सीएए-एनआरसी के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों में जामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में कथित भड़काऊ भाषण देने के आरोप में यूएपीए के तहत गिरफ़्तार जेएनयू छात्र शरजील इमाम ने उनकी ज़मानत याचिका खारिज़ करने को चुनौती दी है. उनका कहना है कि उनके सभी सह आरोपियों को इस मामले में ज़मानत मिल चुकी है लेकिन वे अब भी बीते 20 महीने से जेल में हैं.
2019 में जाति विरोधी नेता टीएम उमर फ़ारुख़ की पुण्यतिथि के मौक़े रंजीत ने राजा राज चोलन की यह कहकर आलोचना की थी कि उनके शासनकाल में जाति व्यवस्था प्रचलन में थी, जिसके दौरान दलितों की ज़मीनें ज़ब्त की गईं और देवदासी प्रथा शुरू हुई. इस पर तंजावुर पुलिस ने स्वतः संज्ञान लेते हुए उनके ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की थी.
भाजपा और आरएसएस नहीं मानते कि मुसलमानों और ईसाईयों को अपने तरीके से रोज़ी कमाने और अपनी तरह से धर्म का पालन करने का हक़ है. लेकिन इस बुनियादी संवैधानिक अधिकार को न मानने और इसकी मनमानी व्याख्या की छूट पुलिस और प्रशासन को नहीं है. अगर वे ऐसा कर रहे हैं तो वे वर्दी या कुर्सी के योग्य नहीं हैं.
कुणाल कामरा के बेंगलुरु में होने वाले शो रद्द, बोले- सत्ता कम से कम उत्पीड़न में तो समानता रख रही है
कॉमेडियन कुणाल कामरा ने एक ट्वीट में कहा, 'जिस जगह शो होना था, उसे लेकर धमकियां दी जाने लगीं. लगता है कि यह भी कोविड-19 प्रोटोकॉल का हिस्सा है. मुझे लगता है कि मुझे अब कोरोना के एक वेरिएंट के तौर पर देखा जा रहा है.' इससे पहले स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फ़ारूक़ी के भी बेंगलुरु में होने वाले शो को पुलिस द्वारा रद्द करवाया गया था.
विवादित तीनों कृषि क़ानूनों की वापसी के बाद कृषि संगठन मांग कर रहे हैं कि आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले 700 से अधिक किसानों को उचित मुआवज़ा प्रदान किया जाएगा, जिनका विस्तृत ब्यौरा उनके पास उपलब्ध है.
बीते अक्टूबर में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में प्रशासनिक परिषद ने दक्षिण कश्मीर के तीन ज़िलों- अनंतनाग, शोपियां और पुलवामा में सीआरपीएफ बेस के लिए ज़मीनें देने को मंज़ूरी दी थी. इसमें से एक औखू गांव भी है. यहां के किसानों का कहना है कि वे बेहद ग़रीब हैं और अगर उनकी ज़मीनें भी ले ली गईं, तो उनके पास कुछ नहीं बचेगा.
करतारपुर में गुरुद्वारा दरबार साहिब में पाकिस्तानी मॉडल सौलेहा द्वारा परिधान के एक ब्रांड के लिए बिना सिर ढके फोटोशूट कराए जाने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर आई थीं, जिसके बाद इनकी कड़ी आलोचना की गई थी और सिख समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया गया. बाद में मॉडल और ब्रांड द्वारा माफ़ी मांग ली गई थी.
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को वित्त वर्ष 2020-21 में सिख, बौद्ध और पारसी समुदाय से क्रमश: 99, 28 और दो शिकायतें प्राप्त हुई थीं, लेकिन मौजूदा वित्त वर्ष के आठ महीनों में ही इन समुदायों से शिकायतों की संख्या इससे अधिक हो गई है.
जोरहाट में 29 नवंबर को ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के एक नेता पर राह चलते हुए विवाद के बाद कथित तौर पर भीड़ ने हमला किया था, जिसके बाद उनकी मौत हो गई. पुलिस ने मुख्य आरोपी नीरज दास सहित 12 लोगों को हिरासत में लिया था. पुलिस का कहना है कि हिरासत से भागने के प्रयास में दास एक अन्य पुलिस वाहन की चपेट में आ गए और उनकी मौत हो गई.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश करते हुए 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने के लिए विनिवेश अभियान के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी. अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ ने सरकार से बैंकिंग क़ानून (संशोधन) विधेयक, 2021 को वापस लेने की अपील की, जो संसद के शीतकालीन सत्र में पेश और पारित करने के लिए सूचीबद्ध है.
घटना जोरहाट की है, जहां 29 नवंबर को ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के नेता पर राह चलते हुए एक विवाद के बाद कथित तौर पर भीड़ ने हमला किया, जिसके बाद उनकी मौत हो गई. इस दौरान उनके साथ वाहन पर यात्रा कर रहे दो अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे.
असम के एक विदेशी न्यायाधिकरण ने कछार ज़िले के एक परिवार के पांच सदस्यों को अप्रैल 2018 में दिए एकतरफा आदेश में विदेशी घोषित कर दिया था. गौहाटी हाईकोर्ट ने इसे रद्द करते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं को यह सिद्ध करने के लिए अवसर दिया जाना चाहिए कि वे भारतीय हैं न कि विदेशी.
मामला बेलगावी का है, जहां हिंदुत्व संगठनों द्वारा ईसाइयों पर हमले की कुछ घटनाओं के बाद पुलिस ने ईसाई समूहों को विधानसभा के शीतकालीन सत्र के ख़त्म होने तक प्रार्थना सभाएं आयोजित करने से बचने को कहा है. 13 से 24 दिसंबर तक चलने वाले इस सत्र में विवादास्पद धर्मांतरण विरोधी क़ानून पेश होने की उम्मीद है.
त्रिपुरा में 25 नवंबर को हुए नगर निकाय चुनाव में भाजपा ने 334 में से 329 सीटों पर जीत दर्ज की है. पार्टी ने अगरतला नगर निगम के सभी 51 वॉर्ड में जीत दर्ज की है. टीएमसी के खाते में एक सीट जबकि सीपीआई (एम) ने तीन सीट पर जीत हासिल की. एक सीट निर्दलीय प्रत्याशी के पक्ष में रही.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के रिपोर्ट के मुताबिक़, जम्मू कश्मीर में अपने साथ हुई घरेलू हिंसा के बारे में न बताने वाली महिलाओं का अनुपात 80 प्रतिशत से अधिक रहा. आठ राज्यों में दस प्रतिशत से भी कम महिलाओं ने शारीरिक हिंसा से बचने के लिए मदद मांगी.