हर लड़की की सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मी तैनात नहीं हो सकते: गोवा के संस्कृति मंत्री

इससे पहले गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत द्वारा बलात्कार पीड़िताओं को लेकर दिए गए उस बयान की जमकर आलोचना हुई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि जब 14 साल के बच्चे पूरी रात समुद्र तट पर रहते हैं तो माता-पिता को आत्ममंथन करने की ज़रूरत है. आलोचनाओं के बाद उन्होंने कहा कि उनके बयान को संदर्भ से बाहर करके देखा गया.

मध्य प्रदेश के मंत्री ने कहा- नेहरू के 1947 के भाषण से शुरू हुई अर्थव्यवस्था की बदहाली

मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि देश की आज़ादी के बाद अर्थव्यवस्था को पंगु बनाकर महंगाई बढ़ाने का श्रेय अगर किसी को जाता है तो वह नेहरू परिवार है. महंगाई एक-दो दिन में नहीं बढ़ती. अर्थव्यवस्था की नींव एक-दो दिन में नहीं रखी जाती है. 15 अगस्त 1947 को लाल क़िले की प्राचीर से प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा दिए गए भाषण की ग़लतियों के कारण देश की अर्थव्यवस्था बिगड़ गई.

मंत्री पद जाने के बाद भाजपा नेता बाबुल सुप्रियो ने राजनीति छोड़ने की घोषणा की

50 वर्षीय बाबुल सुप्रियो ने 2014 से नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में कई विभागों को संभाला था. उन्हें इस महीने की शुरुआत में एक बड़े मंत्रिमंडल फेरबदल के दौरान हटा दिया गया था. उन्होंने सांसद के पद से भी इस्तीफ़ा देने की बात कही है. सुप्रियो ने संकेत दिया कि उन्होंने यह निर्णय आंशिक रूप से मंत्री पद जाने और भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के नेतृत्व के साथ मतभेदों के कारण लिया है.

यूपी भाजपा के ट्विटर पेज से कार्टून पोस्ट कर किसान आंदोलनकारियों को दी गई चेतावनी

उत्तर प्रदेश भाजपा के आधिकारिक ट्विटर एकाउंट से 29 जुलाई को एक कार्टून पोस्ट किया गया था. इस कार्टून में एक बाहुबली को एक आंदोलनकारी किसान को प्रदर्शन के लिए लखनऊ न जाने की सलाह देते हुए दिखाया गया है, क्योंकि वहां योगी आदित्यनाथ का शासन है. कार्टून में बाहुबली की बात सुनकर किसान को यह सोचते हुए भी दिखाया गया है कि उसे बाल पकड़कर खींचा जा रहा है. बाल खींचने वाले का हाथ दिखाया गया है, जिसने भगवा

मुर्गे, बकरे का मांस या मछली खाने के बजाय बीफ़ ज़्यादा खाओः मेघालय के भाजपा मंत्री

पिछले हफ्ते मेघालय सरकार में कैबिनेट मंत्री की शपथ लेने वाले भाजपा नेता सनबोर शुलई ने कहा कि एक लोकतांत्रिक देश में हर कोई अपनी पसंद का खाना खाने के लिए स्वतंत्र है. मेघालय और असम के बीच तनावपूर्ण सीमा विवाद पर उन्होंने कहा कि हमारे पास अपने लोगों की रक्षा करने की भावना होनी चाहिए, हमें अपने बल का उपयोग करना चाहिए. पुलिस को असम पुलिस से बात करने के लिए जाना चाहिए.

मध्य प्रदेश: वन विभाग की अधिकारी को क्या रेत खनन माफिया पर नकेल कसने की सज़ा मिली है

विशेष रिपोर्ट: मुरैना ज़िले के राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य में बतौर अधीक्षक तैनात श्रद्धा पांढरे ने अप्रैल में पदभार संभालने के बाद से ही क्षेत्र के रेत खनन माफिया के ख़िलाफ़ लगातार कार्रवाई की. इस दौरान उन पर ग्यारह हमले भी हुए. अब तीन महीनों के कार्यकाल के बाद ही 'रूटीन कार्रवाई' बताते हुए उनका तबादला कर दिया गया.

इस सरकार के झूठ की कोई इंतिहा ही नहीं

बीते 20 जुलाई को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से राज्यसभा में कहा गया कि कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की अप्रत्याशित मांग के बावजूद किसी भी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश में इसके अभाव में किसी व्यक्ति के मरने की उसे जानकारी नहीं है. उसके पास इस बात की जानकारी भी नहीं है कि दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलित किसानों में से अब तक कितने अपनी जान गंवा चुके हैं.

गोवा सीएम ने नाबालिग रेप पीड़िताओं के माता-पिता से पूछा, लड़कियां देर रात तक बाहर क्यों थीं

बीते 25 जुलाई को गोवा के बेनॉलिम बीच पर चार लोगों ने ख़ुद को पुलिसकर्मी बताकर दो लड़कियों से कथित तौर पर बलात्कार किया. मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने इसे लेकर सदन में कहा था कि जब 14 साल के बच्चे पूरी रात समुद्र तट पर रहते हैं तो माता-पिता को आत्ममंथन करने की ज़रूरत है. हम सिर्फ़ इसलिए सरकार और पुलिस पर ज़िम्मेदारी नहीं डाल सकते कि बच्चे नहीं सुनते.

असम-मिज़ोरम सीमा संबंधी विवाद के गंभीर स्थिति में पहुंचने का ज़िम्मेदार कौन है

असम और मिज़ोरम की सीमा पर गोलीबारी जैसी घटना पहले कभी नहीं हुई थी. इस बारे में दोनों ही राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बयान अलग-अलग हैं. हालांकि इस तरह की झड़प को रोकने में गृह मंत्री अमित शाह की विफलता केंद्रीय गृह मंत्रालय की भूमिका पर सवाल उठाती है.

बंगाल चुनाव बाद हिंसा: राज्य सरकार ने एनएचआरसी की रिपोर्ट को पूर्वाग्रहों से भरा बताया

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा को लेकर ममता बनर्जी सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट में हलफ़नामा दायर कर आरोप लगाया गया है कि एनएचआरसी जांच समिति के सदस्यों के भाजपा नेताओं या केंद्र सरकार के साथ क़रीबी संबंध हैं. एनएचआरसी की रिपोर्ट में कहा गया था कि बंगाल में क़ानून का शासन नहीं, बल्कि शासक का क़ानून चल रहा है. बंगाल में हिंसक घटनाएं पीड़ितों की दशा के प्रति राज्य सरकार की उदासनीता को दर्शाती है.

बसवराज बोम्मई ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली

बीएस येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने पर लगाई जा रहीं अटकलों को विराम देते हुए बीते सोमवार को इस्तीफ़ा दे दिया था. उन्होंने इस्तीफ़ा ऐसे दिन दिया जब उनकी सरकार को दो साल पूरे हुए थे. बसवराज बोम्मई उनकी जगह लेने वाले शीर्ष दावेदारों में से थे. उत्तर कर्नाटक से लिंगायत समुदाय के नेता बोम्मई को येदियुरप्पा का क़रीबी माना जाता है.

छत्तीसगढ़: अपनी ही सरकार से नाराज़ होकर विधानसभा छोड़कर बाहर निकले टीएस सिंहदेव

बीते 25 जुलाई को कांग्रेस विधायक बृहस्पत सिंह ने आरोप लगाया था कि उनके काफिले पर 24 जुलाई की शाम छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव पर के इशारे पर हमला किया गया था. इस संबंध में सिंहदेव विधानसभा में कहा है कि वह सदन की कार्यवाही में तब तक शामिल नहीं होंगे, जब तक राज्य सरकार विधायक द्वारा लगाए गए आरोपों पर स्पष्ट जवाब नहीं दे देती है.

झारखंड सरकार गिराने की साज़िश: दो आरोपियों ने भाजपा नेताओं का नाम लिया, उन्होंने इनकार किया

बीते 24 जुलाई को एक कांग्रेस विधायक की शिकायत पर झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार को गिराने की साज़िश रचने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ़्तार किया गया था. तीन में से दो आरोपियों ने पुलिस को दिए अपने बयान में महाराष्ट्र के दो भाजपा नेताओं के साथ सत्ताधारी गठबंधन के तीन विधायकों, बिचौलिओं और फाइनेंसरों का नाम लिया है.

केंद्र सरकार ने सीएए के नियम तैयार करने के लिए छह महीने का समय और मांगा

केंद्रीय गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कहा कि सीएए के नियम अभी तैयार नहीं हो पाए हैं, इसलिए उन्होंने लोकसभा और राज्यसभा की अधीनस्थ समितियों से अनुरोध किया है कि वे इन नियमों को बनाने के लिए नौ जनवरी 2022 तक का अतिरिक्त समय दें.

असम और मिज़ोरम के बीच सीमा विवाद की वजह क्या है?

मौजूदा असम और मिज़ोरम के बीच 164 किलोमीटर की सीमा ब्रिटिश ज़माने से ही है जब मिज़ोरम को असम के एक ज़िले लुशाई हिल्स के नाम से जाना जाता था. विवाद 1875 की एक अधिसूचना से उपजा है, जो लुशाई हिल्स को कछार के मैदानी इलाकों से अलग करता है, जबकि 1933 की एक अन्य अधिसूचना ने उस विवाद को बढ़ाने का काम किया, जिसके तहत लुशाई हिल्स और मणिपुर के बीच एक सीमा निर्धारित कर दी गई.

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