एक स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई के दौरान मणिपुर मानवाधिकार आयोग ने कहा कि यह क़ानून सशस्त्र बलों को क़ानून-व्यवस्था बनाए रखने के नाम पर गोली मारने तक का अधिकार देता है. यह संविधान के तहत मिले जीवन के अधिकार का उल्लंघन है.
केंद्र सरकार ने नगालैंड की स्थिति को अशांत और ख़तरनाक क़रार देते हुए विवादास्पद आफ़स्पा के तहत छह और महीने के लिए पूरे राज्य को अशांत क्षेत्र घोषित कर दिया है. सुरक्षा बलों की गोलीबारी में 14 नागरिकों की मौत के बाद नगालैंड से विवादास्पद आफ़स्पा को वापस लेने की संभावना की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति के गठन के कुछ दिनों बाद केंद्र द्वारा यह क़दम उठाया गया है.
कांग्रेस के लोकसभा सदस्य अब्दुल खालेक ने पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने 10 दिसंबर को कहा था कि दरांग ज़िले के गोरुखुटी में बेदख़ली अभियान 1983 की घटनाओं (असम आंदोलन के दौरान वहां कुछ युवाओं की हत्या) का बदला था. बीते सितंबर में गोरुखुटी में अवैध अतिक्रमण का आरोप लगाते हुए लगभग 1,200-1,400 घरों को ढहा दिया गया था.
गृह मंत्रालय ने कहा है कि केंद्र सरकार की राय है कि पूरे नगालैंड राज्य का क्षेत्र इतनी अशांत और ख़तरनाक स्थिति में है कि नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए सशस्त्र बलों का उपयोग आवश्यक है. बीते चार और पांच दिसंबर को मोन ज़िले में सेना की गोलीबारी में कम से कम 14 नागरिकों के मौत के बाद आफ़स्पा को वापस लेने की मांग हो रही है.
द वायर और द क्रॉसकरेंट ने एक रिपोर्ट में बताया था कि असम में ज़रूरतमंदों के लिए चिह्नित ज़मीन किस तरह मुख्यमंत्री के परिवार से जुड़ी कंपनी के पास पहुंची थी. इस मुद्दे का ज़िक्र करते हुए साहित्य अकादमी से सम्मानित लेखक हीरेन गोहेन ने एक लेख लिखा था, जिसे राज्य के तीन अख़बारों ने प्रकाशित करने से मना कर दिया.
सेना की गोलीबारी में 14 लोगों की मौत के बाद बढ़े तनाव के मद्देनज़र केंद्र ने दशकों से नगालैंड में लागू विवादास्पद आफ़स्पा हटाने की संभावना पर गौर करने के लिए भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त विवेक जोशी की अगुवाई ने पांच सदस्यीय समिति गठित की है, जो 45 दिन में अपनी रिपोर्ट देगी.
आगरा में हिंदुत्ववादी संगठनों का आरोप है कि ईसाई मिशनरी क्रिसमस के मौक़े पर बच्चों और ग़रीबों को अपने धर्म की ओर आकर्षित करने के लिए सैंटा क्लॉज़ के ज़रिये से उपहार दिलवाकर ईसाई धर्म का प्रसार करते हैं. वहीं, असम के सिलचर में भगवा पहने युवाओं ने यह मांग करते हुए क्रिसमस कार्यक्रम में ख़लल डाला कि हिंदुओं को इस जश्न से दूर रहना चाहिए.
इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में मणिपुर, असम, मेघालय और नगालैंड के प्रमुख समाचार.
अगस्त में पारित किए गए असम मवेशी संरक्षण अधिनियम, 2021 में हिंदू, जैन और सिख बहुसंख्यक मंदिर या वैष्णव मठों के पांच किलोमीटर के दायरे में मवेशियों के वध और गोमांस की बिक्री पर रोक लगाई गई थी. अब हुए संशोधन के तहत पुलिस आरोपी के घर में प्रवेश कर जांच कर सकती है और अवैध पशु कारोबार के ज़रिये अर्जित संपत्ति को ज़ब्त करने की कार्रवाई भी कर सकती है.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया द्वारा गठित फैक्ट फाइंडिंग टीम ने त्रिपुरा पुलिस और प्रशासन पर हिंसा से निपटने में ‘ईमानदारी की कमी’ प्रदर्शित करने का आरोप लगाया है. टीम की रिपोर्ट में कहा गया कि यह दिखाने के लिए बड़ी कॉन्सपिरेसी थ्योरी तैयार की गई कि सांप्रदायिक हिंसा को उजागर करने वाली स्वतंत्र पत्रकारिता एक चुनी गई सरकार को ‘राज्य के दुश्मनों द्वारा कमज़ोर करने’ का एक प्रयास है.
पिछले विधानसभा चुनाव में क्षेत्रीय दल से चुनाव लड़ने वाले अधिकार कार्यकर्ता प्रणब डोले की नागरिकता को पुलिस ने पासपोर्ट रिन्यूअल प्रक्रिया के तहत अपनी सत्यापन रिपोर्ट में ‘संदिग्ध’ क़रार दिया है. डोले ने दावा किया कि यह उन्हें चुप कराने का हथकंडा है क्योंकि वे अक्सर भाजपा नीत सरकार के ख़िलाफ़ बोलते हैं.
नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने कहा कि हर बार हमारा यही रुख़ रहा है कि नगालैंड को ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित करने की कोई ज़रूरत या औचित्य नहीं है. लेकिन हर बार हमारे विचारों और हमारी आपत्तियों को नज़रअंदाज़कर दिया जाता है. वहीं असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा है कि उनका राज्य आफ़स्पा के दायरे में बना रहेगा और इसे वापस लेने का निर्णय तभी लिया जाएगा जब मौजूदा शांति लंबे समय तक बनी रहे.
कांग्रेस ने असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा और उनके परिवार पर ऐसी 18 एकड़ ज़मीन हड़पने का आरोप लगाया जो भूमिहीनों के लिए चिह्नित थी. कांग्रेस ने शर्मा को तत्काल पद से हटाने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक विशेष जांच दल से जांच कराने की भी मांग उठाई है.