गुजरात चुनाव सिर पर है और विकास अवकाश पर है

मेरे किसान भाइयों! तुम्हें तो अब ख़ुदकुशी भी करने की ज़रूरत नहीं है. सरकार आजकल तुम्हें ख़ुद गोली मार देती है. चलो इस बहाने ज़हर का ख़र्चा भी ख़त्म हुआ.

2012 में अगर प्रणब प्रधानमंत्री बनते, तो ​कांग्रेस का इतिहास शायद कुछ और होता

अगर प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति की जगह प्रधानमंत्री बनाया जाता तो उनकी राजनीतिक कुशलता 2014 में नरेंद्र मोदी की आसान जीत के रास्ते में अवरोध बन कर खड़ी होती.

पहले शहर में राजनीति होती थी, अब शहरों की राजनीति होती है

पार्टियां और सरकारें बदलती हैं तो सिर्फ़ नुक्कड़ और चौराहों पर लगे इश्तिहार ही नहीं बदलते बल्कि सारे के सारे शहर का पोशाक बदल जाता है.

सुप्रीम कोर्ट का केंद्र से सवाल: क्या महिलाओं के लिए बने राज्य आयोग सच में अस्तित्व में हैं?

निराश्रित विधवाओं द्वारा झेली जा रही मुश्किल स्थितियों से जुड़े मुद्दों पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने यह सवाल उठाया है.

बलात्कार पीड़िता की चुप्पी सहमति का सबूत नहीं: उच्च न्यायालय

बलात्कार के एक मामले में सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपी की यह दलील आधारहीन है कि घटना के बारे में पीड़िता की चुप्पी उसके सहमति से यौन संबंध बनाने का प्रमाण है.

अयोध्या: एक दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात

आज अयोध्या सीता जैसी ही अकेली है. वह नहीं समझ पा रही कि इस उदासी का गिला किससे और कैसे करे? बुधवार की जगर-मगर देखने तो सैकड़ों न्यूज़ चैनल दौड़ पड़े थे, अब उसकी उदासी को खोज-ख़बर लेने वाला कोई नहीं है.

बिहार: खगड़िया में महादलितों के 50 से ज़्यादा घरों में लगाई आग

ज़िले के छमसिया गांव में ज़मीन की लड़ाई को लेकर महादलितों के पचास से ज़्यादा घरों को आग के हवाले कर दिया गया. इस दौरान कई राउंड फायरिंग भी की गई.

क्या रोहिंग्याओं के लिए उम्मीद नाम का कोई कोना बचा हुआ है?

दुनिया ने रोहिंग्याओं के ख़िलाफ़ सहानुभूति में इतनी कंजूसी दिखाई है कि सहानुभूति की कोई भी अपील ईश्वर की आवाज़ की तरह सुनाई देती है.

हम भी भारत, एपिसोड 05: रोहिंग्या शरणार्थी और भारत

हम भी भारत की पांचवीं कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी रोहिंग्या शरणार्थी संकट पर म्यांमार में संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि रह चुके विजय नांबियार और आॅब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के वरिष्ठ फेलो मनोज जोशी से चर्चा कर रही हैं.

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