कैग ने असम के पांच अस्पतालों में आठ साल से भी ज्यादा वक्त से ट्रॉमा केयर केंद्रों का संचालन न करने को लेकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की खिंचाई की. विधानसभा में पेश कैग रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा पूर्ण रूप से वित्तपोषित ये सेंटर सिर्फ आवश्यक मानव संसाधन की कमी के कारण नहीं चल रहे हैं.
मामला 2017 का है, जहां राजस्थान की युवती से अंतरजातीय विवाह करने पर केरल के एक युवक की कथित तौर पर लड़की के घरवालों के इशारे पर हत्या कर दी गई थी. 2018 में भी हाईकोर्ट से मिली ज़मानत को सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज किया था.
बीते दिनों उन्नाव में मुख्य विकास अधिकारी द्वारा एक पत्रकार को पीटने का वीडियो सामने आया था. गिल्ड ने कहा है कि भले ही सीडीओ ने माफ़ी मांग ली है, लेकिन प्रशासन का मनमाना रवैया मीडिया के लोकतांत्रिक अधिकारों को नुकसान पहुंचा रहा है. प्रदेश में पत्रकारिता के माहौल में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए.
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा द्वारा पेश गो- संरक्षण विधेयक के तहत हिंदू, जैन, सिख बहुल्य इलाकों और गोमांस न खाने वाले अन्य समुदायों वाले क्षेत्रों में गोमांस की खरीद और बिक्री पर प्रतिबंध का प्रावधान है. साथ ही मंदिर या वैष्णव मठ के पांच किलोमीटर के दायरे में गोमांस खरीदने-बेचने की मनाही है.
विधि आयोग ने उत्तर प्रदेश जनसंख्या नियंत्रण विधेयक का प्रारूप जारी करते हुए 19 जुलाई तक जनता से इस पर राय मांगी गई है. इस प्रारूप में दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नौकरियों में आवेदन से लेकर स्थानीय निकायों में चुनाव लड़ने पर रोक लगाने और सरकारी योजनाओं का भी लाभ न दिए जाने का प्रस्ताव है.
उत्तर प्रदेश में बीते दो हफ़्तों में दलितों पर उत्पीड़न की तीन घटनाएं सामने आई हैं, जो कानपुर, चंदौली और आज़मगढ़ में हुई हैं. इतना ही नहीं सोशल मीडिया पर संबंधित घटनाओं के वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस हरकत में आई है. राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर दलित उत्पीड़न की इन घटनाओं पर जवाब मांगा है.
ट्रैजिक हीरो की भूमिकाओं के साथ-साथ ही हल्की-फुल्की कॉमेडी करने की भी क्षमता के लिए मशहूर दिलीप कुमार को उनके प्रशंसकों और साथ काम करने वालों द्वारा भी हिंदी सिनेमा का महानतम अभिनेता माना जाता है.
घटना अलवर ज़िले के एक गांव की हैं, जहां भाजपा के पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा तीन जुलाई को सामूहिक बलात्कार की नाबालिग पीड़िता के परिवार से मिलने गए थे. आरोप है कि यहां उन्होंने भड़काऊ और सांप्रदायिक भाषण दिए, साथ ही आसपास के इलाकों के मेव समाज के लोगों को जान से मारने की धमकी दी.
वीडियो: हाल ही में प्यू रिसर्च सेंटर ने 2019 के अंत और 2020 की शुरुआत के बीच 17 भाषाओं में लगभग 30,000 वयस्कों के साक्षात्कार पर आधारित एक अध्ययन जारी किया है. ‘भारत में धर्मः सहिष्णुता और अलगाव’ नाम के अध्ययन ने भारतीय समाज में धर्म की गतिशीलता में व्यापक अंतर्दृष्टि प्रदान की है. इस विषय पर प्रो. अपूर्वानंद ने शिक्षाविद प्रताप भानु मेहता के साथ बातचीत की.
जम्मू कश्मीर के एक लेक्चरर के ख़िलाफ़ दर्ज प्राथमिकी रद्द करते हुए जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने माना कि राष्ट्रगान के लिए खड़े न होने को राष्ट्रगान के लिए अनादर के रूप में माना जा सकता है लेकिन यह राष्ट्रीय सम्मान के अपमान की रोकथाम अधिनियम, 1971 के तहत अपराध नहीं है.
एक तलाक़ के मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि विभिन्न समुदायों, जातियों या धर्मों से जुड़े विवाह करने वाले युवाओं को विभिन्न पर्सनल लॉ, विशेषकर विवाह और तलाक़ के संबंध में टकराव के कारण उत्पन्न होने वाले मुद्दों से जूझने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए.
विधि आयोग ने उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण एवं कल्याण) विधेयक-2021 का प्रारूप जारी करते हुए 19 जुलाई तक जनता से इस पर राय मांगी गई है. इस प्रारूप में दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नौकरियों में आवेदन से लेकर स्थानीय निकायों में चुनाव लड़ने पर रोक लगाने और सरकारी योजनाओं का भी लाभ न दिए जाने का प्रस्ताव है.
गरीबी उन्मूलन के लिए काम करने वाले संगठन ऑक्सफैम ने एक रिपोर्ट में कहा कि भुखमरी के कारण मरने वाले लोगों की संख्या कोविड-19 के कारण मरने वाले लोगों की संख्या से अधिक हो गई है. बीते एक साल में पूरी दुनिया में अकाल जैसे हालात का सामने करने वाले लोगों की संख्या छह गुना बढ़ी है.
क़रीब दो महीने पहले तमिलनाडु के एक कोच पी. नागराजन पर 19 साल की राष्ट्रीय स्तर की महिला एथलीट ने यौन योषण के आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. पुलिस ने बताया कि जांच अधिकारी का मोबाइल नंबर और ईमेल एड्रेस प्रकाशित करने के बाद कई और महिलाएं समान आरोपों के साथ सामने आई हैं.
स्मृति शेष: पिछले दिनों उर्दू साहित्यकार और 90 वर्षों से ज़्यादा से छपने वाली पत्रिका ‘शायर’ के संपादक इफ़्तिख़ार इमाम सिद्दीक़ी इस दुनिया से चले गए. 'शायर' उन्हें पुरखों से विरसे में मिली थी, जिसे बनाए रखने का सफ़र आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने ज़िंदगीभर अपना सब कुछ लगाकर इसे मुमकिन किया.