एससी-एसटी क़ानून में बदलाव के बाद बढ़े दलितों पर हमले: उदित राज

भाजपा सांसद उदित राज ने कहा कि दलितों के ख़िलाफ़ हिंसा की घटनाएं इसलिए बढ़ रहीं हैं क्योंकि किसी के मन में क़ानून का कोई डर नहीं रह गया है.

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भाजपा सांसद उदित राज ने कहा कि दलितों के ख़िलाफ़ हिंसा की घटनाएं इसलिए बढ़ रहीं हैं क्योंकि किसी के मन में क़ानून का कोई डर नहीं रह गया है.

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भाजपा सांसद उदित राज (फोटो साभार: india.gov.in)

देश के विभिन्न हिस्सों से दलितों के खिलाफ हर रोज़ आ रही हिंसा की ख़बरों के बीच भाजपा सांसद उदित राज ने कहा है कि इस हिंसा की वजह सुप्रीम कोर्ट द्वारा बीते मार्च महीने में एससी/एसटी कानून में किया गया बदलाव है.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार शुक्रवार को दलितों के खिलाफ बढ़ती हिंसा को सुप्रीम कोर्ट द्वारा किये गए बदलाव से जोड़ते हुए पश्चिमी दिल्ली से सांसद उदित राज ने कहा, ‘यह बात सही है कि ऐसी (हिंसा) की घटनाएं बढ़ी हैं. (एससी/एसटी समुदाय के खिलाफ) रोज़ ऐसा हो रहा है क्योंकि अब किसी के मन में कोई डर नहीं रह गया है.’

उन्होंने न्यायपालिका में भी आरक्षण की मांग की. उन्होंने कहा, ‘न्यायपालिका की वजह से अत्याचार और बढ़े हैं… इस समय दलितों में ज्यादा नाराज़गी न्यायपालिका के खिलाफ है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट में आरक्षण दिए जाने की ज़रूरत है.’

उन्होंने मोदी सरकार के 10 संयुक्त सचिव स्तर के पदों पर निजी क्षेत्र के लोगों को नियुक्त करने के फैसले में भी आरक्षण की मांग की. उन्होंने कहा कि वे इस मांग के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगे.

उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार ने दलितों के लिए बहुत-सी योजनाएं शुरू की हैं लेकिन अफसरों ने जमीन पर इनका क्रियान्वयन ठीक से नहीं किया है. भाजपा सांसद ने अनुसूचित जाति/जनजाति के विद्यार्थियों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति बढ़ाने की भी मांग की है.

इसके अलावा भाजपा सांसद ने कहा कि दलित नेता और भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर रावण को तुरंत रिहा किया जाना चाहिए. मालूम हो कि चंद्रशेखर तकरीबन एक साल से जेल में हैं.

उदित राज ने 17 जून को गैर-राजनीतिक संगठन ऑल इंडिया कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ एससी/एसटी ऑर्गेनाईजेशन के कार्यकर्ताओं की एक बैठक बुलाई है, जिसमें अनुसूचित जाति/जनजाति से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर बात की जाएगी. उदित राज इस संगठन के अध्यक्ष हैं.

बताया जा रहा है कि इस बैठक में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी/एसटी कानून में किए गए बदलाव, विश्वविद्यालयों में नियुक्ति संबंधी यूजीसी के नए दिशा-निर्देशों और भारत बंद के बाद अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों को गिरफ्तार करने का मुद्दा भी उठाया जाएगा.