35 सालों से न जीती गई भोपाल सीट पर दिग्विजय सिंह को उतारने के पीछे केंद्रीय नेतृत्व से अधिक मुख्यमंत्री कमलनाथ की मंशा बताई जा रही है. विश्लेषक मानते हैं कि दिग्विजय की हार या जीत से फायदा कमलनाथ का ही है. जीत दिग्विजय को दिल्ली पहुंचाएगी, जिससे राज्य की राजनीति में उनका हस्तक्षेप कम होगा और हार ज़ाहिर तौर पर उनका क़द कम कर देगी.
पाटीदार समुदाय के लिए शिक्षा और नौकरी में आरक्षण की मांग को लेकर 2015 में हार्दिक पटेल ने मेहसाणा में आंदोलन किया था, जिसमें हिंसा भड़क गई थी. हार्दिक को हिंसा के एक मामले में दोषी ठहराते हुए दो साल क़ैद की सज़ा मिली थी.
1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद संघ पर प्रतिबंध लगा था, जिसे साल भर बाद हटाया गया था. इससे जुड़े दस्तावेज़ सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध होने चाहिए, लेकिन न तो ये राष्ट्रीय अभिलेखागार के पास हैं और न ही गृह मंत्रालय के.
27 मार्च को प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम संबोधन के बारे में राजनीतिक दलों की शिकायत के बाद चुनाव आयोग ने बताया कि इस बारे में न तो प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से आयोग को सूचित किया गया था और न ही अनुमति मांगी गई थी.
भारत सरकार यूं तो कहती है कि आतंकवादी कहीं छिपा हो वह उसे निकाल लाएगी, लेकिन इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्री का कहना था कि क्यों सरकार आगे की अदालत में इस फैसले के ख़िलाफ़ अपील करे? जिसे करना हो करे, सरकार क्यों करे? इससे क्या फायदा होगा?
फिल्मकारों का कहना है कि मॉब लिंचिंग और गोरक्षा के नाम पर देश को सांप्रदायिकता के आधार पर बांटा जा रहा है. कोई भी व्यक्ति या संस्था सरकार के प्रति थोड़ी-सी भी असहमति जताते हैं तो उन्हें राष्ट्र विरोधी या देशद्रोही क़रार दिया जाता है.
एनआईए अदालत के जज जगदीप सिंह ने अपने फैसले में कहा, 'मुझे गहरे दर्द और पीड़ा के साथ फैसले का समापन करना पड़ रहा है क्योंकि विश्वसनीय और स्वीकार्य साक्ष्यों के अभाव की वजह से इस जघन्य अपराध में किसी को गुनहगार नहीं ठहराया जा सका.'
लोकसभा चुनाव से पहले आई कुछ रिपोर्टों के अनुसार देश के करीब 12 करोड़ लोगों के नाम मतदाता सूची में नहीं हैं. हैदराबाद स्थित एक समूह का दावा है कि ऐसे लोगों में बड़ी संख्या मुसलमानों और दलितों की है. द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी इस बारे में सॉफ़्टवेयर इंजीनियर सैयद खालिद सैफुल्लाह से चर्चा कर रही हैं.
समाजवादी पार्टी के नेता फ़िरोज़ ख़ान ने कहा कि जयाप्रदा के रामपुर आने पर यहां की शामें रंगीन होंगी. आज़म खां ने रामपुर में बहुत काम किया है इसलिए वोट तो सपा को ही देंगे, लेकिन इसके बीच लोग अब मज़ा लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे.
फैक्ट चेक वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार, दो सप्ताह के भीतर विज्ञापनों पर खर्च करने में शीर्ष 20 फेसबुक पेजों का योगदान 1.9 करोड़ रुपये से ज्यादा का है.
मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा, 'सामान्य न्यूनतम कार्यक्रम में एक शर्त यह थी कि कोई भी गठबंधन सहयोगी शिरोडा विधानसभा उपचुनाव नहीं लड़ेगा. उपमुख्यमंत्री सुदीन धवलिकर के भाई दीपक धवलिकर ने शिरोडा विधानसभा क्षेत्र से वापसी से इनकार कर दिया.'
मुज़फ़्फ़रनगर दंगों पर राजनीतिक रोटियां सबने सेंक लीं पर दंगा पीड़ितों को न्याय नहीं मिला. जो लोग तब सरकार चला रहे थे वे कहते हैं कि दंगे नहीं रोक सकते थे. तो अब सवाल यह है कि इस बार उन्हें क्यों चुना जाए?
हैदराबाद के एक कारोबारी का आरोप है कि भाजपा महासचिव पी. मुरलीधर राव और उनके साथियों ने 2.17 करोड़ रुपये लेकर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय में लाभ का पद दिलाने का वादा किया था. साथ ही तत्कालीन वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण के जाली दस्तख़त वाला एक नियुक्ति पत्र भी दिखाया था.
अमित शाह ने ट्वीट कर कहा है कि संगठन गिरिराज सिंह की सभी समस्याओं का समाधान निकालेगा. सीट बदलने पर गिरिराज सिंह ने कहा था कि इससे उनके स्वाभिमान को ठेस पहुंची है.
चुनावी बातें: 1980 के चुनाव में वामपंथियों के नारे- 'चलेगा मजदूर उड़ेगी धूल, न बचेगा हाथ, न रहेगा फूल' के जवाब में कांग्रेस ने ‘न जात पर, न पात पर, इंदिरा जी की बात पर, मुहर लगेगी हाथ पर’ का नारा दिया था.