एनपीए पर रघुराम राजन की सूची और राफेल पर मोदी को कई सवालों का जवाब देना होगा

अपनी व्यक्तिगत ईमानदारी का हवाला देकर प्रधानमंत्री मोदी बड़े पूंजीपतियों से अपने करीबी रिश्तों को लेकर हो रही आलोचना को नहीं टाल सकते.

संघ से संवाद: दक़ियानूसी विचारों को नई पैकेजिंग के ज़रिये आकर्षक बनाने का पैंतरा

वे सभी लोग जो नए कलेवर में प्रस्तुत संघ को लेकर प्रसन्न हो रहे हैं, उन्हें यह जानना होगा कि यह कोई पहली बार नहीं है जब संघ इस क़वायद में जुटा है. उन्हें 1977 के अख़बारों को पलट कर देखना चाहिए जब यह बात फैलाई जा रही थी कि संघ अब अपनी कतारों में मुसलमानों को भी शामिल करेगा. लेकिन यह शिगूफ़ा साबित हुआ.

अगर सरकार को अंबानी के लिए ही काम करना है तो अगली बार नारा दे, अबकी बार अंबानी सरकार

सितंबर 2016 में तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और फ्रांस के रक्षा मंत्री के बीच राफेल क़रार पर दस्तख़त हुए थे, उसके ठीक पहले रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने राफेल लड़ाकू विमानों की कीमतों को लेकर सवाल उठाए थे और इसे फाइल में दर्ज किया था.

जसदेव सिंह: आवाज़ के ज़रिए तस्वीर बुनने वाला जादूगर

जसदेव सिंह को हमने जाना एक स्वर के रूप में जिसने लगभग आधी सदी तक आज़ादी और गणतंत्र दिवस का आंखों देखा हाल सुनाया, कभी लाल किले तो कभी इंडिया गेट के नज़ारे दिखाए. हमने उस आवाज़ के साथ क्रिकेट बाॅल के पीछे दौड़ लगाई, लपक लिया, पिच के उछाल को महसूस किया, ओलंपिक की मशाल की लौ की आंच से गर्मा गए.

आधार संवैधानिक रूप से वैध, मोबाइल और बैंक अकाउंट से लिंक कराना अनिवार्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सर्व शिक्षा अभियान और बच्चों के एडमिशन जैसी चीजों के लिए आधार ज़रूरी नहीं है. कोर्ट ने कहा कि कोई भी प्राइवेट कंपनी आधार की मांग नहीं कर सकती है.

आधार एक्ट असंवैधानिक, मनी बिल के रूप में इसे पास करना संविधान के साथ धोखेबाज़ी: जस्टिस चंद्रचूड़

शीर्ष अदालत में पांच जजों की पीठ में से चार ने आधार को संवैधानिक ठहराया, वहीं जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आधार अधिनियम पूर्ण रूप से असंवैधानिक है और इससे लोगों की निजता का उल्लंघन होता है.

राजस्थान में कांग्रेस जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र को गले लगाने से क्यों कतरा रही है?

बाड़मेर के शिव से विधायक मानवेंद्र सिंह ने हाल ही में भाजपा को छोड़ने का ऐलान किया है. कांग्रेस उन्हें अपने पाले में लेना चाहती है, लेकिन उसे जातिगत समीकरण बिगड़ने का डर सता रहा है.

बांग्लादेश की ओर से अभिनेता इरफ़ान ख़ान की फिल्म ‘डूब’ ऑस्कर के लिए जाएगी

अभिनेता आदिल हुसैन और एकावली खन्ना की फिल्म ‘वॉट विल पीपल से’ आॅस्कर फिल्म पुरस्कार समारोह में नार्वे का प्रतिनिधित्व करेगी. भारत की ओर से आॅस्कर के लिए विदेशी भाषा की सर्वश्रेष्ठ फिल्म श्रेणी के लिए ‘विलेज रॉकस्टार्स’ का चयन किया गया है.

न्यूज़ चैनल अब जनता के नहीं, सरकार के हथियार हैं

2019 का चुनाव जनता के अस्तित्व का चुनाव है. उसे अपने अस्तित्व के लिए लड़ना है. जिस तरह से मीडिया ने इन पांच सालों में जनता को बेदख़ल किया है, उसकी आवाज़ को कुचला है, उसे देखकर कोई भी समझ जाएगा कि 2019 का चुनाव मीडिया से जनता की बेदख़ली का आख़िरी धक्का होगा.

गणतंत्र दिवस का आंखों-देखा हाल बताने वाले कमेंटेटर जसदेव सिंह का निधन

विभिन्न खेलों और गणतंत्र दिवस समारोह का आंखों-देखा हाल रेडियो के ज़रिये आम जनता तक पहुंचाने वाले जसदेव सिंह लंबे समय से अल्ज़ाइमर बीमारी से पीड़ित थे.

बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने अपराधियों से पितृ पक्ष में अपराध न करने का आग्रह किया

राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि मुज़फ़्फ़रपुर में पूर्व मेयर को एके 47 से मार दिया गया. नीतीश जी की नाकामियों से बिहार में एके 47 आम हथियार हो गया है.

सीलिंग मामला: मनोज तिवारी को कोर्ट की फटकार, कहा- सांसद होने का मतलब क़ानून हाथ में लेना नहीं

दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और सांसद मनोज तिवारी द्वारा बीते दिनों उत्तर पूर्वी दिल्ली के एक मकान की सील तोड़ी गई थी. इसकी शिकायत पर शीर्ष अदालत ने उनसे कहा कि अगर आपके मुताबिक हज़ार इमारतें अवैध हैं और सील होनी चाहिए तो हमें सूची दीजिए, हम आपको सीलिंग अफसर बना देंगे.

आपराधिक मामलों के आरोप पर उम्मीदवार को अयोग्य घोषित नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

कोर्ट ने चुनाव लड़ने से पहले प्रत्येक उम्मीदवार को अपना आपराधिक रिकॉर्ड निर्वाचन आयोग के सामने घोषित करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने ये भी कहा है कि राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों के संबंध में सभी जानकारी अपनी वेबसाइटों पर डालेंगे.

क्या देश की राजनीति हमेशा ऐसी ही मूल्यहीनता और लूट-खसोट की पर्याय रही है?

देश में अरबपतियों की तेज़ी से बढ़ती संख्या के बीच आप रोते रहिए कि राजनीति का पतन हो गया है और अब वह समाजसेवा या देशसेवा का ज़रिया नहीं रही, इन बहुमतवालों को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता क्योंकि उन्होंने इस स्थिति को सामाजिक-सांस्कृतिक मान्यता भी दिला दी है.

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