केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 30 दिन के लिए मराठी समाचार चैनल ‘लोकशाही’ का लाइसेंस इस आधार पर निलंबित कर दिया है कि चैनल के संचालक वे लोग नहीं हैं, जिनके नाम पर लाइसेंस जारी किया गया था. पिछले साल भाजपा नेता किरीट सोमैया के कथित सेक्स टेप पर रिपोर्ट के लिए इस चैनल को 72 घंटे का निलंबन नोटिस मंत्रालय से मिला था.
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने वर्ष 2008 में कुछ पत्रकारों के ख़िलाफ़ दर्ज मानहानि के मामले से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि ईमानदार पत्रकारिता सुनिश्चित करने के लिए पत्रकारों को अदालतों के संरक्षण की आवश्यकता है, ताकि वे हानिकारक परिणामों से डरे बिना समाचार प्रकाशित कर सकें.
प्रभात ख़बर के एक वरिष्ठ संपादक द्वारा झारखंड में शराब माफिया पर अख़बार के कवरेज को लेकर मुख्य संपादक आशुतोष चतुर्वेदी को मिले धमकी भरे कॉल के संबंध मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखे जाने के कुछ दिनों बाद यह घटनाक्रम सामने आया है. शराब माफिया ने अपने ख़िलाफ़ झूठी ख़बर प्रकाशित किए जाने का आरोप लगाया है.
मणिपुर की राजधानी इंफाल के एक दैनिक अख़बार के संपादक धनबीर माईबाम को मोरेह शहर में बिगड़ती क़ानून व्यवस्था पर एक लेख प्रकाशित करने के लिए समुदायों के बीच दुश्मनी पैदा करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया है. इससे पहले 29 दिसंबर 2023 को स्थानीय भाषा के एक सांध्य दैनिक के प्रधान संपादक को गिरफ़्तार किया गया था.
अडानी एंटरप्राइजेज की सहायक कंपनी एएमजी मीडिया नेटवर्क्स लिमिटेड ने आईएएनएस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में 50.50 फ़ीसदी हिस्सेदारी अधिग्रहण करने में चुकाई गई राशि का खुलासा नहीं किया है. आईएएनएस के सभी परिचालन और प्रबंधन का नियंत्रण एएमजी मीडिया के पास होगा और सभी निदेशकों को नियुक्त करने का अधिकार भी होगा.
यह रिपोर्ट इस बात पर गहराई से प्रकाश डालती है कि कैसे अच्छी कमाई के विचार से आकर्षित होकर हज़ारों पंजाबी युवा इटली जाने के लिए तस्करों को लाखों रुपये का भुगतान करते हैं और वहां जाकर उन्हें लगभग गुलामी की स्थितियों में काम करना पड़ता है. तीन अन्य पत्रकारों के साथ द वायर से जुड़ीं कुसुम अरोड़ा ने इस रिपोर्ट को लिखा था.
सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा तैयार प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक, 2023 या प्रसारण विधेयक को सेंसरशिप चार्टर के बतौर देखा जा सकता है, जहां 'केंद्र सरकार' स्वतंत्र समाचारों को सेंसर बोर्ड जैसे दायरे में घसीटना चाहती है.
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने कश्मीरी पत्रकार आसिफ़ सुल्तान पर लगे जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) को रद्द कर दिया है. समाचार पत्रिका ‘कश्मीर नैरेटर’ के रिपोर्टर आसिफ़ को 2018 में उन आतंकवादियों को शरण देने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था, जिन्होंने उस साल श्रीनगर में एक मुठभेड़ के दौरान एक पुलिसकर्मी की हत्या कर दी थी.
16 नवंबर 2023 को प्रकाशित रॉयटर्स की एक विशेष रिपोर्ट में दावा किया गया था कि दिल्ली की कंपनी एपिन ने कथित तौर पर नेताओं, अंतरराष्ट्रीय अधिकारियों, प्रमुख वकीलों और अन्य का डेटा चुराया है.
झारखंड के खूंटी ज़िले में पत्रकार सोनू अंसारी और यूट्यूबर गुंजन कुमार के ख़िलाफ़ कथित तौर पर सरकारी काम में बाधा डालने का केस दर्ज किया गया है. उन्होंने अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि उत्तराखंड के सिल्कयारा सुरंग ढहने के करीब दो सप्ताह बाद प्रशासन ने इसमें फंसे श्रमिक विजय होरो के ग़रीब परिवार को राशन उपलब्ध कराया था.
इन चार पत्रकारों को गुजरात पुलिस ने अडानी समूह की आलोचना करने वाली उनकी रिपोर्ट को लेकर तलब किया था. अडानी-हिंडनबर्ग विवाद को लेकर दो पत्रकारों द्वारा लिखी गई एक रिपोर्ट ऑर्गनाइज़्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित हुई थी, जबकि दो अन्य पत्रकारों की रिपोर्ट को फाइनेंशियल टाइम्स ने प्रकाशित किया था.
सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी से पता चला है कि ये सभी लेख सरकारी अधिकारियों या केंद्रीय मंत्रियों द्वारा लिखे गए थे. इन लेखों में उन्होंने जी-20 के लक्ष्यों के अनुरूप सरकारी योजनाओं पर प्रकाश डाला था, मोदी की प्रशंसा की थी और जी-20 की अध्यक्षता करने के लिए भारत के महत्व को समझाया था.
वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट बताती है कि भारत में नेटफ्लिक्स और अमेज़ॉन प्राइम वीडियो को धर्म, राजनीति और जाति विभाजन से जुड़े प्रोजेक्ट को लेकर भाजपा और हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों के दबाव का सामना करना पड़ता है, जिसके चलते कई प्रोजेक्ट या तो रद्द कर दिए जाते हैं या उन्हें बीच में ही रोक दिया जाता है.
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने कश्मीरी पत्रकार सज्जाद गुल के ख़िलाफ़ जन सुरक्षा अधिनियम के तहत लगाए गए आरोपों संबंधी सुनवाई में कहा कि सूबे के प्रशासन ने कार्यवाही को मंज़ूरी देते समय अपना दिमाग़ नहीं लगाया और ऐसा कुछ पेश नहीं किया जो साबित करता हो कि गुल राष्ट्रहित के ख़िलाफ़ काम कर रहे थे.
कश्मीरी पत्रकार और समाचार वेबसाइट ‘द कश्मीर वाला’ के संपादक फहद शाह को पहली बार पिछले साल 4 फरवरी को सोशल मीडिया पर ‘आतंकवादी गतिविधियों का महिमामंडन’ करने और दक्षिण कश्मीर के पुलवामा ज़िले में एक मुठभेड़ की कथित ‘ग़लत रिपोर्टिंग’ करके ‘देश के ख़िलाफ़ असंतोष’ पैदा करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था.