कश्मीर में चोटी काटने की घटनाएं बदला लेने का नया तरीका बन गई हैं

पुलिस ने पाया कि चोटी काटने के लिए हुई पिटाई के मामले प्रेम-प्रसंग, व्यापार, निजी रंज़िश या वसूली से जुड़े थे.

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Srinagar: Students shout slogans during a protest rally against the fresh incidents of braid chopping in the Valley, at Kashmir University in Srinagar on Thursday. PTI Photo (PTI10_12_2017_000150B)

पुलिस ने पाया कि चोटी काटने के लिए हुई पिटाई के मामले प्रेम-प्रसंग, व्यापार, निजी रंज़िश या वसूली से जुड़े थे.

Srinagar: Students shout slogans during a protest rally against the fresh incidents of braid chopping in the Valley, at Kashmir University in Srinagar on Thursday. PTI Photo (PTI10_12_2017_000150B)
श्रीनगर में चोटी काटने की घटनाओं के विरोध में गुरुवार को प्रदर्शन करतीं महिलाएं. (फोटो: पीटीआई)

श्रीनगर: कश्मीर में चोटी काटने की रहस्यमय घटनाओं को कुछ ज्यादा ही गंभीरता से लिया गया. प्रदर्शन हुए, बंद रखा गया, पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झड़प भी हुई. जिस चोटी कटवा को पूरे देश में किसी ने नहीं देखा, उसने कश्मीर की जटिल राजनीति और प्रशासन को हिला कर रख दिया है.

जम्मू कश्मीर पुलिस ने रविवार को कहा कि कश्मीर घाटी में रहस्यमयी चोटी काटने वाले कुछ लोग परेशानियों से बाहर निकलने या हिसाब बराबर करने के लिए ऐसा कर रहे हैं. यह उस सिद्धांत को भी बेनकाब करती है जो इस घटना के बाद मची अफरातफरी के लिए केंद्रीय एजेंसियों को जिम्मेदार बता रहे हैं.

जम्मू कश्मीर पुलिस ने पाया कि कुछ मामलों में लोगों ने अपने कारोबारी प्रतिद्वंद्वियों, पीछा करने वालों और यहां तक की प्रवासी मजदूरों को भी चोटी काटने के शक में पीटा.

अलगाववादियों का दावा है कि घाटी में हाल में हुई चोटी काटे जाने की घटनाओं से मची अफरातफरी के पीछे केंद्रीय एजेंसियों का हाथ है, जिसका मकसद उनके राष्ट्र विरोधी एजेंडे और आजादी की मांग से ध्यान भटकाना है.

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श्रीनगर में चोटी काटने की घटनाओं के विरोध में गुरुवार को प्रदर्शन करतीं महिलाएं. (फोटो: पीटीआई)

हालांकि कई मामलों में पुलिस ने पाया कि लोग अपनी समस्याओं से बचने के लिए इसे एक बहाने के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं. पुलिस महानिदेशक एसपी वैद्य ने कहा कि घाटी में तनाव बढ़ाने के निहित स्वार्थ के लिए जन उन्माद खड़ा किया जा रहा है.

उन्होंने कहा, कुछ लोग महज अशांति के लिए सुरक्षा बलों पर चोटी काट जाने के लिए आरोप लगा रहे हैं. हमने हर क्षेत्र में सहायता देने के लिए टीमें बनाई हैं लेकिन जिन लोगों ने ऐसे आरोप लगाये वे मदद के लिए आगे नहीं आए.

वैद्य ने बताया, हमारे पास हर जिले में अतिरिक्त उपायुक्त, पुलिस उपाधीक्षक और एक महिला डॉक्टर की टीम है. हमें चोटी काटे जाने का दावा करने वाले पीड़ितों की जांच करनी होगी. उन्हें आगे आना होगा और हमें मनोवैज्ञानिक विश्लेषण कराने के लिए अनुमति देनी होगी. लेकिन यह नहीं हो रहा.

उन्होंने यह भी कहा कि विभिन्न घटनाओं में ऐसे कुछ लोगों को जिन्हें चोटी काटे जाने के लिए पीटा गया, वे प्रेम-प्रसंग या व्यापार या निजी रंजिश या श्रमिक कार्यों के लिए ज्यादा वसूली से जुड़े मामले थे. वैद्य ने कहा, यह एक रुझान बनकर उभरा और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. पुलिस ऐसे मामले में कड़ी कार्रवाई करेगी.

इस महीने बरामूला में पुलिस की प्राथमिकी के मुताबिक डेलिना में एक लड़के नईम अहमद को भीड़ ने चोटी काटे जाने का आरोप लगाते हुए उसके साथ मारपीट की.

प्राथमिकी में कहा गया, मामले में छानबीन से खुलासा हुआ कि नईम का डेलिना गांव में एक स्थानीय लड़की के साथ प्रेम-प्रसंग था और जब वह मिलने के लिए गया था तो उसे रोककर स्थानीय लोगों ने उसपर चोटी काटे जाने का आरोप लगाते हुए उसकी पिटाई कर दी.

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श्रीनगर में चोटी काटने की घटनाओं के विरोध में गुरुवार को प्रदर्शन करतीं महिलाएं. (फोटो: पीटीआई)

वैद्य ने कहा, लोगों से आग्रह है कि अफवाहों पर ध्यान ना दें और मैं यह साफ कर देता हूं कि चोटी काटे जाने के नाम पर ध्यान खींचने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. शांतिपूर्ण माहौल बिगाड़कर हालात का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे, अफवाह फैलाने वाले और असमाजिक तत्वों पर मामला दर्ज किया जाएगा.

पुलिस के मुताबिक, तकरीबन 103 ऐसी घटनाएं हुईं, जिसमें 63 ऐसे लोगों से संबंधित थे जो मानसिक बीमारी का उपचार करा रहे थे या स्थानीय तांत्रिक के प्रभाव में थे.

कश्मीर में चोटी काटने के बढ़ते मामलों को लेकर 14 अक्टूबर को प्रदर्शन के दौरान कानून प्रवर्तन अधिकारियों के साथ संघर्ष में कम से कम 10 लोग घायल हो गए थे. पुलिस ने बताया कि बारामूला जिले के बोनियार इलाके में हुई कथित घटनाओं को लेकर आक्रोशित लोगों ने इलाके में विरोध प्रदर्शन किया.

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि शहर के खानयार और मैसुमा इलाकों से भी विरोध प्रदर्शन हुए.

कश्मीर घाटी में चोटी काटने की बढ़ती घटनाओं से लोगों में दहशत है. इसके अलावा तकरीबन हर दिन उड़ रही अफवाहों ने दहशत को और बढ़ाने का काम किया है. इन घटनाओं को लेकर लोगों पर गुस्सा है और हाल के दिनों में इनके ख़िलाफ़ अलग अलग इलाकों में प्रदर्शनों का दौर चला.

बीते बृहस्पतिवार को घाटी के सभी शैक्षणिक संस्थान बंद रहे और पुलिस ने सभी शैक्षणिक संस्थानों को शुक्रवार को भी बंद रखने का आदेश दिया था. बुधवार को कश्मीर पुलिस ने बताया कि घाटी में चोटी काटने से जुड़ी अब तक 100 घटनाएं हो चुकी है.

ग्रेटर कश्मीर अख़बार से बातचीत में कश्मीर रेंज के इंस्पेक्टर जनरल मुनीर ख़ान ने बताया, ‘कश्मीर में चाटी काटने की तकरीबन 100 से घटनाएं हो चुकी हैं लेकिन अब तक एक भी पीड़ित ने चोटी का सैंपल लेकर किसी भी पुलिस थाने से संपर्क नहीं किया है. इन मामलों के सभी संदिग्ध अब तक निर्दोष पाए गए हैं, चोटी काटने की किसी भी घटना से उनका संबंध नहीं मिला है.’

घाटी में चोटी काटने की तकरीबन सौ घटनाएं हो चुकी हैं लेकिन महीना भर बीत जाने के बावजूद एक भी गिरफ्तारी नहीं हुई है. पुलिस ने विशेष जांच दल बनाए हैं और इन घटनाओं को अंजाम देने वालों के बारे में सूचना देने वालों के लिए छह लाख रुपये के इनाम की घोषणा की है.

चोटी काटने की घटनाओं को देखते हुए पुलिस ने विशेष जांच दलों का गठन किया गया है. इसमें सामाजिक कल्याण विभाग के अधिकारी और पीड़ितों से पूछताछ के लिए एक महिला डॉक्टर को भी दल में शामिल किया गया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)