ऐसे राज्य में जहां एनआरसी के चलते 20 लाख के क़रीब आबादी 'स्टेटलेस' होने के ख़तरे के मुहाने पर खड़ी हो, वहां के सबसे महत्वपूर्ण चुनाव में इस बारे में विस्तृत चर्चा न होना सवाल खड़े करता है.
असम के करीमगंज ज़िले के राताबाड़ी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के निवर्तमान विधायक और उम्मीदवार कृष्णेंदु पॉल से संबंधित कार से ईवीएम मिलने पर हुए विवाद हो गया था. कृष्णेंदु पॉल ने ईवीएम से छेड़छाड़ किए जाने के आरोप को बेतुका बताया है. कांग्रेस ने उनके ख़िलाफ़ केस दर्ज किए जाने की मांग की है.
साल 2019 में 14 वर्षीय लड़की कछार ज़िले के सिलचर के रंगपुर इलाके में संदिग्ध परिस्थितियों में एक घर के अंदर बेहोशी की हालत में मिली थी. बाद में पता चला था कि उसके माता-पिता बांग्लादेश में कॉक्स बाज़ार के शरणार्थी शिविर में हैं.
चुनाव आयोग ने असम सरकार के मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा को बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के अध्यक्ष के ख़िलाफ़ कथित धमकी भरे बयान देने के मामले में 48 घंटे तक चुनाव प्रचार करने से प्रतिबंधित कर दिया था. शनिवार को शर्मा द्वारा आचार संहिता के पालन का आश्वासन देने के बाद आयोग ने यह मियाद घटाकर 24 घंटे कर दी.
असम में एक अप्रैल को दूसरे चरण के मतदान समाप्त होने के बाद करीमगंज ज़िले में पथरकांडी से भाजपा उम्मीदवार कृष्णेंदु पॉल की कार में कथित तौर पर ईवीएम मिली थीं, जिसे लेकर विवाद हो गया था. विवाद के बाद चुनाव आयोग ने चार अधिकारियों को निलंबित करते हुए राताबाड़ी के एक मतदान केंद्र पर दोबारा मतदान कराने का आदेश दिया है.
असम के करीमगंज ज़िले की घटना. राताबारी विधानसभा क्षेत्र के इंदिरा एमवी स्कूल की पोलिंग पार्टी का वाहन ईवीएम लेकर करीमगंज के स्ट्रॉन्ग रूम में रखने जा रहा था, जब गाड़ी ख़राब हो गई. फ़िर एक निजी वाहन से लिफ्ट लिया, जो ज़िले के पथरकांडी सीट से भाजपा विधायक और उम्मीदवार कृष्णेंदु पॉल की निकली. चुनाव आयोग ने चार अधिकारियों को निलंबित करते हुए इंदिरा एमवी स्कूल पोलिंग बूथ पर दोबारा मतदान का आदेश दिया है.
असमी समाचार चैनल प्रतिदिन टाइम्स ने एक ऑडियो क्लिप प्रसारित किया था, जिसमें कथित तौर पर मंत्री और भाजपा नेता पीयूष हज़ारिका को पत्रकार नजरूल इस्लाम से बातचीत करते सुना जा सकता है. इस बातचीत के दौरान मंत्री ने नजरूल और एक अन्य पत्रकार तुलसी को उनके घरों से घसीट कर बाहर निकालने और ‘गायब’ करने की धमकी दी.
मिज़ोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा का कहना है कि भारत को म्यांमार से आने वाले लोगों के प्रति उदार रवैया रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि वे अपने एक प्रतिनिधिमंडल को दिल्ली भेजकर केंद्र सरकार से म्यांमार के शरणार्थियों को वापस न भेजने को लेकर विदेश नीति में बदलाव करने का निवेदन करेंगे.
कांग्रेस का आरोप है कि समाचार की शक्ल में छपे इस विज्ञापन के ज़रिये भाजपा ने ऊपरी असम की उन सभी सीटों पर अपनी जीत का दावा किया है, जहां 27 मार्च को पहले चरण में मतदान हुआ था. कांग्रेस की शिकायत के आधार पर निर्वाचन आयोग ने असम के अख़बारों को नोटिस जारी किया है.
अक्टूबर, 2019 में लंदन में मणिपुर के महाराजा लेशेम्बा सनाजाओबा का प्रतिनिधि होने का दावा करने वाले मणिपुर के दो अलगाववादी नेताओं- याम्बेन बीरेन और नरेंगबाम समरजीत सिंह ने ब्रिटेन से ‘निर्वासन में मणिपुर सरकार’ की घोषणा कर दी थी. इसके बाद मणिपुर सरकार ने एक मामला दर्ज किया था, जिसे बाद में एनआईए को सौंप दिया था.
मणिपुर सरकार द्वारा म्यांमार की सीमा से सटे ज़िलों के उपायुक्तों को 26 मार्च को जारी एक आदेश में सैन्य तख़्तापलट के बाद म्यांमार से भागकर आ रहे शरणार्थियों को आश्रय और खाना देने से इनकार और उन्हें 'शांतिपूर्वक' लौटाने की बात कही गई थी. कड़ी आलोचना के बाद इस आदेश को वापस ले लिया गया.
असम सरकार ने चार मार्च को लिखे पत्र में एनआरसी के लंबित कार्यों को 31 मार्च के बाद पूरा करने के लिए पूर्व में आवंटित 1600 करोड़ रुपये से अधिक के बजट के अलावा अतिरिक्त 3.22 करोड़ रुपये प्रतिमाह जारी करने का अनुरोध किया था.
असम की फिल्मकार रजनी बसुमतारी ने नाख़ुशी ज़ाहिर करते हुए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समिति के अध्यक्ष एन. चंद्रा को पत्र लिखकर कहा है कि सरकार द्वारा छोटे सांस्कृतिक समुदायों, उनकी भाषा संस्कृति को सहेजने के वादों के बीच किसी बोडो फिल्म का ऐसी फिल्म की ही श्रेणी में न चुना जाना निर्णायक मंडल के सदस्यों की विफलता है.
भारत, म्यांमार और बांग्लादेश में मौजूद जातीय समूह का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन ने गृह मंत्रालय से यह भी आग्रह किया कि वह म्यांमार की सीमा से लगे चार पूर्वोत्तर राज्यों- मिज़ोरम, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश को उस देश से आने वाले लोगों को रोकने का अपना आदेश वापस ले.
ये मामला तीन जुलाई 2020 को किए गए एक फेसबुक पोस्ट से जुड़ा हुआ है, जिसमें शिलॉन्ग टाइम्स की संपादक पैट्रिशिया मुखीम ने ग़ैर-आदिवासी युवाओं पर हुए हमले को लेकर सवाल उठाया था. राज्य सरकार का कहना था कि ऐसा करके मुखीम ने मामले को सांप्रदायिक रंग दिया है.