मोदी सरकार एक चीज़ की मास्टर है. वह समय-समय पर थीम और थ्योरी ठेलते रहती है. कुछ थीम मार्केट में आकर ग़ायब हो जाते हैं और कुछ चलते रहते हैं. जैसे मेक इन इंडिया और स्किल इंडिया का थीम ग़ायब है.
वसुंधरा सरकार की बेरुख़ी, कुलपति-शिक्षक विवाद और भर्तियों में धांधली की वजह से जयपुर स्थित जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय में इस बार 200 से भी कम एडमिशन हुए हैं.
प्रेस की दशा-दिशा पर नज़र रखने वाली वैश्विक संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की ओर कहा गया है कि पत्रकारों को प्रताड़ित किए जाने की घटनाओं के पीछे हिंदू राष्ट्रवादियों का हाथ है. इसमें हत्या भी हो सकती है, जैसा पत्रकार गौरी लंकेश के मामले में हुआ.
अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी और कांग्रेस नेता करुणा शुक्ला ने कहा कि अटल की अंतिम यात्रा में पांच किलोमीटर चलने के बजाय अगर नरेंद्र मोदी उनके दिखाए गए मार्ग पर चलें तो देश के लिए अच्छा होगा.
कुलदीप नैयर का जाना पत्रकारिता में सन्नाटे की ख़बर है. छापे की दुनिया में वे सदा मुखर आवाज़ रहे.
साक्षात्कार: 'द वायर' से विशेष बातचीत में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस समन्वय समिति के अध्यक्ष दिग्विजय सिंह कहते हैं कि विपक्ष की भूमिका में भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस से बेहतर काम करती है.
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल का आगाज़ भी भारत के कई हिस्सों में धार्मिक अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हिंसा से हुआ था.
जन्मदिन पर विशेष: लगभग पचास साल तक राजनीति में सक्रिय रहे रामस्वरूप वर्मा को राजनीति का ‘कबीर’ कहा जाता है. किसान परिवार मेें जन्मे वर्मा ने एक लेखक, समाज सुधारक और चिंतक के रूप में उत्तर भारत पर गहरा असर डाला.
नीति-निर्माण में भागीदार होने के बावजूद गुरुमूर्ति सच्चाइयों का सामना नहीं करना चाहते और शुतरमुर्ग की तरह रेत में सिर गड़ाकर इस अंधविश्वास की शरण लेना चाहते हैं कि सारा अनर्थ सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के कारण हुआ है.
इस दौर की ख़ूबसूरत सच्चाई यह है कि बेरोज़गार रोज़गार नहीं मांग रहा है. वो इतिहास का हिसाब कर रहा है. उसे नौकरी नहीं, झूठा इतिहास चाहिए!
अटल बिहारी वाजपेयी ऐसे प्रधानमंत्री थे, जो सत्ता की सीमाओं और ज़िम्मेदारियों को समझते थे.
योगी आदित्यनाथ पर 2007 में कथित भड़काऊ भाषण देकर दंगे भड़काने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को नोटिस जारी कर चार हफ़्तों के भीतर जवाब मांगा है.
जयंती विशेष: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने देश के सातवें और अब तक के सबसे युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ अपने आत्मीय रिश्ते को याद करते हुए एक बार बताया था कि कैसे राजीव ने उनकी जान बचाई थी.
संपादकों का काम सत्ता के प्रचार के अनुकूल कंटेट को बनाए रखने का है और हालात ऐसे हैं कि सत्तानुकूल प्रचार की एक होड़ मची हुई है. धीरे-धीरे हालात ये भी हो चले हैं कि विज्ञापन से ज़्यादा तारीफ़ न्यूज़ रिपोर्ट में दिखाई दे जाती है.
भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कई मौको पर नरेंद्र मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना की है. राजन ने कहा था कि नोटबंदी पर सोच-समझकर फैसला नहीं लिया गया.