शीर्ष अदालत में बताया गया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पटाखा वितरकों के पास 50 लाख और अकेले दिल्ली में एक लाख किलोग्राम पटाखों का भंडार है.
नेता कई तरह की गुप्त पूजा कराते हैं जिसका ख़र्च बीस-बीस लाख आता है. क्रिकेटर से लेकर सार्वजनिक जीवन का हर संभ्रांत प्रतीक अंधविश्वास का संरक्षक है, इसलिए सिरसा के डेरा समर्थकों को गंवारों की फौज न कहें.
एक बार में तीन तलाक़ को कोर्ट द्वारा असंवैधानिक क़रार देने के बाद उत्तर प्रदेश से चार और मध्य प्रदेश से एक मामला सामने आया है.
सीबीआई की विशेष अदालत ने गुरमीत राम रहीम को बलात्कार के दो मामलों में 10-10 साल की सजा सुनाई है, साथ ही 30 लाख रुपये जुर्माना देने को कहा है.
गुरमीत राम रहीम के डेरे में रहने वाली साध्वी का यह अनाम पत्र सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति ने 2002 में अपने अख़बार 'पूरा सच' में प्रकाशित किया था, जिसके बाद यह मामला सामने आया.
कुरुक्षेत्र में डेरा के नौ केंद्र सील: पेट्रोल बम, हज़ारों लाठियां, धारदार हथियार बरामद. सिरसा के डेरा परिसर में चलती थी अलग मुद्रा प्रणाली.
जदयू ने लालू की 'भाजपा भगाओ देश बचाओ' रैली में शामिल होने को लेकर दी शरद यादव को हिदायत.
पत्रकारिता विश्वविद्यालयों को चढ़ा बाबागिरी का बुखार. आईआईएमसी में हवन के बाद अब माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय करेगा गोसेवा.
दिल्ली के 11 ज़िलों समेत नोएडा, गाज़ियाबाद में धारा 144 लागू, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान के कई ज़िलों में कर्फ्यू. स्थिति तनावपूर्ण किंतु नियंत्रण में.
पंचकुला को सेना के हवाले किया गया. दिल्ली में सात जगह हिंसा, आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर खड़ी ट्रेन में आग लगाई.
जन गण मन की बात की 107वीं कड़ी में विनोद दुआ स्वाइन फ्लू से होने वाली मौतों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में होने जा रहे फेरबदल पर चर्चा कर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 106वीं कड़ी में विनोद दुआ निजता के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले और बलात्कार के एक मामले में आरोपी गुरमीत राम रहीम पर चर्चा कर रहे हैं.
भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान डायना एडुल्जी के मुताबिक, पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन ने कहा था कि अगर उनका बस चलता तो महिला क्रिकेट बंद करवा देते.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने एक बार में तीन तलाक़ कहने पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को मौलिक अधिकारों का हवाला देते हुए मानने से इनकार किया.
पितृसत्ता का प्रभाव देश के ज़्यादातर नागरिकों पर ही नहीं, बल्कि सरकार, प्रशासन और न्यायपालिका जैसे संस्थान भी इसके असर से बचे हुए नहीं हैं, जिन पर लैंगिक न्याय स्थापित कराने का दायित्व है.