जब जुनैद का परिवार ईद नहीं मना सका तो मैं दीवाली कैसे मनाऊं?

दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर नंदिनी सुंदर लिखती हैं, ‘मेरे लिए महज एक हिंदू होने से ज़्यादा ज़रूरी इंसान होना है. इस साल दीवाली पर मेरे घर में तो अंधेरा रहेगा, लेकिन मेरे मन का कोई कोना ज़रूर रोशन होगा.’

‘विविध भारती आम आदमी के जीवन का बैकग्राउंड म्यूज़िक है’

तीन अक्टूबर को विविध भारती की स्थापना के 61 बरस पूरे हो गए. इतने बरस की विविध भारती की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि उसने हमारी ज़िंदगी को सुरीला बनाया है.

आॅनलाइन गुंडागर्दी: मोदी अकेले ऐसे वैश्विक नेता हैं जो ट्रोल्स को फॉलो करते हैं

स्वतंत्र पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी बता रही हैं कि एक लोकतंत्र में अगर सरकार नागरिकों पर हमला कर रही है तो हम किस लोकतंत्र में रह रहे हैं?

मोदी मुझसे बड़े अभिनेता, मैं अपने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार उन्हें देना चाहता हूं: प्रकाश राज

बाद में अभिनेता ने कहा, ‘मैं मूर्ख नहीं हूं कि ख़ुद को मिले राष्ट्रीय पुरस्कार लौटा दूं. यह मुझे मेरे काम की वजह से मिला है और मुझे इस पर गर्व है.’

मैं गाय को पूजता हूं लेकिन उसे बचाने के लिए मुसलमान को नहीं मारूंगा: गांधी

हिंदू अहिंसक और मुसलमान हिंसक है, यह बात अगर सही हो तो अहिंसा का धर्म क्या है? अहिंसक को आदमी की हिंसा करनी चाहिए, ऐसा कहीं लिखा नहीं है. अहिंसक के लिए तो राह सीधी है. उसे एक को बचाने के लिए दूसरे की हिंसा करनी ही नहीं चाहिए.

हम गांधी के लायक कब होंगे?

गांधी गाय को माता मानते हुए भी उसकी रक्षा के लिए इंसान को मारने से इनकार करते हैं. उनके ही देश में गोरक्षकों ने पीट-पीट कर मारने का आंदोलन चला रखा है.

सरोजिनी नायडू के इमाम हुसैन को राजनीति ने शिया मुसलमान बना दिया

हमारी बदनसीबी ही है कि जिस सोच ने देश को तीन टुकड़ों में बांट दिया, आज भी हमारे दिमागों में काई की तरह जमी हुई है और सड़ांध फैला रही है.

जितने मुंह, उतनी व्याख्याओं के लिए तैयार है हिंदू धर्म

हिंदू धर्म आज तक अगर प्राणवान रहा है तो राजाओं, अदालतों और पुलिस या लठैतों के बल पर नहीं. उसकी प्राणवत्ता परस्पर विरोधी स्वरों को सुनने और बोलने देने की उसकी तत्परता में रही है. उसे किसी मध्यस्थ की आवश्यकता नहीं.

हृषिकेश मुखर्जी: जिसने सिनेमा के साथ दर्शकों की भी नब्ज़ पढ़ ली थी

हृषिकेश सिनेमा के रास्ते पर आम परिवारों की कहानी की उंगली थामे निकले थे. ये समझाने कि हंसी या आंसुओं को अमीर-गरीब के खांचे में नहीं बांटा जा सकता.

महिषासुर भारतीय इतिहास का ऐतिहासिक नायक है

आज महिषासुर एक ऐतिहासिक चरित्र से मिथक बन चुका है. इतिहास के अति लोकप्रिय नायक मिथक हो जाया करते हैं. महिषासुर का इतिहास तो लोकमानस की यादों में जीवित है, उसे इतिहास ग्रंथों में खोजना बेईमानी है.

मै नास्तिक क्यों हूं?

मेरे एक दोस्त ने मुझे प्रार्थना करने को कहा. जब मैंने उसे नास्तिक होने की बात बताई तो उसने कहा, ‘अपने अंतिम दिनों में तुम विश्वास करने लगोगे.’ मैंने कहा, ‘नहीं, प्यारे दोस्त, ऐसा नहीं होगा. मैं इसे अपने लिए अपमानजनक तथा भ्रष्ट होने की बात समझता हूं. स्वार्थी कारणों से मैं प्रार्थना नहीं करूंगा.’

हमें किसी ने ब्रेक नहीं दिया, हम एक-एक सीन टपकते-टपकते इकट्ठा हो गए: पंकज त्रिपाठी

पंकज त्रिपाठी जब बिहार के छोटे से गांव से पटना पहुंचे तो उन्हें डॉक्टर बनना था, लेकिन वह छात्र राजनीति में कूद पड़े. राजनीति से रंगमंच के रास्ते उनका सफर मुंबई तक पहुंच गया है.

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