सीबीआई द्वारा मध्य प्रदेश के तीन अख़बारों के मालिकों के ख़िलाफ़ चार अक्टूबर को जबलपुर में मामला दर्ज किया गया. जिनमें से दो सिवनी के और एक जबलपुर के निवासी हैं. शिकायतकर्ता ने इस साल 13 अगस्त को सीबीआई के जबलपुर कार्यालय में आवेदन देकर इन अख़बार मालिकों के ख़िलाफ़ आपराधिक साज़िश, जालसाज़ी और धोखाधड़ी करने के आरोप लगाए थे.
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में मारे गए आठ लोगों में 35 वर्षीय पत्रकार रमन कश्यप भी शामिल हैं. परिवार का आरोप है कि प्राथमिक उपचार न मिलने के चलते पत्रकार की मौत हुई है. उन्होंने 50 लाख रुपये मुआवज़े और एक आश्रित को सरकारी नौकरी देने की मांग की है.
5 अक्टूबर 2020 को केरल के पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन और तीन अन्य को हाथरस सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले की रिपोर्टिंग के लिए जाते समय गिरफ़्तार किया गया था. कप्पन की तत्काल रिहाई की मांग को लेकर विभिन्न पत्रकार संघों ने प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के बाहर प्रदर्शन करते हुए कहा कि उन पर लगाए गए आरोप मनमाने हैं.
लखीमपुर खीरी हिंसा में पत्रकार रमन कश्यप की मौत की अदालत के नेतृत्व वाले विशेष जांच दल द्वारा अलग से जांच कराने की मांग करते हुए एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा कि यह किसानों में डर फैलाने के लिए स्पष्ट रूप से एक आतंकवादी हमला है. वहीं, भारतीय प्रेस परिषद ने घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए योगी सरकार से रिपोर्ट तलब की है.
भारतीय प्रेस परिषद ने जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती द्वारा इस मामले को लेकर लिखे गए एक पत्र के बाद ये कदम उठाया है. मुफ़्ती ने कहा था कि पत्रकारों का बेवजह उत्पीड़न करना एक नियम बन गया है. उनके घरों पर छापा मारकर, उन्हें तलब करके और बेहूदा ट्वीट्स जैसे तुच्छ आधारों पर पूछताछ करके, सीआईडी द्वारा पत्रकारों और उनके परिवार के सदस्यों की पृष्ठभूमि की जांच करके, उनका उत्पीड़न किया जा रहा है.
पश्चिम बंगाल का कोलकाता टीवी एक बांग्ला समाचार चैनल है. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कहा है कि चूंकि गृह मंत्रालय ने इसे 'सुरक्षा मंज़ूरी' देने से इनकार किया है, इसलिए उनका लाइसेंस रद्द किया जा सकता है. इस चैनल को मोदी सरकार को लेकर आलोचनात्मक रिपोर्टिंग करने के लिए जाना जाता है.
पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि लोगों को उम्मीद थी कि भारतीय प्रेस परिषद इन मामलों पर संज्ञान लेगा, लेकिन ऐसा लगता है कि अदालतों सहित किसी भी निगरानी संस्था की जम्मू कश्मीर में पैदा हुई दर्दनाक परिस्थितियों में कोई दिलचस्पी नहीं है.
व्यंग्य: बीते दिनों आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि वे शुरू से ही मीडिया को संदेश देते रहे हैं कि निगेटिव ख़बरों को भी पॉज़िटिव तरीके से छापें. देश के एक वरिष्ठ पत्रकार ने उनकी राय पर अमल करते हुए 'नो निगेटिव न्यूज़' वाले अख़बार में प्रकाशित एक ख़बर के साथ ऐसा करने की कोशिश की है.
महामारी के बाद से मीडिया उपभोक्ताओं का एक बड़ा वर्ग अख़बार नहीं खरीद रहा है. डिजिटल मीडिया से प्रतिस्पर्धा के चलते विज्ञापन दरों में क़रीब 40 फीसदी की कमी हुई है. कुछ अपवादों को छोड़ दें, तो न्यूज़ मीडिया क्षेत्र के लगभग सभी बड़े नाम ख़तरे की स्थिति से बाहर आने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश हत्या के मामले में उनकी बहन कविता लंकेश ने हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें आरोपी मोहन नायक के ख़िलाफ़ जांच के लिए कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम के प्रावधान का इस्तेमाल करने के पुलिस प्राधिकार के 14 अगस्त, 2018 के आदेश को रद्द कर दिया गया था.
बेल्जियम की सैन्य ख़ुफ़िया एजेंसी का मानना है कि रवांडा सरकार द्वारा ऐसा किए जाने की संभावना है. पत्रकार पीटर वरलिंडेन ने काफी लंबे समय तक मध्य अफ्रीका में रिपोर्टिंग की है. पत्रकार ने कहा कि पेगासस क्या कर सकता है, यह बहुत निराशाजनक है. जो कोई भी आपके फोन में पेगासस भेजता है, वह आपके फोन पर पूरा क़ब्ज़ा कर लेता है. वे अच्छी तरह जानते हैं कि आप कहां हैं.
हरियाणा की अंबाला पुलिस ने संदिग्ध आतंकी की गिरफ़्तारी की जगह ग़लत प्रकाशित करने के मामले में दैनिक भास्कर के पत्रकार सुनील बरार और न्यूज़ एडिटर संदीप शर्मा के ख़िलाफ़ विभिन्न वर्गों के बीच वैमनस्य पैदा करने का आरोप लगाते हुए आईपीसी की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज कराया था. पत्रकार को ज़मानत देते हुए अदालत ने कहा कि मामले में ऐसा कुछ भी नहीं, जिससे विभिन्न वर्गों के बीच दुश्मनी पैदा की जा सके.
इंटरनेशनल प्रेस इंस्टिट्यूट ने एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें चेतावनी दी गई है कि प्रेस की स्वतंत्रता के उल्लंघन के लिए ज़िम्मेदार लोगों के ख़िलाफ़ जब तक कार्रवाई नहीं की जाती, तब तक यह दमनकारी अभियान चलता रहेगा, जो आगे चलकर तेज़ ही होगा और स्वतंत्र ख़बरों के भविष्य और दुनियाभर में लोकतंत्र को जोख़िम में डालेगा.
डिजिटल न्यूज़ पब्लिशर्स एसोसिएशन, पत्रकार मुकुंद पद्मनाभन और संगीतकार टीएम कृष्णा की नए आईटी नियमों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर अदालत ने नियम 9 के उपबंध (1) एवं (3) पर रोक लगाई है. ये उप-खंड आचार संहिता के पालन को निर्धारित करते हैं.
एनसीआरबी के मुताबिक़, साल 2020 में फेक न्यूज़ के 1,527 मामले रिपोर्ट किए गए, जो साल 2019 में आए 486 और साल 2018 के 280 मामलों की तुलना में काफ़ी अधिक हैं.