मेघालय के पूर्वी जयंतिया हिल्स ज़िले में एक अवैध कोयला खदान में एक यांत्रिक ढांचा ढहने से छह खनिकों की मौत हो गई. वहीं, झारखंड के कोडरमा ज़िले में अवैध रूप से संचालित अभ्रक खदान के धंस जाने से छह मजदूर दब गए थे, जिसमें से चार की मौत हो गई.
पुलिस ने 17 जनवरी को राज्य के दो वरिष्ठ पत्रकारों- फ्रंटियर मणिपुर न्यूज़ पोर्टल के कार्यकारी संपादक पाओजेल चाओबा और प्रधान संपादक धीरेन साडोकपाम को पोर्टल पर छपे एक लेख पर एफआईआर दर्ज करते हुए हिरासत में लिया था. उन पर यूएपीए और राजद्रोह की धाराएं लगाई गई हैं.
शीर्ष अदालत नगालैंड सरकार द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें लोकायुक्त के कामकाज पर सवाल उठाए गए हैं. अदालत ने कहा कि महामारी के दौरान कैसे एक व्यक्ति दिल्ली में बैठे हुए लोकायुक्त हो सकता है. वह अपने पद की गरिमा कम कर रहे हैं. मेघालय हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश उमानाथ सिंह नगालैंड के लोकायुक्त हैं.
2014 में त्रिपुरा हाईकोर्ट द्वारा साल 2010 से विभिन्न चरणों में नियुक्त हुए 10,323 स्कूली शिक्षकों को भर्ती प्रक्रिया में हुई गड़बड़ियों के चलते बर्ख़ास्त कर दिया था. 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फ़ैसले को बरक़रार रखा. नौकरी खोने वाले शिक्षकों के संगठन क़रीब एक महीने से अगरतला में अनिश्चितकालीन धरने पर हैं.
गुवाहाटी में एक रिक्शा चालक को उनकी पत्नी और बच्चों सहित जून 2019 में अवैध विदेशी बताते हुए डिटेंशन सेंटर में भेज दिया गया था. एक मानवाधिकार वकील की अर्ज़ी पर हाईकोर्ट ने इस आदेश को ख़ारिज करते हुए मामले की फिर सुनवाई करने को कहा, जिसके बाद दोनों को भारतीय घोषित किया गया है.
विपक्ष ने मदरसों को बंद करने के असम सरकार के क़दम की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि राज्य में यह ध्रुवीकरण का हथकंडा है जहां अगले साल मार्च-अप्रैल में चुनाव होने हैं. कैबिनेट ने यह भी निर्णय लिया है कि 97 मौजूदा सरकारी संस्कृत संस्थानों को अध्ययन केंद्र और अनुसंधान केंद्रों में परिवर्तित किया जाएगा.
असम सरकार ने सोमवार को विधानसभा को सूचित किया कि 2020 में अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नगालैंड और मिज़ोरम राज्यों द्वारा भूमि अतिक्रमण की घटनाओं का सामना करना पड़ा. कछार ज़िले से सबसे ज़्यादा 17 मामले सामने आए, जिसमें असम और मिज़ोरम के लोगों के बीच हिंसक झड़पें हुईं और एक व्यक्ति की मौत हो गई थी.
पुलिस के अनुसार हमले में कोई पत्रकार घायल नहीं हुआ है. वहीं राज्य के एक मीडिया संगठन का कहना है कि यह हमला अचानक हुई घटना नहीं है बल्कि सितंबर में मुख्यमंत्री बिप्लब देब के मीडिया को कथित तौर पर धमकाने के बाद राज्य भर में पत्रकारों पर हुए लगातार हमलों का हिस्सा है.
असम पुलिस में उपनिरीक्षकों के 597 पदों की लिखित परीक्षा का प्रश्न पत्र 20 सितंबर को लीक हो गया था. इस मामले में भाजपा नेता दीबान डेका सहित 40 लोगों को गिरफ़्तार किया गया था. डेका की गिरफ़्तारी के बाद भाजपा ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया था.
मणिपुर की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक टी. बृंदा ने 2018 के ड्रग्स मामले के एक मुख्य आरोपी लुखाउसी जू को अदालत द्वारा बरी किए जाने के एक दिन बाद राज्य के पुलिस वीरता पदक को लौटा दिया. बीते जुलाई महीने में उन्होंने मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह पर लुखाउसी जू को बचाने का आरोप लगाया था.
केंद्र सरकार द्वारा शिक्षकों का लंबित वेतन जारी करने में कथित देरी के विरोध में यह पोस्टकार्ड अभियान शुरू किया गया है. पिछले पांच महीने से शिक्षकों का वेतन लंबित है.
बीते अक्टूबर महीने में असम के शिक्षा मंत्री ने कहा था कि राज्य में 610 सरकारी मदरसे हैं और सरकार इन संस्थानों पर प्रति वर्ष 260 करोड़ रुपये ख़र्च करती है. जबकि लगभग 1,000 मान्यता प्राप्त संस्कृत विद्यालय हैं और राज्य सरकार इन संस्कृत पाठशालाओं पर वार्षिक तौर पर लगभग एक करोड़ रुपये ख़र्च करती है.
कई छात्र संगठनों द्वारा प्रदेश के बाहर के असम राइफल्स के पूर्व कर्मचारियों को पंचायत चुनाव की मतदाता सूची में शामिल करने का विरोध किया जा रहा है. चांगलांग ज़िले के विजयनगर में ऐसे ही एक पूर्व कर्मी के पंचायत चुनाव का नामांकन पत्र भरने के ख़िलाफ़ एक छात्र संगठन की अगुवाई वाली भीड़ ने सरकारी दफ़्तरों में आग लगा दी और एक थाने में तोड़फोड़ की.
असम में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शनों में पिछले साल 12 दिसंबर को पांच लोगों की मौत हो गई थी. इसे काला दिवस कहते हुए 18 संगठनों ने क़ानून के विरोध में प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सीएए राज्य के मूल निवासियों की पहचान, भाषा और सांस्कृतिक धरोहर के ख़िलाफ़ है.
असम में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हुई एनआरसी की अंतिम सूची 31 अगस्त 2019 को प्रकाशित हुई थी, जिसमें 19 लाख लोगों के नाम नहीं आए थे. अब एनआरसी समन्वयक हितेश शर्मा ने गुवाहाटी हाईकोर्ट में दायर एक हलफ़नामे में कहा है कि वह सप्लीमेंट्री सूची थी और उसमें 4,700 अयोग्य नाम शामिल हैं.