पाकिस्तान की नई सरकार ने सरकारी मीडिया संस्थानों से राजनीतिक प्रतिबंध हटा दिया: सूचना मंत्री

पाकिस्तान के सूचना मंत्री ने कहा कि नए निर्देश पाकिस्तान टेलीविज़न और रेडियो पाकिस्तान जैसे सरकारी संस्थानों को पूरी संपादकीय स्वतंत्रता के लिए जारी किए गए हैं. इन्हें विदेशी मीडिया संस्थानों की तरह स्वतंत्रता दी जाएगी.

राजस्थान से गिरफ़्तार कर बिहार लाए गए पत्रकार ​के मामले का सच क्या है?

पटना में एससी-एसटी एक्ट के तहत दायर मामले में राजस्थान के पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित का कहना है कि वे कभी बिहार नहीं गए. वहीं, दूसरी ओर जिसके नाम से शिकायत दर्ज कराई गई है उसने ऐसी कोई शिकायत दर्ज कराने से इनकार किया है.

मीडिया बोल, एपिसोड 63: केरल की बाढ़ और अटल बिहारी वाजपेयी की शख़्सियत का मीडिया मूल्यांकन

मीडिया बोल की 63वीं कड़ी में उर्मिलेश केरल की बाढ़ विभीषिका की मीडिया कवरेज और अटल बिहारी वाजपेयी पर वरिष्ठ पत्रकार पूर्णिमा जोशी और जनता का रिपोर्टर के संपादक रिफ़त जावेद से चर्चा कर रहे हैं.

क्या सत्ता के सामने भारतीय मीडिया रेंगने लगा है?

संपादकों का काम सत्ता के प्रचार के अनुकूल कंटेट को बनाए रखने का है और हालात ऐसे हैं कि सत्तानुकूल प्रचार की एक होड़ मची हुई है. धीरे-धीरे हालात ये भी हो चले हैं कि विज्ञापन से ज़्यादा तारीफ़ न्यूज़ रिपोर्ट में दिखाई दे जाती है.

क्या भारत के बड़े अख़बार प्रेस की आज़ादी पर छोटे अख़बारों के हक़ में संपादकीय लिख सकते हैं?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार प्रेस पर हमला करते रहते हैं. अमेरिकी प्रेस ने इसके ख़िलाफ जम कर लोहा लिया है. अख़बार बोस्टन ग्लोब के नेतृत्व में 300 से अधिक अख़बारों ने एक ही दिन प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर संपादकीय छापे हैं.

मीडिया पर राष्ट्रपति ट्रंप के प्रहारों के ख़िलाफ़ 350 अमेरिकी मीडिया संगठनों ने संपादकीय लिखा

अमेरिका के बोस्टन ग्लोब अख़बार ने ‘एनमी ऑफ नन’ हैशटैग का इस्तेमाल करके राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मीडिया विरोधी रुख़ की राष्ट्रव्यापी निंदा की अपील की थी. जिस पर हर अख़बार ने ट्रंप की मीडिया विरोधी टिप्पणियों के विरुद्ध अपना-अपना संपादकीय लिखा है.

मीडिया बोल, एपिसोड 62: मीडिया की आज़ादी सत्ता को क्यों मंज़ूर नहीं है?

मीडिया बोल की 62वीं कड़ी में उर्मिलेश मीडिया की आज़ादी पर पूर्व पत्रकार व आप नेता आशुतोष और वरिष्ठ पत्रकार नीरेंद्र नागर से चर्चा कर रहे हैं.

यह अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए निराशाजनक दौर है

यह एक कठोर हक़ीक़त है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी को बचाए रखने वाले हर क़ानून के अपनी जगह पर होने के बावजूद समाचारपत्रों और टेलीविज़न चैनलों ने बिना प्रतिरोध के आत्मसमर्पण कर दिया है और ऊपर से आदेश लेना शुरू कर दिया है.

जन गण मन की बात, एपिसोड 287: कांवड़ियों का उत्पात और मीडिया निगरानी

जन गण मन की बात के 287वीं कड़ी में विनोद दुआ कांवड़ियों द्वारा मचाए गए उत्पात और मोदी सरकार द्वारा की जा रही मीडिया की निगरानी पर चर्चा कर रहे हैं.

एक्सक्लूसिव: एबीपी न्यूज़ से पत्रकारों के इस्तीफ़े के पहले पतंजलि ने चैनल से हटाए थे विज्ञापन

पतंजलि के प्रवक्ता ने एबीपी समाचार चैनल से विज्ञापन हटाने की बात स्वीकारते हुए वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी और मिलिंद खांडेकर के इस्तीफ़े में हाथ होने से इनकार किया.

अब मीडिया सरकार की नहीं बल्कि सरकार मीडिया की निगरानी करती है: पुण्य प्रसून बाजपेयी

विशेष: वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी बता रहे हैं कि न्यूज़ चैनलों पर नकेल कसने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के भीतर बनाई गई 200 लोगों की ‘गुप्त फ़ौज’ क्या और कैसे काम करती है.

सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया से यौन शोषण ​पीड़िताओं की तस्वीरें प्रकाशित/प्रसारित न करने को कहा

देश में बलात्कार से संबंधित राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला देते हुए शीर्ष अदालत ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ सोशल मीडिया पर पीड़िताओं की धुंधली या संपादित तस्वीरें प्रकाशित न करने का निर्देश दिया.

मुझे कहा गया कि न मोदी का नाम लूं, न ही उनकी तस्वीर दिखाऊं: पुण्य प्रसून बाजपेयी

बेस्ट ऑफ 2018: अपने इस लेख में मास्टरस्ट्रोक कार्यक्रम के एंकर रहे पुण्य प्रसून बाजपेयी उन घटनाक्रमों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं जिनके चलते एबीपी न्यूज़ चैनल के प्रबंधन ने मोदी सरकार के आगे घुटने टेक दिए और उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा.

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