बीते दिनों मद्रास हाईकोर्ट ने यह व्यवस्था दी थी कि पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी केंद्र शासित प्रदेश की निर्वाचित सरकार के रोज़मर्रा के कार्यों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती हैं.
आरोप है कि सुवर्णा न्यूज़ ने आईपीएल सट्टेबाज़ी मामले में कन्नड़ अभिनेत्री और पूर्व सांसद दिव्या स्पंदना के शामिल होने का दावा करते हुए एक ख़बर चलाई थी. इसी मामले को लेकर दिव्या ने 2013 में मानहानि का केस दर्ज कराया था.
लोकसभा चुनाव 2019 से जुड़ीं सभी महत्वपूर्ण ख़बरें.
सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव की याचिका पर कोई आदेश पास करने से इनकार करते हुए कहा कि निर्वाचन आयोग ने आचार संहिता के उल्लंघन के बारे में शिकायतों पर फैसला कर लिया है. ऐसी स्थिति में इन आदेशों को चुनौती देने के लिए नई याचिका दायर करनी होगी.
जम्मू कश्मीर के लेह में दो मई को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेताओं पर मीडियाकर्मियों को रिश्वत देने का आरोप है. इस मामले में जांच का आदेश देने वाली लेह जिले की चुनाव अधिकारी अवनि लवासा चुनाव आयुक्त अशोक लवासा की बेटी हैं.
इस लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग को आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की कुल 46 शिकायतें मिलीं. इनमें से 29 भाजपा, 13 कांग्रेस, दो समाजवादी पार्टी और एक-एक टीआरएस और बसपा नेताओं के ख़िलाफ़ थीं.
चुनाव आयोग अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आचार संहिता उल्लंघन के नौ मामलों में क्लीनचिट दे चुका है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वासपात्रों में से एक केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मध्य प्रदेश की ग्वालियर लोकसभा सीट से सांसद हैं, लेकिन इस बार वे ग्वालियर के बजाय मुरैना संसदीय क्षेत्र से मैदान में हैं.
ग्राउंड रिपोर्ट: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गोरखपुर के जंगल औराही गांव को गोद लिया है.
जम्मू कश्मीर के पुलवामा और शोपियां ज़िले में सड़कें सुनसान रहीं, मतदान केंद्र लगभग ख़ाली पड़े रहे. पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमला करने वाले आतंकी के गांव में सिर्फ़ 15 वोट डाले गए.
लोकसभा चुनाव 2019 से जुड़ीं सभी महत्वपूर्ण ख़बरें.
इन दोनों फैसलों के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अब तक आठ मामलों में क्लीनचिट मिल चुकी है.
मोदी सरकार के पांच सालों के बाद सुप्रीम कोर्ट डरा हुआ, बंटा हुआ और कमज़ोर नज़र आता है, जो एक ताकतवर केंद्र सरकार को चोट पहुंचाने से बचता हुआ दिखता है.
विशेष रिपोर्ट: सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार बिहार में राबड़ी देवी सरकार ने साल 2000 से 2005 के दौरान 23 करोड़ 48 लाख रुपये विज्ञापन पर ख़र्च किए थे. वहीं नीतीश कुमार सरकार ने पिछले पांच साल में विज्ञापन पर 4.98 अरब रुपये ख़र्च किए हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण उनके समर्थकों में हिट हो सकते हैं मगर तटस्थ, विरोधी और नए मतदाताओं को लुभाने वाले कतई नहीं हैं.