रिपब्लिक ने इंडियन एक्सप्रेस द्वारा 25 जनवरी को प्रकाशित एक रिपोर्ट पर आपत्ति जताई है जिसमें पूरक चार्जशीट के हवाले से दावा किया गया था कि रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी ने बार्क के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता को टीआरपी रेटिंग में हेरफेर के लिए बड़ी धनराशि दी थी.
बीसीसीएल ने एक बयान में कहा कि जुलाई 2020 की बार्क की फॉरेंसिक रिपोर्ट तथा कई ईमेल और वॉट्सऐप चैट से बार्क के अधिकारियों के द्वारा टाइम्स नाउ की टीआरपी कम करने की बात स्पष्ट रूप से पता चलती है, जिसे लेकर वे बार्क के ख़िलाफ क़ानूनी कार्रवाई पर विचार कर रहे हैं.
टीआरपी हेराफेरी मामले में मुंबई पुलिस द्वारा दायर चार्जशीट के अनुसार बार्क के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता ने कहा है कि उन्हें टीआरपी से छेड़छाड़ करने के एवज में रिपब्लिक के एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी से तीन सालों में दो फैमिली ट्रिप के लिए बारह हज़ार डॉलर और कुल चालीस लाख रुपये मिले थे.
वीडियो: अर्णब गोस्वामी कांड से एक बार फिर देश के टीवी उद्योग का चेहरे सामने आया है. सत्ता से गहरे स्तर पर जुड़े चेहरे का यह बहुत छोटा हिस्सा है. यहां टीवी उद्योग का संबंध ख़बर से उतना नहीं, जितना सत्ता के साये से. इस मुद्दे पर द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु और पत्रकार आशुतोष से उर्मिलेश की बातचीत.
टाइम्स ऑफ इंडिया ने साल 2007 में 'एएमयूः व्हेयर द डिग्रीज़ आर सोल्ड लाइक टॉफीज़' शीर्षक से एक लेख छापा था, जिसमें एक अनाम स्रोत के हवाले से कहा गया था कि यूनिवर्सिटी में टॉफियों की तरह डिग्री बांटी जाती हैं. इसके बाद एक पूर्व छात्रसंघ नेता ने अख़बार पर मुक़दमा दायर किया था.
समाचार चैनल एनडीटीवी की पूर्व कार्यकारी संपादक निधि राज़दान ने जून 2020 में ट्वीट कर बताया था कि उन्हें अमेरिका स्थित प्रतिष्ठित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से एसोसिएट प्रोफ़ेसर की नौकरी का प्रस्ताव मिला है, जिसके बाद उन्होंने पत्रकारिता को अलविदा कह दिया था. ऑनलाइन धोखाधड़ी के इस मामले की जांच दिल्ली पुलिस की साइबर अपराध शाखा करेगी.
साल 2017 में ईपीडब्ल्यू पत्रिका में छपे एक लेख को लेकर अडानी समूह ने इसके तत्कालीन संपादक और लेख के सह-लेखक प्रंजॉय गुहा ठाकुरता के ख़िलाफ़ मानहानि का मुक़दमा दायर किया था. अब गुजरात की एक अदालत ने ठाकुरता की गिरफ़्तारी का वारंट जारी किया है.
पुलिस ने 17 जनवरी को राज्य के दो वरिष्ठ पत्रकारों- फ्रंटियर मणिपुर न्यूज़ पोर्टल के कार्यकारी संपादक पाओजेल चाओबा और प्रधान संपादक धीरेन साडोकपाम को पोर्टल पर छपे एक लेख पर एफआईआर दर्ज करते हुए हिरासत में लिया था. उन पर यूएपीए और राजद्रोह की धाराएं लगाई गई हैं.
अर्णब गोस्वामी और ब्रॉडकास्ट आडिएंस रिसर्च काउंसिल के पूर्व प्रमुख के बीच वॉट्सऐप बातचीत के संबंध में न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन ने भारतीय टीवी प्रसारण फाउंडेशन से अपील की है कि टीवी रेटिंग में हेरफेर से संबंधित मामले के अदालत में लंबित रहने तक रिपब्लिक टीवी की सदस्यता भी तत्काल प्रभाव से निलंबित की जाए.
वीडियो: किसानों और उनके आंदोलन के ख़िलाफ़ सिर्फ सरकारी एजेंसियां ही अभियान नहीं चला रही हैं, टीवी चैनलों के ज़रिये उनकी छवि बिगाड़ने और देश विरोधी बताने के लिए झूठी कहानियां चलाई जा रही हैं. इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी. सिंह और पंजाब के स्वतंत्र पत्रकार शिव इंदर सिंह से उर्मिलेश की बातचीत.
टीआरपी छेड़छाड़ मामले में मुंबई पुलिस द्वारा दायर सप्लीमेंट्री चार्जशीट में अर्णब गोस्वामी और बार्क के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता की कथित वॉट्सऐप चैट भी संलग्न है. यह बातचीत दिखाती है कि अर्णब की पीएमओ सहित कई ऊंची जगहों तक पहुंच है और उन्हें कई महत्वपूर्ण सरकारी निर्णयों की जानकारी थी.
शेयर बाज़ार नियामक सेबी ने एक आदेश में कहा कि एंकर हेमंत घई सीएनबीसी आवाज़ के कार्यक्रम ‘स्टॉक 20-20’ के सह-प्रस्तोता थे. कार्यक्रम में दिए जाने वाले सुझावों के विषय में उन्हें पहले से जानकारी होती थीं, जिसका उन्होंने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से व्यक्तिगत फायदे के लिए इस्तेमाल किया.
एएनआई ने एक छेड़छाड़ किए गए वीडियो के आधार पर कहा कि पूर्व पाक राजनयिक ज़फर हिलाली ने भारत द्वारा की गई बालाकोट एयरस्ट्राइक में 300 मौतों की बात स्वीकारी है. हालांकि कई फैक्ट-चेक में सामने आए असली वीडियो में हिलाली को भारत के इस दावे को ग़लत कहते हुए सुना जा सकता है.
वीडियो: वॉट्सऐप ने अपनी सेवा शर्तों और प्राइवेसी नीति में बदलाव किया है. वह अपने यूज़र्स के डेटा/कंटेंट का ज़्यादा व्यापक इस्तेमाल चाहता है. दूसरी तरफ न्यूज़ चैनलों पर वैक्सीन-वैक्सीन के शोर के बीच किसान आंदोलन को नज़रअंदाज़ कर दिया गया है. मीडिया बोल की इस कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश के रे और टीवी पत्रकार व लेखक डॉ. मुकेश कुमार से उर्मिलेश की बातचीत.
रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स के रिपोर्ट के मुताबिक इस साल जान गंवाने वाले पत्रकारों में से 68 प्रतिशत की जान संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों के बाहर गई. साल 2020 में पत्रकारों को निशाना बनाकर उनकी हत्या करने के मामलों में वृद्धि हुई और ये 84 प्रतिशत हो गए हैं.