सिद्धार्थनगर ज़िले की सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी में योगी सरकार के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई अरुण कुमार द्विवेदी की आर्थिक रूप से कमज़ोर सामान्य वर्ग की श्रेणी में असिस्टेंट प्रोफेसर के बतौर नियुक्ति हुई थी. इसे लेकर हुए विवाद के बाद उन्होंने अपना इस्तीफ़ा दे दिया है.
म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद जून महीने से स्कूल के नए सत्र की शुरुआत हो रही है, लेकिन कई परिवारों ने अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजने का फैसला लिया है. उन्होंने कहा है कि वे तानाशाही सरकार से शिक्षा नहीं लेना चाहते हैं. शिक्षक समूह के अनुसार, लगभग 19,500 विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को भी निलंबित कर दिया गया है.
योगी सरकार में बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई अरुण कुमार द्विवेदी के सिद्धार्थनगर ज़िले की सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी में आर्थिक रूप से कमज़ोर सामान्य वर्ग की श्रेणी में असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्त होने पर सवाल उठ रहे हैं. आय को लेकर लगे आरोपों का खंडन करते हुए सतीश द्विवेदी ने कहा है कि वे किसी भी जांच के लिए तैयार हैं.
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद को पत्र लिखकर यहां के वातावरण में वायरस के स्वरूपों की जांच कराने का अनुरोध किया है. इसके अलावा दिल्ली विश्वविद्यालय के क़रीब 24 शिक्षकों, जामिया मिलिया के चार प्रोफ़ेसरों सहित 20 से ज़्यादा कर्मचारियों और किरोड़ी मल कॉलेज के दो प्रोफ़ेसरों का निधन कोविड-19 से हो चुका है.
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के हज़ार से अधिक पूर्व छात्रों ने आईआईटी खड़गपुर के निदेशक को भेजे गए पत्र में कहा है कि आईआईटी पहले से ही दलित, आदिवासी और पिछड़ी जाति के छात्रों के लिए द्वेषपूर्ण होने को लेकर कुख्यात हैं और आगे ऐसा न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने की ज़रूरत है.
नए दिशानिर्देशों के मुताबिक, कोई भी प्रोफेसर संस्थान या सरकार की सार्वजनिक आलोचना नहीं कर सकता. साथ ही शिकायत निवारण के लिए संयुक्त याचिकाओं पर हस्ताक्षर और किसी भी समस्या के लिए अदालत या प्रेस जाने पर भी अंकुश लगाया गया है. फैकल्टी सदस्यों ने इनका पुरजोर विरोध किया है.
ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस ने एक बयान में कहा कि कर्मचारी 23 दिन से हड़ताल पर हैं. आरोप है कि जेएनयू प्रशासन ने उन्हें समान वेतन और सुरक्षा उपकरण मुहैया कराने से इनकार कर दिया है.
नई दिल्ली स्थित भारतीय जनसंचार संस्थान के छात्रों का कहना है कि पहला सेमेस्टर ऑनलाइन कर लिया है पर दूसरे सेमेस्टर से कैंपस में बुलाया जाना चाहिए क्योंकि ऑनलाइन पढ़ने की कुछ सीमाएं हैं. प्रशासन द्वारा मांगों पर ध्यान न देने की बात कहते हुए छात्रों ने सोमवार से कैंपस में धरना शुरू कर दिया है.
तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में एक शिक्षक के साथ छात्र नेताओं की बदसलूकी क्षोभ का विषय है. कोई पक्की नौकरी छोड़कर अध्यापन में आए, जहां उसे छात्रों के सामने अपमानित किया जाए और इसके लिए कोई सज़ा भी न हो, तो मान लेना चाहिए कि बिहार में प्रतिभा के मुंह पर दरवाज़ा बंद कर दिया गया है.
2017 में 'माओवादी संबंधों' को लेकर दोषी ठहराए गए दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामलाल आनंद कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर जीएन साईबाबा नागपुर जेल में आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे हैं. उनकी पत्नी वसंता का कहना है कि वे उनकी बर्ख़ास्तगी को अदालत में चुनौती देंगी.
वीडियो: द वायर की सीनियर पत्रकार आरफ़ा ख़ानम शेरवानी ने पश्चिम बंगाल के जाधवपुर विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं से बात की और जानने की कोशिश की कि क्या पश्चिम बंगाल में दक्षिणपंथी पार्टी सत्ता हासिल करने वाली है या फिर दिल्ली की दरबारी मीडिया कुछ और ही दिखा रही है.
यूजीसी द्वारा स्नातक के इतिहास पाठ्यक्रम के लिए तैयार किए ड्राफ्ट में प्रसिद्ध इतिहासकारों जैसे कि प्राचीन भारत पर आरएस शर्मा और मध्यकालीन भारत पर इरफान हबीब की किताबों को हटा दिया गया है. इनकी जगह पर ‘संघ और सत्ता’ के क़रीबी माने जाने वाले लेखकों की किताबों को शामिल किया गया है.
हरियाणा के सोनीपत में स्थित अशोका यूनिवर्सिटी के छात्रों ने हाल ही में संस्थान से इस्तीफ़ा देने वाले प्रतिष्ठित राजनीतिक विश्लेषक और टिप्पणीकार प्रताप भानु मेहता और पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम के समर्थन में दो दिन के लिए कक्षाओं के बहिष्कार का ऐलान किया था. जिसके बाद बोर्ड ऑफ ट्रस्टी का बयान आया है.
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के छात्र संघ की अध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुईं पहली भारतीय महिला रश्मि सामंत ने बीते दिनों इस्तीफ़ा दे दिया था. विश्वविद्यालय से जुड़े तीन सोसाइटियों का कहना है कि धर्म या राष्ट्रीयता के चलते नहीं, बल्कि निर्वाचन के बाद उनके कुछ पुराने सोशल मीडिया पोस्ट सामने आए, जिसमें नस्लवादी और होमोफोबिक टिप्पणियां की गई थीं. इसके चलते उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा.
हाल ही में पाकिस्तान की लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज में बांग्लादेश के पाकिस्तान से अलग होने की पचासवीं वर्षगांठ पर होने वाले एक पांचदिवसीय सम्मलेन को रद्द कर दिया गया. इस बारे में पाकिस्तान के पत्रकार वुसतुल्लाह ख़ान का नज़रिया.