विकास योजनाओं में अदूरदर्शिता का विनाशकारी मॉडल है फरक्का बैराज

विशेषज्ञों का मानना है कि फरक्का बैराज परियोजना से जितना फायदा हुआ उससे कई गुना ज़्यादा नुकसान हो चुका है. इसका कोई समाधान न निकाला गया तो व्यापक तबाही के लिए तैयार रहना होगा.

गुजरात दंगा: 15 साल बाद भी अमानवीय ज़िंदगी जीने को मज़बूर पीड़ित

2002 के गुजरात दंगों में विस्थापित हुए लोगों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. दंगों के 15 साल बाद भी उनके पास न ज़मीन है न आधारभूत सुविधाएं.

जो हमारे ख़िलाफ़ हैं, वे हमारे दुश्मन नहीं: शत्रुघ्‍न सिन्हा

भाजपा सांसद शत्रुघ्‍न सिन्हा ने कहा, ‘यह लोकतंत्र है, यहां सबको बोलने का अधिकार है. अगर किसी बात से आप सहमत नहीं हैं तो भी इसका जवाब हिंसा से देना ठीक नहीं.’

मध्य प्रदेश में साढ़े तीन माह में 287 किसानों और कृषि मजदूरों ने की आत्महत्या

मध्य प्रदेश सरकार ने विधानसभा में बताया कि प्रदेश में 16 नवंबर, 2016 से अब तक 1761 लोगों ने आत्महत्या की है. इनमें 287 किसान और कृषि मजदूर के अलावा 160 विद्यार्थी भी शामिल हैं.

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और फिर उसे चुप कराओ!

अच्छा होता केंद्र सरकार शैक्षिक परिसरों में खुलापन क़ायम करने का प्रयास करती. गुंडा तत्वों, उत्पात मचाने वालों और गुरमेहर को हत्या व रेप आदि की धमकी देने वालों की मुस्तैदी से धरपकड़ की जाती.

क्या भाजपा को लगता है कि यूपी में ‘सांप्रदायिकता’ ही आख़िरी सहारा है?

राज्य में चार चरण के मतदान के बाद नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने सांप्रदायिकता का नारा बुलंद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, पर यह तो वक़्त ही बताएगा कि उनकी विभिन्न जातियों के हिंदुओं को साथ लाने की ये कोशिश कामयाब होगी या नहीं.

ग्राउंड रिपोर्ट: हमारे लोकतंत्र में घुमंतू समुदाय को कब मिलेगा हक़?

घुमंतू समुदाय गांव के सार्वजनिक और सांस्कृतिक जीवन में घुले-मिले हैं. वे विकसित हो रहे जनतंत्र में अपना स्पष्ट हिस्सा मांग रहे हैं.

‘जन की बात’: गुरमेहर, जेटली और अभिव्यक्ति की आज़ादी, एपिसोड 9

‘जन की बात’ की नवीं कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ गुरमेहर कौर के वीडियो पर हुई ट्रॉलिंग और अभिव्यक्ति की आज़ादी की सीमा तय करने संबंधी अरुण जेटली के बयान पर चर्चा कर रहे हैं.

‘जब मुसलमान हमें वोट नहीं देते तो उन्हें टिकट क्यों दें’

अयोध्या में वोट डालने के बाद भाजपा के राज्यसभा सदस्य विनय कटियार ने राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को महत्वपूर्ण बताया. कहा, राम मंदिर के बिना सारे मुद्दे बेकार हैं.

नक्सलियों से संबंध के आरोप में गिरफ्तार पत्रकार को 17 महीने बाद ज़मानत

बस्तर में कार्यरत संतोष को छत्तीसगढ़ पुलिस ने वर्ष 2015 में गिरफ्तार किया था. वह नवभारत, पत्रिका और दैनिक छत्तीसगढ़ जैसे अख़बारों के लिए लिखा करते थे.

हमने तो शिक्षकों को भी पीटा है: एबीवीपी समर्थक का क़ुबूलनामा

रामजस विवाद: द वायर के पास मौजूद आॅडियो रिकॉर्डिंग में एबीवीपी समर्थक कहता है, ‘हमारे कॉलेज में आके प्रोटेस्ट करेंगे तो पिटेंगे ही... एक बंदे को इतना मारा, मार-मार के लाल कर दिया.’

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