ऑयल इंडिया असम के तेल कुआं में आग की घटना की ज़िम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकती: एनजीटी

असम के तिनसुकिया ज़िले के बाघजान में ऑयल इंडिया लिमिटेड के एक कुएं में पिछले साल 27 मई से शुरू हुए गैस रिसाव में हफ़्ते भर बाद आग लग गई थी और दो दमकलकर्मियों की मौत हो गई थी. क़रीब पांच महीने बाद नवंबर में आग को बुझाया जा सका था.

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जून 2020 में ऑयल इंडिया के कुएं में लगी आग. (फाइल फोटो: पीटीआई)

असम के तिनसुकिया ज़िले के बाघजान में ऑयल इंडिया लिमिटेड के एक कुएं में पिछले साल 27 मई से शुरू हुए गैस रिसाव में हफ़्ते भर बाद आग लग गई थी और दो दमकलकर्मियों की मौत हो गई थी. क़रीब पांच महीने बाद नवंबर में आग को बुझाया जा सका था.

ऑयल इंडिया के कुएं में लगी आग. (फाइल फोटो: पीटीआई)
ऑयल इंडिया के कुएं में लगी आग. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: एनजीटी ने शुक्रवार को कहा कि ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) असम के बागजान में तेल के कुआं में आग लगने की घटना की जिम्मेदारी ठेकेदार के सिर मढ़कर इससे पल्ला नहीं झाड़ सकती.

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने इस घटना में संबंधित लोगों की लापरवाही के लिए जिम्मेदारी तय करने को लेकर छह सदस्यीय कमेटी का भी गठन किया है.

तिनसुकिया जिले के बाघजान में पिछले साल नौ जून को कुआं संख्या पांच से अनियंत्रित तरीके से गैस निकलने से भीषण आग लग गई थी, जिससे ओआईएल के दो दमकलकर्मियों की मौत हो गई थी.

एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस एके गोयल के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि प्रथमदृष्टया वह सहमत है कि सुरक्षा एहतियात बरतने में ओआईएल नाकाम रही और यह सुनिश्चित किए जाने की जरूरत है कि दोबारा ऐसी घटनाएं न हों.

पीठ ने कहा, ‘हम पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के सचिव की अध्यक्षता में छह सदस्यीय कमेटी को महानिदेशक हाइड्रोकार्बन और महानिदेशक खान सुरक्षा, महानिदेशक तेल उद्योग सुरक्षा और पीईएसओ (पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन), मुख्य नियंत्रक (विस्फोटक), नई दिल्ली के साथ तीन महीने के भीतर इस पहलू पर गौर करने का निर्देश देते हैं.’

पीठ ने कहा कि यह कमेटी स्थिति की समीक्षा करेगी और घटना में संबंधित लोगों की नाकामियों के लिए जिम्मेदारी तय करने समेत समाधान के लिए उपयुक्त कदम का निर्देश देगी.

एनजीटी ने 24 जून, 2020 को मामले पर गौर करने और एक रिपोर्ट सौंपने के लिए उच्च न्यायालय के पूर्व जस्टिस बीपी कटाके की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था.

कार्यकर्ता बोनानी कक्कर और अन्य द्वारा दाखिल याचिका पर यह आदेश आया जिनका आरोप है कि बाघजान तेल कुएं में लगी आग को बुझाने में प्राधिकारी नाकाम रहे.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक एनजीटी ने इससे पहले अनुपालन और उपचारात्मक कार्रवाई के लिए जवाबदेही के मुद्दे पर पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण, असम के मुख्य वन्यजीव अधिकारी, जैव विविधता बोर्ड के सदस्य सचिव और राज्य वेटलैंड प्राधिकरण सहित सात सदस्यीय संयुक्त समिति का गठन किया था.

गौरतलब है कि 27 मई को राजधानी गुवाहाटी से करीब 450 किलोमीटर दूर तिनसुकिया जिले के बाघजान गांव में ऑयल इंडिया लिमिटेड के पांच नंबर तेल के कुएं में विस्फोट (ब्लोआउट) हो गया था, जिसके बाद इस कुएं से अनियंत्रित तरीके से गैस रिसाव शुरू हुआ था. बाद में उसमें आग लग गई थी.

ब्लोआउट वह स्थिति होती है, जब तेल और गैस क्षेत्र में कुएं के अंदर दबाव अधिक हो जाता है और उसमें अचानक से विस्फोट के साथ और कच्चा तेल या प्राकृतिक गैस अनियंत्रित तरीके से बाहर आने लगते हैं. कुएं के अंदर दबाव बनाए रखने वाली प्रणाली के सही से काम न करने से ऐसा होता है.

जुलाई में सिंगापुर की एक कंपनी के तीन विदेशी विशेषज्ञों को ओआईएल और ओएनजीसी के विशेषज्ञों की मदद के लिए बुलाया गया था. लेकिन तब कुएं में लगी आग को बुझाने के प्रयास के दौरान भीषण विस्फोट हुआ था जिसमें तीनों विशेषज्ञ घायल हो गए थे. करीब पांच महीने बाद नवंबर में ऑयल इंडिया के कुएं की आग को पूरी तरह बुझाया जा सका था.

मालूम हो कि विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया था कि मई महीने से हो रहे गैस रिसाव के चलते आसपास के इलाके में भारी प्राकृतिक नुकसान हुआ. आसपास के संवेदनशील वेटलैंड, डिब्रु-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान और लुप्त हो रही प्रजातियों पर संकट मंडरा रहा है.

इसके बाद राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने इस आग पर काबू पाने में असफल रहने पर ऑयल इंडिया पर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था. अधिकरण का कहना था कि कुएं में लगी आग से पर्यावरण को बहुत नुकसान हो रहा है.

शुरुआत में कुएं में आग लगने की घटना के बाद मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने इस घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)