पूर्वोत्तर में बाढ़ से 13 लोगों की मौत, आठ लाख लोग प्रभावित, असम-मणिपुर में स्थिति बिगड़ी

केरल में 15 दिन से जारी बारिश की वजह से अब तक 45 लोगों की मौत. दिल्ली-एनसीआर में धुंध की वजह से प्रदूषण बरक़रार. पंजाब और हरियाणा में धूल भरी धुंध से थोड़ी राहत.

एससी-एसटी क़ानून में बदलाव के बाद बढ़े दलितों पर हमले: उदित राज

भाजपा सांसद उदित राज ने कहा कि दलितों के ख़िलाफ़ हिंसा की घटनाएं इसलिए बढ़ रहीं हैं क्योंकि किसी के मन में क़ानून का कोई डर नहीं रह गया है.

नाबालिग से सहमति से बनाए गए यौन संबंध भी बलात्कार: गुजरात हाईकोर्ट

अदालत ने एक मामले की सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि पोक्सो क़ानून की जानकारी न होने से युवाओं का जीवन ख़राब हो रहा है. इससे लोगों को अवगत कराना ज़रूरी है.

रामप्रसाद बिस्मिल: जिन्होंने क्रांति के लिए हथियार अपनी लिखी किताबों से मिले रुपयों से ख़रीदे थे

जयंती विशेष: ‘बिस्मिल’ से मिलने गोरखपुर जेल पहुंचीं उनकी मां ने डबडबाई आंखें देखकर उनसे पूछा-तुझे रोकर ही फांसी चढ़ना था तो क्रांति की राह क्यों चुनी?

मुगलसराय का नाम बदलना रेलवे की विरासत की क्षति है: विशेषज्ञ

इतिहासकार इरफान हबीब ने कहा कि सत्ता को पहले अंग्रेज़ों द्वारा दिए गए नामों से परेशानी थी. अब चाहे वह सड़क हो या पार्क, जो कुछ भी मुगल या इस्लामिक पहचान से जुड़ा है उसे बदला जा रहा है.

गुजरात में ‘कुर्सी पर बैठने’ को लेकर दलित महिला पर हमला

स्थानीय मीडिया के मुताबिक आरोपी पिछले महीने पीड़ित महिला के रिश्तेदार द्वारा अपने नाम में 'सिंह' जोड़ने को लेकर दर्ज करवाई गई शिकायत से नाराज़ थे.

जब बलराज साहनी ने हबीब तनवीर को तमाचा मारा था…

हबीब तनवीर की जितनी थियेटर पर पकड़ थी, उतनी ही मज़बूत पकड़ समाज, सत्ता और राजनीति पर थी. वे रंगमंच को एक पॉलिटिकल टूल मानते थे. उनका कहना था कि समाज और सत्ता से कटकर किसी क्षेत्र को नहीं देखा जा सकता.

कुपोषण से लड़ने के हॉर्लिक्स के दावे का अमिताभ बच्चन द्वारा प्रचार आंख में धूल झोंकना है

सेहत के लिए हानिकारक होने के चलते अमिताभ बच्चन ने साल 2014 में पेप्सी के साथ अपना क़रार रद्द कर दिया था. स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि अमिताभ हॉर्लिक्स के साथ भी ऐसा ही करेंगे.

जन गण मन की बात, एपिसोड 254: विश्व पर्यावरण दिवस और किसान आंदोलन

जन गण मन की बात की 254वीं कड़ी में विनोद दुआ विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर देश में बढ़ते प्रदूषण और विभिन्न मांगों को लेकर गांवबंद आंदोलन कर रहे किसानों पर चर्चा कर रहे हैं.

पर्यावरण को लेकर हमारी उधार की समझ ने इसे अंतहीन क्षति पहुंचाई है

आज भी जब हम बच्चों को जंगल की कहानी सुनाते हैं तो उसमें पेड़, पौधे, घास, जानवर, शेर, शिकार, नदी, सब होता है पर जो नहीं होता वो है मनुष्य. जिसने सदियों से जंगल को उर्वर बनाए रखा, सहेजकर रखा और दोनों के बीच ऐसा तादात्म्य बनाया कि हिंदुस्तान की संस्कृति में इसे प्राथमिक स्थान मिला.

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