केंद्र सरकार के साथ शांति वार्ता में शामिल सबसे बड़े नगा संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड-इसाक मुईवाह ने 2015 में सरकार के साथ हुए फ्रेमवर्क एग्रीमेंट की प्रति सार्वजनिक करते हुए कहा कि वार्ताकार आरएन रवि नगा राजनीतिक मसले को संवैधानिक क़ानून-व्यवस्था की समस्या का रंग दे रहे हैं.
वीडियो: नगालैंड के बाग़ी संगठनों के साथ 18 साल तक चली बातचीत के बाद अगस्त 2015 में भारत सरकार ने एनएससीएन-आईएम के साथ फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर दस्तख़त किए. अब इस संगठन ने केंद्र के वार्ताकार पर इस प्रक्रिया में बाधा डालने का आरोप लगाते हुए एग्रीमेंट को सार्वजनिक कर दिया है. इस बारे में द वायर की नेशनल अफेयर्स एडिटर संगीता बरुआ पिशारोती से मीनाक्षी तिवारी की बातचीत.
नगालैंड के राज्यपाल और शांति वार्ता में मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे आरएन रवि ने स्वतंत्रता दिवस पर दिए अपने संदेश में प्रदेश सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के कुशल नेतृत्व में पूरा देश आगे बढ़ रहा है लेकिन 'निजी हितों' की वजह से नगालैंड पीछे छूट गया है.
केंद्र सरकार और बाग़ी नगा समूहों के बीच चल रही शांति वार्ता की प्रक्रिया के बीच इन समूहों के प्रतिनिधि संगठन एनएससीएन-आईएम के प्रमुख टी. मुईवाह ने कहा है कि अलग झंडे, संविधान और ग्रेटर नगालिम के बिना कोई समाधान नहीं निकल सकता. सरकार पहले ही इन मांगों पर असहमति जता चुकी है.
विश्वविद्यालय एवं उच्च शिक्षा निदेशक की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति ऐसा बयान नहीं देगा, जो केंद्र/राज्य सरकार की किसी भी वर्तमान या हालिया नीति या कार्रवाई की आलोचना हो. आदेश का पालन नहीं करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है.
असम समझौते के खंड छह को लागू करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गठित 14 सदस्यीय समिति के चार सदस्यों ने फरवरी में राज्य सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई न करने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को रिपोर्ट लीक कर दी थी.
ऑल अरुणाचल प्रदेश स्टूडेंट्स यूनियन ने राज्य के सभी विधायकों, सांसदों और राजनीतिक दलों का आह्वान किया कि वे राज्यों के अधिकार क्षेत्र और प्रशासन को बदलने के किसी भी संभावित प्रयासों का पुरज़ोर विरोध करें.
बाग़ी नगा संगठनों और केंद्र सरकार के बीच चल रही शांति वार्ता के वार्ताकार आरएन रवि नगालैंड के राज्यपाल भी हैं. संगठनों के प्रतिनिधि एनएससीएन-आईएम ने कहा है कि वे इस प्रक्रिया में बाधा पैदा कर रहे हैं, इसलिए वार्ता आगे बढ़ाने के लिए नया वार्ताकार नियुक्त किया जाना चाहिए.
असमिया लोगों के निर्धारण के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा असम समझौते की धारा छह को लागू करने के लिए गठित एक उच्चस्तरीय समिति की रिपोर्ट को इसके चार सदस्यों ने सार्वजनिक कर दिया है. इसमें गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि असमिया लोगों के निर्धारण के लिए 1951 को कट-ऑफ वर्ष माना जाना चाहिए.
मेघालय के स्वास्थ्य सेवा निदेशक अमन वार ने बताया कि कमी मुख्य रूप से इस कारण से है कि कई डॉक्टर अपनी चिकित्सा शिक्षा पूरी करने के बाद राज्य के सरकारी अस्पतालों में काम करने से इनकार कर रहे हैं.
तिनसुकिया ज़िले के बाघजान गांव में ऑयल इंडिया लिमिटेड के एक तेल के कुएं में 27 मई से गैस का रिसाव हो रहा है, जिसमें नौ जून को आग लग गई थी. कंपनी के अनुसार कुएं पर ढक्कन रखने का प्रयास किया जा रहा था, लेकिन आग के कारण उसे रखने वाली केबल क्षतिग्रस्त हो गई.
मणिपुर में भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के सामने बीते 17 जून को उस समय राजनीतिक संकट खड़ा हो गया था, जब छह विधायकों ने समर्थन वापस ले लिया था, जबकि भाजपा के तीन विधायक पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे.
असम के भाजपा विधायक शिलादित्य देव पर आरोप है कि राम मंदिर के शिलान्यास के दिन सोनितपुर ज़िले में हुए सांप्रदायिक संघर्ष पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कवि और उपन्यासकार सैयद अब्दुल मलिक को ‘बुद्धिजीवी जेहादी’ कहा था.
रोहित चंदा नामक व्यक्ति ने धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में सिलचर स्थित असम विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर अनिंद्य सेन के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई है. चंदा के फेसबुक पेज के अनुसार, वे एबीवीपी कार्यकर्ता हैं.
सीएए विरोधी प्रदर्शनों के मामले में दिसंबर 2019 में गिरफ़्तार कृषक मुक्ति संग्राम समिति के नेता अखिल गोगोई गुवाहाटी जेल में कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद से अस्पताल में हैं. गोगोई के वकील ने कहा है कि वे ज़मानत के लिए हाईकोर्ट का रुख करेंगे.