नगालैंड के मोन ज़िले में चार से पांच दिसंबर के दौरान एक असफल उग्रवाद विरोधी अभियान के दौरान सेना की गोलीबारी में 14 नागरिकों की मौत हो गई थी. इसके बाद कोन्यक यूनियन ने सशस्त्र बलों के साथ असहयोग को जारी रखने के लिए नए नियमों की घोषणा की थी. पूर्वी नगालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन ने असहयोग का ऐलान किया है.
नगालैंड के मोन ज़िले में चार से पांच दिसंबर के दौरान एक असफल उग्रवाद विरोधी अभियान के दौरान सेना की गोलीबारी में कम से कम 14 नागरिकों की जान चली गई थी. ऐसी ख़बरें थीं कि दोषियों को न्याय के कटघरे में खड़ा करने और आफ़स्पा हटाने तक मुआवज़ा स्वीकार नहीं किया जाएगा. हालांकि ओटिंग ग्राम परिषद ने स्पष्ट किया है कि मुआवज़ा स्वीकार करना है या नहीं, यह फ़ैसला परिषद का नहीं पीड़ित परिवारों का है.
सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आफ़स्पा) के ख़िलाफ़ 16 सालों तक भूख हड़ताल करने वाली मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने कहा कि नगालैंड में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में नागरिकों की मौत की घटना आंख खोलने वाली साबित होनी चाहिए. आफ़स्पा न सिर्फ़ दमनकारी क़ानून है, बल्कि मूलभूत मानवाधिकारों का व्यापक उल्लंघन करने जैसा है.
पीड़ित परिवारों ने एक बयान में कहा है कि भारतीय सशस्त्र बल के 21वें पैरा कमांडो के दोषियों को नागरिक संहिता के तहत न्याय के कटघरे में लाने और पूरे पूर्वात्तर क्षेत्र से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (आफस्पा) को हटाने तक वे मुआवज़ा स्वीकार नहीं करेंगे. नगालैंड के मोन ज़िले में चार से पांच दिसंबर के दौरान एक असफल उग्रवाद विरोधी अभियान के दौरान सेना की गोलीबारी में कम से कम 14 नागरिकों की जान चली गई थी.
नगालैंड में कोन्यक जनजाति का शीर्ष संगठन ‘कोन्यक यूनियन’ ने मोन ज़िले में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में 14 नागरिकों के मौत पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दावे ‘ग़लत पहचान’ और सुरक्षा बलों द्वारा ‘आत्मरक्षा’ में आम लोगों पर गोली चलाने के तर्क को भी ख़ारिज किया और कहा कि उन्हें कोन्यक और नगालैंड के लोगों से माफ़ी मांगनी चाहिए.
इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में असम, मेघालय, मणिपुर और नगालैंड के प्रमुख समाचार.
बीते चार दिसंबर को नगालैंड के मोन ज़िले में सुरक्षाबलों की कथित गोलीबारी में 14 आम लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने छह दिसंबर को संसद में कहा था कि सैन्यबल के इशारे पर गाड़ी न रुकने के बाद फायरिंग की गई थी. विभिन्न संगठन उनके इस बयान को झूठ बताते हुए इसकी निंदा कर रहे हैं.
त्रिपुरा सरकार द्वारा मोटर वाहन ड्राइविंग नियमन पर नारा लिखने की प्रतियोगिता में कोलकाता के सियालदह फ्लाईओवर को एक पोस्टर पर स्थान देने के बाद विवाद हुआ. विपक्षी माकपा और टीएमसी ने बिप्लव कुमार देब सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य सरकार दूसरे राज्यों के विकास कार्यों का ‘श्रेय’ ले रही है.
राष्ट्रमंडल देशों में रहने वालों के अधिकारों के लिए काम करने वाली ग़ैर-सरकारी संस्था कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव ने हाल ही में सुरक्षा बलों के हाथों 14 नागरिकों की मौत को लेकर राज्य में तत्काल मानवाधिकार आयोग के गठन की मांग की है.
केंद्र के साथ नगा राजनीतिक वार्ता में प्रमुख वार्ताकार एनएससीएन-आईएम ने कहा है कि आफ़स्पा के कारण नगाओं को कई मौकों पर कड़वा अनुभव मिला है. इसने काफ़ी ख़ून बहाया है. ख़ून और राजनीतिक बातचीत एक साथ नहीं चल सकती. वहीं मेघालय में भाजपा की सहयोगी नेशनल पीपुल्स पार्टी ने भी बयान दिया है कि सेना की गोलीबारी में 14 नागरिकों के मौत पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है.
वीडियो: बीते चार दिसंबर को नगालैंड के मोन जिले में सुरक्षाबलों की कथित गोलीबारी में 14 आम लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद विभिन्न छात्र संगठनों और राजनीतिक दलों ने सेना को विशेष अधिकार देने वाले आफ़स्पा हटाने की मांग की है.
नगालैंड के मोन ज़िले के ओटिंग और तिरु गांवों के बीच सुरक्षाबलों द्वारा फायरिंग में नागरिकों की मौत के बाद देश के प्रमुख अंग्रेज़ी दैनिकों के संपादकीय में आफ़स्पा पर नए सिरे से विचार करने की बात कही गई है, साथ ही केंद्र व सुरक्षाबलों को कटघरे में खड़ा किया गया है.
असम के बराक घाटी के तीन ज़िलों के 150 से अधिक पत्रकारों ने मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा को पत्र लिखकर ‘बराक बुलेटिन’ न्यूज़ पोर्टल चलाने वाले पत्रकार अनिर्बान रॉय चौधरी के ख़िलाफ़ सभी आरोपों को रद्द करने की मांग की है. पत्रकारों ने इस घटना को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर हमला बताया.
नगालैंड के मोन ज़िले में सेना की गोलीबारी में 14 आम नागरिकों की मौत के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि सैन्यबल के इशारे पर गाड़ी न रुकने के बाद फायरिंग की गई. घटना में गंभीर रूप से घायल हुए एक शख़्स ने इससे इनकार किया है. वहीं, डिब्रूगढ़ के अस्पताल ने न केवल दो घायलों, बल्कि उनके परिजनों को भी मीडिया से बात करने से मना किया है.
त्रिपुरा में हुई हिंसा के संबंध में मस्जिदों पर हमले और तोड़फोड़ के मामलों को कवर कर रहीं एचडब्ल्यू न्यूज़ नेटवर्क की इन दो महिला पत्रकारों के ख़िलाफ़ एक स्थानीय विहिप नेता की शिकायत पर 14 नवंबर को एफ़आईआर दर्ज की गई थी. शिकायत में दावा किया गया कि मुस्लिम समुदाय के लोगों से मिलने के दौरान पत्रकारों ने हिंदू समुदाय और त्रिपुरा सरकार के ख़िलाफ़ भड़काऊ बातें कही थीं.