उत्तर प्रदेश के बरेली ज़िले में नए धर्मांतरण विरोधी क़ानून के तहत एक मुस्लिम युवक के ख़िलाफ़ 28 नवंबर को पहला मामला दर्ज कराया गया था. लड़की के परिवार पर दबाव डालकर केस दर्ज कराने के आरोप से पुलिस ने इनकार किया है.
मामला एटा ज़िले का है. मृतक किसान के भाई ने आरोप लगाया कि बैंककर्मियों ने घर आकर कुर्की की धमकी दी थी. किसान ने चार लाख रुपये का क़र्ज़ लिया था. बांदा जिले में भी एक किसान की आत्महत्या का मामला सामने आया है. उन पर ढाई लाख रुपये का क़र्ज़ था.
केंद्र सरकार के तीन कृषि क़ानूनों के विरोध में बीते 26 नवंबर से किसानों का प्रदर्शन जारी है. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने किसान आंदोलन का समर्थन किया था, जिसे भारत ने देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप बताने के साथ कनाडाई राजदूत को तलब कर इससे दोनों देशों के संबंधों को नुकसान पहुंचने की चेतावनी दी थी.
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण से बीते 24 घंटे के दौरान 512 लोगों की मौत के साथ मृतकों की संख्या बढ़कर 139,700 हो गई है. विश्व में संक्रमण के 6.59 करोड़ से ज़्यादा मामले दर्ज किए जा चुके हैं और 15.19 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.
इससे पहले पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने केंद्र सरकार के नए कृषि क़ानूनों के विरोध में बीते तीन दिसंबर को दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण को वापस कर दिया था. पद्मश्री और अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित कुछ खिलाड़ियों ने भी अपने सम्मान लौटाने की बात कही है.
रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी को 2018 में हुए एक इंटीरियर डिज़ाइनर और उनकी मां की आत्महत्या से जुड़े मामले में अलीबाग पुलिस ने बीते नवंबर माह में गिरफ़्तार किया था. इस मामले में अब पुलिस ने 1,914 पेजों की चार्जशीट दाख़िल की है.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा कि बिना साक्ष्य के किसानों को खालिस्तानी और देशद्रोही बताने की कोशिश ज़िम्मेदार पत्रकारिता नहीं है. इससे मीडिया की विश्वसनीयता ख़तरे में आती है. मीडिया को ऐसे किसी विमर्श में संलिप्त नहीं होना चाहिए जो प्रदर्शनकारियों को उनकी वेशभूषा के आधार पर अपमानित करता हो और उन्हें हीन मानता हो.
दिल्ली दंगों के संबंध में जेएनयू की छात्र और ‘पिंजरा तोड़’ की सदस्य देवांगना कलीता को मई महीने में पुलिस ने गिरफ़्तार किया था. उन्हें दो मामलों में- दरियागंज और जाफराबाद में हुई हिंसा के मामले में ज़मानत मिल चुकी है.
किसान नेताओं ने कहा कि यदि केंद्र सरकार उनकी मांगों को स्वीकार नहीं करती है तो वे आंदोलन को और तेज़ करेंगे. उनका कहना है कि पांच दिसंबर को देश भर में प्रधानमंत्री का पुतला फूंका जाएगा. तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ बीते 26 नवंबर से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर हज़ारों की संख्या में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.
कृषि मामलों के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार पी. साईनाथ ने कहा कि सरकार समझ रही थी कि यदि वो इस समय ये क़ानून लाती है तो मज़दूर और किसान संगठित नहीं हो पाएंगे और न विरोध कर पाएंगे, लेकिन उनका यह आकलन ग़लत साबित हुआ है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 357 के तहत अदालत द्वारा पीड़ित व्यक्तियों को मुआवज़ा देने का प्रावधान है, जिसका पालन करना अनिवार्य है. यह सभी अदालतों का कर्तव्य है कि वह आपराधिक मामले में उचित एवं निष्पक्ष मुआवज़े पर विचार कर इसका आदेश दे.
पुलिस के अनुसार, हिंदू युवा वाहिनी के कुछ सदस्यों ने शादी को लेकर आपत्ति दर्ज कराई थी. नए धर्मांतरण विरोधी क़ानून के तहत अंतर धार्मिक विवाह के लिए ज़िला मजिस्ट्रेट से अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है. इसकी जानकारी युवक-युवती के परिवारों को दे दी गई है, उन्होंने मंज़ूरी मिलने के बाद शादी करने पर सहमति जताई है.
कांग्रेस और जेडीएस के नेताओं ने कृषि मंत्री बीसी पाटिल के इस बयान की आलोचना की है. कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि किसान स्वाभिमान और सम्मान के साथ जन्म लेते हैं. जब उन्हें चरम परिस्थितियों की ओर ढकेल दिया जाता है तो वे अपना जीवन ख़त्म करने के लिए बाध्य हो जाते हैं.
केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन कृषि क़ानूनों के खिलाफ पिछले नौ दिनों से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर हज़ारों की संख्या में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना है कि वे निर्णायक लड़ाई के लिए दिल्ली आए हैं और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा.
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन की ओर से कहा गया है कि कृषि क़ानूनों की वापसी के साथ बिजली (संशोधन) विधेयक-2020 को वापस लेने की भी मांग की गई है. इसके ज़रिये बिजली का निजीकरण करने की योजना है, जिसके बाद बिजली की दरें किसानों की पहुंच से दूर हो जाएंगी.