निजी अस्पतालों में इलाज कराना सरकारी अस्पतालों से सात गुना महंगा: रिपोर्ट

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की एक सर्वेक्षण रिपोर्ट से इसका पता चला है. सर्वेक्षण 1.13 लाख परिवारों पर किया गया. यह आंकड़ा जुलाई-जून 2017-18 की अवधि के सर्वेक्षण पर आधारित है.

छत्तीसगढ़ में प्राथमिक शिक्षा के ज़रिये गोंडी भाषा को सहेजने का प्रयास

आदिवासी बहुल इलाकों में वृहद रूप से बोली जाने वाली गोंडी भाषा का कोई लिखित साहित्य न होने के चलते यह अपने अस्तित्व के लिए लड़ रही है. ऐसे में छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के दो स्कूलों में इस भाषा में प्राथमिक शिक्षा देकर इसे सहेजने की कोशिश की जा रही है.

तमिलनाडु: सरकार ने आईआईटी छात्रा की आत्महत्या की सीबीआई जांच की याचिका का विरोध किया

आईआईटी मद्रास में प्रथम वर्ष की छात्रा फ़ातिमा लतीफ़ ने नौ नवंबर को छात्रावास में आत्महत्या कर ली थी. केरल मूल की छात्रा के पिता ने आईआईटी के एक प्रोफेसर पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है.

राजस्थान: मुस्लिम पुलिसकर्मियों के दाढ़ी न रखने का फ़ैसला वापस लिया गया

मामला अलवर जिले का है, जहां गुरुवार को एसपी ने जिले में तैनात नौ पुलिसकर्मियों के दाढ़ी रखने पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था. ये सभी नौ पुलिसकर्मी मुस्लिम समुदाय से थे.

देश के लगभग चौदह लाख घरों में बिजली कनेक्शन नहीं

केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने लोकसभा में बताया कि 31 अक्टूबर 2019 तक देश के 13.9 लाख घर ऐसे हैं, जहां बिजली नहीं पहुंची है. बिजली से वंचित सर्वाधिक घर उत्तर प्रदेश में हैं.

पश्चिम बंगाल: गाय चोरी के शक़ में दो लोगों की पीट-पीटकर हत्या, 14 गिरफ़्तार

मामला कूच बिहार का है, जहां गुरुवार को बिना नंबर प्लेट के एक वाहन में कथित तौर पर चोरी की दो गायों को ले जा रहे दो लोगों को भीड़ ने रोका. उनकी डंडों से पिटाई की, उन पर पत्थर फेंके और वाहन में आग लगा दी.

‘बिन जिया जीवन’ समकालीन चिंताओं और संवेदनाओं की पुरानी अभिव्यक्ति है

पुस्तक समीक्षा: कुलदीप कुमार की कविताएं पिछले तीन दशकों में हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में आती रही हैं, पत्रकार की हैसियत से वे साहित्य-संस्कृति की जानी-मानी शख्सियतों से बातचीत करते रहे हैं. ऐसे अदीब से यह उम्मीद रहती है कि अपनी मौलिक रचनाओं में वे नई अंतर्दृष्टि की तलाश करेंगे. हाल ही में प्रकाशित उनके संग्रह 'बिन जिया जीवन' में सादगी के साथ इस उम्मीद को पूरा करने की कोशिश है.

भोपाल: रेलवे अधिकारी ने खुशवंत सिंह के उपन्यास को अश्लील बताया, बुक स्टॉल से हटाने का निर्देश

मध्य प्रदेश के भोपाल रेलवे स्टेशन पर यात्री सुविधाओं का निरीक्षण के दौरान एक रेलवे अधिकारी ने प्रसिद्ध लेखक खुशवंत सिंह के उपन्यास ‘वूमेन, सेक्स, लव और लस्ट’ बेचने से रोक दिया और कहा कि ऐसा अश्लील साहित्य नई पीढ़ियों का भविष्य खराब कर सकता है. मीडिया के माध्यम से मैं लोगों को एक संदेश देना चाहता हूं कि वे ऐसे साहित्य से दूर रहें.

2015 से 2017 के दौरान पूर्वोत्तर राज्यों से क़रीब 28 हज़ार लोग लापता हुए: गृह मंत्रालय

गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने बुधवार को राज्यसभा में बताया कि साल 2015-17 के दौरान आठ पूर्वोत्तर राज्यों से लापता हुए 27, 967 लोगों में बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं. सर्वाधिक 19,344 लोग असम से लापता हुए हैं.

मध्य प्रदेश: मेडिकल छात्र की संदिग्ध हालत में मौत, ह्विसिलब्लोअर ने व्यापमं से जुड़ा बताया

मध्य प्रदेश के इंदौर में 34 वर्षीय छात्र की मंगलवार को संदिग्ध हालत में मौत हो गई. व्यापमं घोटाले के एक ह्विसिलब्लोअर ने दावा किया कि मृतक मामले से जुड़ा हुआ था. हालांकि पुलिस ने छात्र के व्यापमं घोटाले से जुड़े होने की जानकारी से इनकार किया है.

अयोध्या: यह किसी अध्याय का अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है

अयोध्या के फैसले के बाद 'शांति' और मामले के आखिरकार 'ख़त्म' होने की बातों के बीच उन हज़ारों लोगों को भुला दिया गया है, जिनकी ज़िंदगी बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद बर्बाद हो गई.

जेएनयू बराबरी के समाज की सबसे ख़ूबसूरत संभावना है…

ऐसे सामाजिक पारिवारिक परिवेश, जिसमें उच्च शिक्षा की कल्पना डॉक्टरी-इंजीनियरिंग के दायरे से पार नहीं गई और नौकरी से परे शिक्षा को देखना एक तरह से अय्याशी और दूर की कौड़ी समझा जाता था, जेएनयू ने समझाया कि ये एक साज़िश है- समाज के बड़े तबके को बराबरी महसूस न होने देने की.

दिल्ली प्रदूषण: सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा, यूपी और दिल्ली के मुख्य सचिवों को तलब किया

सुप्रीम कोर्ट ने सम-विषम योजना से कुछ वाहनों को छूट प्रदान करने पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा और कहा कि यह योजना लागू होने के बावजूद राजधानी में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है.

कमजोर कानून के चलते भारत में जारी है हाथ से मैला सफाई की प्रथा: अध्ययन

विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं अन्य द्वारा संयुक्त रूप से किए गए अध्ययन में कहा गया है कि भारत में सफाईकर्मियों की आर्थिक स्थिति गंभीर है और यह जातिगत व्यवस्था से संबंधित रोजगार है. इसीलिए हाथ से मैला सफाई की प्रथा अब भी जारी है.

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